स्पेशल रिपोर्ट

चीन ने अपने फाइटर जेट J-20 को बनाया और भी घातक, रडार भी डिटेक्ट नहीं कर सकता – श्रीराम पांडेय (सब एडिटर)

पेइचिंग
लद्दाख और दक्षिणी चीन सागर में बढ़ते तनाव के बीच चीन अब अपने जे-20 लड़ाकू विमान को अपग्रेड करने की तैयारी कर रहा है। भारतीय वायु सेना में राफेल लड़ाकू विमानों की बढ़ती तादाद से भी चीन के होश उड़े हुए हैं। चीनी एयरफोर्स अब अपने जे-20 स्टील्थ लड़ाकू विमान के इंजनों के लिए 2 डी थ्रस्ट वेक्टरिंग नोजल को लगाने जा रही है। इस नोजल के लगने से जे-20 विमान का हीट सिग्नेचर तो कम होगा ही साथ ही इंजन का थ्रस्ट भी बढ़ जाएगा। अभी तक केवल अमेरिका ही अपने एफ-22 रेप्टर में 2डी वेक्टर नोजल का इस्तेमाल करता है।

दुश्मनों के रडार के छिपने की क्षमता बढ़ेगी
चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने जे-20 को उड़ाने वाले एक पायलट से मिली जानकारी के आधार पर बताया है कि जल्द ही उसके सभी विमानों को इस तकनीकी से लैस किया जाएगा। दावा किया जा रहा है कि इस वेक्टर नोजल के इस्तेमाल से जे-20 की स्टील्थ क्षमता और ज्यादा बढ़ जाएगी। हालांकि, कई एविएशन एक्सपर्ट्स चीन के इस लड़ाकू विमान के स्टील्थ ताकत को लेकर पहले ही सवाल उठा चुके हैं।

जे-20 को हवा में मिलेगी ज्यादा ताकत
चीन के जे-20 लड़ाकू विमान अभी तक सर्कुलर नोजल का इस्तेमाल करते हैं। इस कारण विमान के इंजन से निकली गर्मी को दुश्मन के रडार आसानी से डिटेक्ट कर सकते हैं। इनमें से किसी भी विमान के पास अभी थ्रस्ट वेक्टर कंट्रोल की क्षमता नहीं है। चीनी सेना के एविएशन एक्सपर्ट फू क्विनसाओ के हवाले से ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि थ्रस्ट वेक्टर कंट्रोल से जे-20 को हवा में अतिरिक्ट मनुवर करने की क्षमता मिलेगी और रडार से छिपने की ताकत भी बढ़ेगी।

3डी वेक्टर की तकनीक को पहले ही दिखा चुका है चीन
2018 में चीन ने गुआंगडोंग प्रांत के ज़ुहाई में एयरशो के दौरान अपने जे-10 लड़ाकू विमानों को 3डी थ्रस्ट वेक्टर कंट्रोल के साथ उड़ाया था। तभी से यह माना जा रहा था कि चीन आने वाले दिनों में जे-20 में भी इस तकनीक का उपयोग कर सकता है। 3डी थ्रस्ट वेक्टर कंट्रोल और 2डी थ्रस्ट वेक्टर कंट्रोल में सबसे बड़ा अंतर इनका आकार है। 3डी नोजल गोलाकार जबकि 2डी नोजल आयताकार होता है। इन दोनों में से 2डी थ्रस्ट वेक्टर कंट्रोल में रडार और इंफ्रारेड स्टील्थ क्षमता ज्यादा होती है।

जे-20 में स्वदेशी इंजन लगाना चाहता है चीन
चीन के जे-20 लड़ाकू विमान ने रूस के दो सैटर्न एएल031एफएम2 (Saturn AL-31FM2) इंजन लगे हैं। ये दोनों इंजन मिलकर एयरक्राफ्ट को 145 किलो न्यूटन तक का थ्रस्ट प्रदान करते हैं। चूकि, जे-20 भारी और साइज में भी काफी बड़ा एयरक्राफ्ट है, इसलिए इन इंजनों के सहारे इसकी ताकत की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं। इसलिए, चीन जोरशोर से इसे बदलने की तैयारी कर रहा है। चीन भविष्य में अधिक शक्तिशाली WS-15 इंजन के साथ बदलने की योजना पर काम कर रहा है। चीन ने अबतक कुल 50 जे-20 लड़ाकू विमान का निर्माण किया है। इनमें से कुछ चीनी सेना के टेक्निकल एयर कॉम्बेट डेवलेपमेंट एजेंसी के पास है तो बाकी भारत और साउथ चाइना सी के मोर्चे पर तैनात हैं। अब जितने भी जे-20 विमान को चीन बना रहा है उसमें वह खुद के विकसित जे-10 इंजन का उपयोग कर रहा है। चीन को गुमान है कि उसका जे-20 हर मोर्चे पर राफेल के खिलाफ शक्तिशाली साबित होगा।

माइटी ड्रैगन के नाम से जाना जाता है जे-20 लड़ाकू विमान
चीन के जे-20 लड़ाकू विमान को माइटी ड्रैगन के नाम से जाना जाता है। यह लड़ाकू विमान आवाज से दोगुनी तेज रफ्तार से उड़ान भर सकता है। इसे चीन की चेंगदू एयरोस्पेस कॉर्पोरेशन ने बनाया है। इस विमान को ज्यादा ताकत प्रदान करने के लिए दो इंजन लगे हुए हैं। इसमें एक ही पायलट के बैठने की सीट होती है। चीन का दावा है कि इस लड़ाकू विमान को हर मौसम में उड़ाया जा सकता है। चीन तो यहां तक दावा करता है कि यह लड़ाकू विमान स्टील्थ तकनीकी से लैस है, जिसे कोई भी रडार नहीं पकड़ सकता है। आपको यह बता दें कि यह दुनिया का तीसरा ऑपरेशनल फाइटर जेट है। पहले के दो एफ-22 रेप्टर और एफ-35 अमेरिकी एयरफोर्स में तैनात हैं।

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