तिब्बत में चीनी दमन के शिकार बौद्ध समुदाय को कम्युनिस्ट विचारधारा अपनाने की खुली धमकी दी जा रही है। इसके लिए न सिर्फ बौद्ध भिक्षुओं को सरकारी एजेंट बनने के लिए बाध्य किया जा रहा है बल्कि उन्हें नौकरियों का लालच देकर तिब्बती क्षेत्र से दूर नियुक्तियां दी जा रही हैं, ताकि उन्हें मूल स्थान से अलग किया जा सके।
यह बात मानवाधिकार संगठन इंटरनेशनल कैंपेन फॉर तिब्बत ने एक रिपोर्ट जारी करते हुए कही है। संगठन ने कहा कि पिछले 60 वर्ष से तिब्बतियों पर अत्याचार जारी हैं। अब तिब्बत के बौद्ध समुदाय को मिलने वाली धमकियों से लगता है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी इस क्षेत्र में किसी भी हद तक जा सकती है। संस्था ने विश्व बिरादरी से अपील की है कि वे तिब्बतियों की धार्मिक आजादी के लेकर आवाज उठाएं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन बौद्ध समुदाय को सरकार के लिए काम करने की जबरदस्ती भी कर रहा है। चीनी अत्याचारों के चरम पर पहुंचने के चलते तिब्बती मठ वासियों का जीवन बेहद मुश्किल भरा हो गया है।
पार्टी का पूरा सिस्टम बदला जा रहा
रिपोर्ट में कहा गया है कि शी जिनपिंग चाहते हैं कि देश में रहने वाले सभी समुदाय के लोग सरकार के अधीन काम करें और उनकी धार्मिक आजादी अर्थहीन हो जाए। इसके लिए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी पूरे सिस्टम को बदल रही है। ये बदलाव तिब्बत के बौद्ध और तिब्बती संस्कृति के लिए गंभीर खतरा हैं।
उइगर नरसंहार पर चीन से सीधे बात करेगा अमेरिका
चीन के साथ कुछ मुद्दों पर बातचीत जारी रखने और कुछ पर विरोध रखने की बाइडन प्रशासन की नीति जारी है। व्हाइट हाउस प्रवक्ता जेन साकी ने कहा कि इसी के तहत उसने न सिर्फ 18 मार्च को अलास्का के एंकरेज में अमेरिकी और चीनी विदेश मंत्रियों की बैठक का फैसला लिया बल्कि यह भी कहा कि चीन के साथ उइगर मुस्लिमों के खिलाफ नरसंहार के मुद्दे पर अमेरिका सीधी बातचीत करेगा।
चीन का पहला निशाना होगा ताइवान : अमेरिकी कमांडर
शीर्ष अमेरिकी कमांडर एडमिरल फिलिप डेविडसन ने दावा किया कि आगामी पांच से 10 साल में ताइवान निश्चित ही चीनी सेना की आक्रामकता का निशाना होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिका और चीन के बीच जारी विवाद में ताइवान को लेकर तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है।
डेविडसन ने अमेरिकी सांसदों से कहा कि चीन एशिया में अमेरिकी सैन्य शक्ति की जगह हासिल करना चाहता है और इसीलिए डेमोक्रेटिक ताइवान पर हमेशा से ही चीनी हमले का खतरा मंडराता रहा है। उन्होंने कहा, सामरिक तौर पर चीन 21वीं सदी में सबसे बड़ा खतरा पैदा कर सकता है।
एकाधिकार विरोधी कानून के तहत चीन का 12 कंपनियों पर हर्जाना
चीन के बाजार नियामक ने शुक्रवार को कहा है कि उसने एक दर्जन कंपनियों पर जुर्माना लगाया है। इनमें गेम कंपनी टेनसेंट होल्डिंग्स और चीनी सर्च इंजन कंपनी बाइदू इंक शामिल है। चीन ने फरवरी में इंटरनेट उद्योग में प्रतिस्पर्धी विरोध प्रथाओं पर शिकंजा कसने के मकसद से एकाधिकार विरोधी दिशानिर्देश जारी किए थे। इसके तहत चीन ने 77,000 डॉलर का जुर्माना लगाया है।