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मानव तस्करी में लिप्त रोहिंगया को ATS ने उन्नाव से किया गिरफ्तार – विशाल कुमार (ब्यूरो चीफ) हरदोई/ उन्नाव

उत्तर प्रदेश के उन्नाव में अवैध तरीके से रहकर मानव तस्करी में लिप्त रोहिंग्या शाहिद से पूछताछ में एटीएस को कई अहम सुराग मिले हैं। उसने आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक में खाता, एटीएम व पासपोर्ट के साथ ही अलीगढ़ से 2010 में अपना वोटर आईडी भी बनवा लिया था। इस वोटर आईडी से वह वोट भी डालता रहा। एटीएस ने रोहिंग्या शाहिद के किराये के घर कासिम नगर पहुंचकर पत्नी से शाहिद का अलीगढ़ से बना वोटर आईडी कार्ड बरामद कर लिया है।
सूत्रों के अनुसार एटीएस ने पत्नी से यह जानने की कोशिश की कि शाहिद ने इस वोटर आईडी कार्ड से कितनी बार वोट डाला। जांच में यह भी सामने आया कि शाहिद की राजनीति में भी काफी दिलचस्पी थी। अपने मनचाहे प्रत्याशी को वोट डलवाने के लिए उसने म्यांमार से अलीगढ़ पहुंचे अन्य साथियों के भी वोटर आईडी कार्ड बनवाए थे। वर्ष 2017 में वह पत्नी व बच्चों को अलीगढ़ में ही छोड़कर उन्नाव आ गया और आधार कार्ड के जरिये अचलगंज के बंथर स्थित स्लाटर हाउस में काम कर फैक्टरी में मिले कमरे में रहने लगा था। बाद में पत्नी और बच्चों को लाकर किराये के मकान में रहने लगा था।
अलीगढ़ में खोला था बैंक खाता 
शाहिद ने फर्जी दस्तावेजों के जरिये अलीगढ़ की सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में अपना खाता खुलवाया था। उसने एटीएम भी वहीं से लिया। पांच लाख से अधिक की राशि इकट्ठा होने पर ही जमा करने उन्नाव से अलीगढ़ जाता था। 28 फरवरी को एटीएस के छापे में उसके घर से बरामद पांच लाख रुपये अलीगढ़ की बैंक में जमा करने के लिए घर पर लाकर रखे थे। एक मार्च को उसे रुपये जमा करने अलीगढ़ जाना था। इससे पहले ही एटीएस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था।
शाहिल मोहम्मद से बना शाहिद 
म्यांमार से भारत आने के लिए शाहिद ने संयुक्त राष्ट का शरणार्थी कार्ड भी बनवाया था। दिल्ली से यह कार्ड 3 जून 2010 को जारी हुआ। इसकी अवधि 31 दिसंबर 2011 तक थी। शरणार्थी कार्ड में शाहिद का नाम शाहिल मोहम्मद पड़ा है। आशंका है कि कार्ड की समय सीमा समाप्त होने के बाद उसने फर्जी दस्तावेजों के जरिये खुद का नाम शाहिद रख लिया और अलीगढ़ से उन्नाव आकर मानव तस्करी में लिप्त हो गया।
शाहिद की पत्नी म्यांमार की रहने वाली है। इसके प्रमाण एटीएस को मिल गए हैं। जांच के दौरान एटीएस को उसका म्यांमार में बनवाया गया आईडी मिला है। उसने एटीएस को बताया है कि वह बड़ी बहन के साथ 10 साल पहले बांग्लादेश के रास्ते अलीगढ़ पहुंची थी। वहां बहन के साथ एक फैक्टरी में नौकरी करने लगी थी। उसी फैक्टरी में उसका संपर्क शाहिद से हुआ और दोनाें ने निकाह कर लिया।

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