म्यांमार के बाद अब कोलंबिया की सेना क्रूर चेहरा सामने आया है. एक जांच रिपोर्ट में खौफनाक खुलासे हुए हैं कि सैनिकों ने दुश्मन बताकर हजारों निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया. शांति संधि के तहत गठित ट्रिब्यूनल ने अपनी जांच में यह पाया है. इसके मुताअिक 2002 से 2008 के बीच हजारों लोगों को सैनिकों ने मार डाला. बाद में इनकी मौत को जंग के दौरान मारे गए दुश्मन के रूप में दिखा दिया गया.
विशेष अदालत ने गुरुवार को कहा कि सैनिकों ने उनके अनुमान से ज्यादा लोगों की जान ली. कोलंबिया में बागी रेवोल्यूशनरी आर्म्ड फोर्सेज ऑफ कोलंबिया (FARC) और सरकारी सैनिकों के बीच करीब 50 साल तक संघर्ष चला. 2016 में ऐतिहासिक शांति समझौते के तहत माओवादी लड़ाकों ने अपने हथियार डाले थे. इस दौरान हुए अपराधों की जांच करने के लिए एक विशेष अदालत गठित की गई थी. ट्रिब्यूनल ने गुरुवार को कहा कि अवैध हत्याओं को दिखा दिया गया कि मुठभेड़ के दौरान इनकी मौत हुई है. सैन्य हलकों में इसे “false positives,” (झूठा दिखावा) दिखाया गया.
पहले के अनुमान से कहीं ज्यादा मौत
पिछले साल तक सरकारी वकीलों ने माना था कि 1988 से 2014 के बीच 2249 हत्याएं हुईं. इनमें से ज्यादातर मामले 2006 से 2008 के बीच के हैं. इस समय राष्ट्रपति अल्वारो यूरिब थे, जो मौजूदा राष्ट्रपति इवान ड्यूक के मेंटर हैं. हालांकि सैन्य आलाकमान इन आरोपों को मानने को तैयार नहीं है कि सरकारी पॉलिसी के तहत ऐसा किया गया. मगर कुछ जवानों व अधिकारियों ने अदालत में स्वीकार किया कि सीनियर्स की तरह से उन पर दबाव था कि वे विरोधियों के खिलाफ सैन्य ऑपरेशंस को सफल दिखाएं.
इस कमांडर पर लग रहे आरोप
जनरल मारियो मोंटोया, उस समय सेना में कमांडर थे. अदालत में पेश होने वाले वह सर्वोच्च सैन्य अधिकारी हैं. गवाहों ने आरोप लगाए हैं कि हत्याओं का जिम्मेदार यही कमांडर था, हालांकि मोंटोया ने इन आरोपों से इनकार किया है. उनका कहना है कि उन्होंने किसी निर्दोष नागरिक को नहीं मरवाया है.
2000 से ज्यादा जवान जांच के घेरे में
कोलंबियाई सेना के 2140 जवान ऐसे हैं, जिनके खिलाफ जांच चल रही है. हालांकि उस समय की सैन्य ताकत को देखें तो यह पूरी क्षमता का महज एक फीसदी ही है. मोंटोया के वकील आंद्रेज गारजोन का कहना है कि यह दिखाता है कि सेना की ओर से ऐसे कोई आदेश नहीं थे.
20 साल तक की सजा, लेकिन अब तक एक को भी जेल नहीं
कोर्ट मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच करने में लगी हुई है. इस दौरान जो लोग अपनी गलती स्वीकार करते हुए पीड़ितों को हर्जाना देने को तैयार हैं, उन्हें जेल नहीं भेजा जा रहा है. जो लोग ऐसा नहीं कर रहे हैं और दोषी पाए जाने पर उन्हें 20 साल तक की सजा सुनाई जा सकती है. हालांकि 2018 से लेकर अब तक एक भी व्यक्ति को जेल नहीं भेजा गया है. माना जा रहा है कि ज्यादातर हत्याएं उत्तर-पश्चिम एंटियोक्यूआ डिपार्टमेंट में हुईं. इस क्षेत्र में सेना और दक्षिण पंथी सुरक्षा बल वामपंथी लड़ाकों के खिलाफ लड़ रहे थे.