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सीज फायर के बाद अब अमेरिका और यूरोप में यहूदी विरोधी अभियान जोरों पर – सतीश उपाध्याय (सीनियर एडिटर)

गाजा में इस्राइल और फिलिस्तीनी गुट हमास के बीच हाल में हुए युद्ध का असर सारी दुनिया खासकर अमेरिका और यूरोप में अब महसूस किया जा रहा है। हाल में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जिन्हें यहूदी विरोधी (एंटी सिमेटिज्म) और इस्लामोफोबिया (इस्लाम से भय) का नतीजा माना गया है। 11 दिनों तक चले इस्राइल के हमलों में 232 फिलिस्तीनी मारे गए। उधर हमास के जवाबी हमलों में 12 इस्राइलियों की जान गई।
इस बीच अमेरिका और यूरोप में एंटी-सिमेटिज्म और इस्लामोफोबिया से प्रेरित उत्पीड़न की कई घटनाएं सामने आई हैं। अमेरिकी शहर लॉस एंजिल्स में फिलिस्तीनी झंडों के साथ कार जुलूस निकाल रहे लोगों ने एक रेस्तरां में बैठे यहूदियों पर हमला किया। अखबार लॉस एंजिल्स टाइम्स के मुताबिक वे यहूदियों को मार डालो और फिलिस्तीन को आजाद करो जैसे नारे लगा रहे थे। इसके पहले इसी शहर में फिलिस्तीनी झंडा लगी एक कार में सवार लोगों ने पैदल चल रहे एक यहूदी को दूर तक दौड़ाया। पुलिस इन दोनों घटनाओं को हेट क्राइम (नफरत से प्रेरित अपराध) मान कर उनकी जांच कर रही है। न्यूयॉर्क और शिकागो में भी यहूदी ऐसे हमलों का निशाना बने हैं। वहां भी हेट क्राइम के तहत इन शिकायतों को दर्ज किया गया है।
वाशिंगटन पोस्ट और दूसरे अखबारों में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक लंदन में फिलिस्तीनी झंडा लगी कारों के एक काफिले में शामिल लोगों ने यहूदियों के लिए अपमानजनक नारे लगाए। उधर जर्मनी में यहूदियों के पूजा स्थल सिनेगॉग पर पत्थर फेंके गए। अमेरिका में मुसलमानों के संगठन मुस्लिम पब्लिक अफेयर्स काउंसिल ने इन तमाम घटनाओं की निंदा की है। साथ ही इस गुट ने दावा कि इस्लामोफोबिया से प्रेरित कई घटनाएं भी पिछले दो हफ्तों में अमेरिका में हुई हैं।
न्यूयॉर्क पुलिस ब्रुकलिन स्थित एक इस्लामी सेंटर पर लगाए गए एक पोस्टर से जुड़े मामले की जांच कर रही है, जिस पर लिखा था- डेथ टू पैलेस्टाइन (यानी फिलिस्तीनियों की मौत)। उधर लॉन्ग आइलैंड में इस हफ्ते एक मस्जिद में तोड़फोड़ की गई। पुलिस उस मामले की भी जांच कर रही है।
कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी से जुड़े सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ हेट एंड इक्स्ट्रीमिज्म में हुए एक अनुसंधान के मुताबिक पहले भी जब इस्राइल और फिलिस्तीन में युद्ध हुआ है, तब एंटी सिमेटिज्म और इस्लामोफिया में इजाफा हुआ है। इस बार भी ये बात सामने आई।
ब्रिटेन स्थित कम्युनिटी सिक्यूरिटी ट्रस्ट ने बताया है कि इस बार यरुशलम स्थित अल-अक्सा मस्जिद में जब से संघर्षों की शुरुआत हुई, ब्रिटेन में एंटी-सिमेटिज्म से जुड़ी घटनाओं में 500 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। उधर इस्लामोफोबिया पर नजर रखने वाली संस्था टेल मामा के मुताबिक अल-अक्सा मस्जिद की घटना शुरू होने के बाद ब्रिटेन में इस्लामोफोबिया से संबंधित घटनाओं में 430 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
लंदन के मेयर सादिक खान ने शुक्रवार को ट्विटर संदेश में कहा- ‘मैं पूरे शहर के यहूदी समुदाय के साथ संपर्क में हूं। वे लोग एंटी-सिमेटिज्म में इजाफे से बहुत चिंतित हैं। लेकिन हम एंटी सिमेटिज्म या इस्लामोफोबिया या किसी भी तरह के नस्लभेद की इजाजत लंदन में नहीं देंगे।’
उधर अमेरिका में मुस्लिम पब्लिक अफेयर्स काउंसिल के अध्यक्ष सलाम अल-मारायती ने कहा है कि फिलिस्तीन के पक्ष में हुए ज्यादातर प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहे। साथ ही उन्होंने कहा कि हिंसा और नफरत में शामिल होकर हम खुद को बेहतर साबित नहीं कर सकते।

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