इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

बीबीसी के पत्रकारों को चीन ने देश छोड़ने के लिए किया मजबूर -विजयशंकर दूबे (क्राइम एडिटर)

ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (बीबीसी) के एक दिग्गज संवाददाता को सुरक्षा संबंधी चिंताओं के बीच चीन छोड़कर जाना पड़ा क्योंकि उनकी रिपोर्टिंग से चीन की सरकार खफा है। बीबीसी ने बुधवार को बताया कि जॉन सुडवर्थ को ताइवान भेजा गया है और वह ब्रिटिश सार्वजनिक सेवा प्रसारक के चीन के संवाददाता बने रहेंगे।
विदेशी संवाददाताओं के ‘क्लब ऑफ चीन’ ने बताया कि सुडवर्थ अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा संबंधी चिताओं के बीच पिछले सप्ताह यहां से चले गए। संगठन ने बताया कि सुडवर्थ की पत्नी योवेने मुरे भी उनके साथ चली गईं। मुरे आयरलैंड के प्रसारक आरटीई में संवाददाता हैं।
बीबीसी ने ट्विटर पर एक बयान में कहा, ”जॉन के काम ने उन सच्चाइयों को उजागर किया जिसे चीनी अधिकारी दुनिया से छुपाकर रखना चाहते थे।” बीबीसी और सुडवर्थ ने आगे टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। सुडवर्थ पिछले नौ वर्षों से चीन में रिपोर्टिंग कर रहे थे। शिनजियांग प्रांत में मुसलमानों के शिविरों को लेकर रिपोर्टिंग के लिए उन्हें जॉर्ज पॉल्क अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। चीन का कहना है कि ये शिविर व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र है। चीन यहां किसी भी तरह के उत्पीड़न से इनकार करता रहा है।
बीबीसी और अन्य विदेशी मीडिया संगठनों द्वारा शिनजियांग में मानवाधिकार उत्पीड़न की खबरों का खंडन करते हुए चीन ने कई संवाददाता सम्मेलन किये। चीन की सरकारी मीडिया और अधिकारियों ने बीबीसी पर झूठी जानकारी का आरोप लगाया।
पिछले साल से चीन में काम कर रहे विदेशी पत्रकारों पर दबाव बढ़ गया है। चीन ने 2020 में द न्यूयॉर्क टाइम्स, द वॉल स्ट्रीट जर्नल और द वॉशिंगटन पोस्ट के 18 पत्रकारों को चीन से निकाल दिया। चीन की यह प्रतिक्रिया अमेरिका द्वारा चीन की सरकारी मीडिया के कर्मियों की संख्या वहां कम करने के लिए मजबूर किए जाने के बाद आयी थी।

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