चीन लगातार तिब्बत पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए हर वह हथकंडा अपना रहा है जो तिब्बतियों को धर्म पर कम ध्यान देने के लिए मजबूर कर रहा है। द इकोनॉमिस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन इस क्षेत्र में तिब्बतियों को राष्ट्रपति शी जिनपिंग और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के लिए अधिक उत्साह दिखाने के लिए भी मजबूर कर रहा है।
बीजिंग ने तिब्बतियों की पहचान को कुचलने के लिए उनके धार्मिक जीवन से दलाई लामा की पहचान को जड़ से उखाड़ने की कोशिशें तेज कर दी हैं। द इकोनॉमिक्स के मुताबिक, शिनजियांग में मुस्लिम अनुयायियों की तरह यहां भी तिब्बती धर्म की निंदा के लिए सीसीपी एक मुहिम चला रही है। इसके लिए तिब्बत और शिनजियांग में चीनी अधिकारियों ने लोगों के धर्म और सांस्कृतिक परंपराओं पर हमले शुरू कर दिए हैं। उइगरों मुस्लिमों को जहां शिनजियांग के पुनरुत्थान केंद्रों में भेजा गया है, वहीं तिब्बती किसानों को आधुनिक आवासों या शहरी क्षेत्रों में स्थानांतरित कर दिया गया है। इसी तरह, तिब्बती भाषा को भी शिनजियांग के समान मंदारिन के साथ बदल दिया गया है। बता दें कि चीन ने 1950 में तिब्बत पर कब्जा कर लिया था जबकि 1959 में दलाई लामा निर्वासित होकर भारत आ गए।
दलाई लामा की तस्वीरों पर रोक
जिस तरह से शिनजियांग प्रांत के उइगर मुस्लिम मक्का की तीर्थयात्रा पर नहीं जा सकते, उसी प्रकार तिब्बतियों का दलाई लामा की धार्मिक शिक्षाओं में भाग लेने के लिए भारत यात्रा करना भी लगभग असंभव हो गया है। हालांकि उइगरों के विपरीत तिब्बतियों को वीचैट एप के प्रयोग की अनुमति है। लेकिन दलाई लामा की तस्वीरों को पोस्ट करना प्रतिबंधित है और इसके लिए एक साल की जेल भी हो सकती है।
सीपीईसी : चीन ने परियोजनाओं पर नहीं की फंडिंग
चीन-पाक आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) पर पाकिस्तान सीनेट की विशेष समिति ने कहा है कि सीपीईसी के तहत किसी भी बुनियादी ढांचा परियोजना को चीन ने वित्तपोषित नहीं किया है। पाक योजना मंत्रालय में परिवहन योजना प्रमुख सीनेटर सिकंदर मंदरू ने एक बैठक में कहा कि सीपीईसी की फंडिंग के अभाव में कुछ परियोजनाएं रुकी पड़ी हैं। इस बीच, समिति के सदस्य सीनेटर कबीर अहमद शाही ने बताया कि सीपीईसी पर सिर्फ कागजी कार्रवाई की गई थी। इसके तहत ग्वादर स्मार्ट पोर्ट सिटी मास्टर प्लान के तहत परियोजनाएं तक शुरू नहीं की गई हैं।