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साउथ सी में चीन ने अत्याधुनिक खतरनाक मिसाइलों लैश 3 युद्धपोतों की तैनाती -हेमंत सिंह (स्पेशल एडिटर)

भारत के साथ चल रहे तनाव के बीच चीन ने तीन प्रमुख युद्धक युद्धपोतों को समुद्र में उतार दिया है. इसमें एक परमाणु ऊर्जा से संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी, एक ड्रेस्ट्रॉयर शिप और देश का सबसे बड़ा एम्फीबियस असॉल्ट शिप शामिल है. इन तीनों जहाजों को शनिवार को राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) की मौजूदगी में हुए एक समारोह में कमीशन किया गया. कार्यक्रम का आयोजन हैनान प्रांत में मौजूद विवादित दक्षिण चीन सागर (South China Sea) के किनारे स्थित चीन के मुख्य नौसेना बेस पर किया गया.
हांगकांग बेस्ड साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की खबर के मुताबिक, जिन जहाजों को कमीशन किया गया है. उसमें टाइप 075 एम्फीबियस असॉल्ट शिप शामिल है, जिस पर सैकड़ों की संख्या में सैनिकों और 30 हेलिकॉप्टरों को तैनात किया जा सकता है. ये चीन का सबसे बड़ा एम्फीबियस असॉल्ट शिप है, जिसका वजन 40 हजार टन है. खबर के मुताबिक, माना जा रहा है कि जिस टाइप 09IV पनडुब्बी को कमीशन किया गया है. वो चीन की परमाणु ऊर्जा से चालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों की दूसरी पीढ़ी की है. इसने पुराने टाइप 09II की जगह ली है.

पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी को आधुनिक बना रहा है चीन
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की खबर के मुताबिक, टाइप 055 ड्रेस्ट्रॉयर शिप पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी में सबसे शक्तिशाली ड्रेस्ट्रॉयर है. इस शिप में नए प्रकार के एयर-डिफेंस सिस्टम, मिसाइल डिफेंस, एंटी शिप और एंटी सबमरीन हथियार लैस हैं. इन जहाजों का शामिल होना PLAN को आधुनिक बनाने की एक कड़ी है, जिसमें एयरक्राफ्ट कैरियर भी शामिल हैं. चीन ने अभी तक दो एयरक्राफ्ट कैरियर बनाए हैं. आधिकारिक मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि चीन का इरादा छह एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने का है.

दक्षिण चीन सागर में दबदबा बनाना चाहता है चीन
चीन का रक्षा बजट इस साल 209 बिलियन डॉलर को पार कर गया. ड्रैगन नौसेना और वायुसेना को व्यापक स्तर पर आधुनिक बनाने में जुटा हुआ है. अभी इसने नौसेना और वायुसेना को विस्तार देने की योजना बनाई हुई है. दरअसल, बीजिंग इसके जरिए विवादित दक्षिण चीन सागर और ताइवान में अपना दबदबा बनाना चाहता है, जहां अमेरिका भी अपनी मौजूदगी बढ़ाने में जुटा हुआ है. चीन विवादित सागर के 13 लाख स्क्वायर मील को अपना संप्रभु क्षेत्र बताता है. ड्रैगन ने यहां पर कृत्रिम द्वीपों को तैयार किया है, जिस पर उसने सेना के बेस बनाए हैं. इस क्षेत्र पर ब्रुनेई, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम ने भी दावा किया है.

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