इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

कैपिटल बिल्डिंग पर हुए हमले की वजह अब डोनाल्ड ट्रम्प

अमेरिका की कैपिटल बिल्डिंग पर हमला करते ट्रंप समर्थकों की तस्वीरें पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बनी हुई हैं. वॉशिंगटन शहर में हुई इस हिंसा में एक पुलिस अधिकारी समेत पाँच लोगों की मौत हुई. विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं का कहना है कि इस घटना के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सीधे तौर पर ज़िम्मेदार हैं. ट्रंप लगातार यह कहते रहे कि चुनावी धांधली के चलते उनकी हार हुई और ट्रंप के समर्थक उनके इस दावे में विश्वास रखते हैं. लेकिन ट्रंप समर्थकों द्वारा की गई हिंसा को नव-निर्वाचित राष्ट्रपति ने ‘फ़साद’ बताया, जबकि उप-राष्ट्रपति माइक पेंस ने इसे ‘अमेरिकी इतिहास में एक काला दिन’ कहा. मगर यह पहली बार नहीं है, जब सांकेतिक तौर पर ‘लोकतंत्र का मंदिर’ कही जाने वाली कैपिटल बिल्डिंग हिंसा की चपेट में आयी.

ब्रिटिश हमला – 1814
वाइस एडमिरल सर एलेक्ज़ांडर कॉकबर्न और मेजर जनरल रॉबर्ट रॉस के नेतृत्व में ब्रितानी सैनिकों ने कैपिटल बिल्डिंग को आग के हवाले कर दिया था. वॉशिंगटन शहर पर यह हमला अगस्त 1814 में हुआ था. तब यह इमारत बन ही रही थी. ब्रितानी सैनिकों ने यह हमला कनाडा के यॉर्क शहर में अमेरिकी सैनिकों द्वारा की गई आगज़नी के जवाब में किया था. कनाडा का यह इलाक़ा उस दौर में ब्रिटेन का उपनिवेश हुआ करता था. ब्रितानी सैनिकों ने इस हमले में ना सिर्फ़ ऐतिहासिक कैपिटल बिल्डिंग, बल्कि व्हाइट हाउस को भी आग लगा दी थी. अमेरिका के इतिहास में यह एकमात्र हमला था, जब वॉशिंगटन शहर पर किसी विदेशी ताक़त ने क़ब्ज़ा कर लिया था. साल 2014 में, उस हमले के 200 साल बाद वॉशिंगटन स्थित ब्रितानी दूतावास ने ‘कैपिटल हमले’ के लिए आधिकारिक तौर पर माफ़ी माँगी थी. बुधवार को हुए हमले के बाद, न्यू जर्सी से डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनेटर कॉरी बुकर ने कहा, “इन दोनों हमलों में एक समानता थी कि दोनों ही हमले एक नेता के आदेश पर हुए. 1814 में हमला ब्रिटेन के राजा के आदेश पर हुआ था और इस बार हमला डोनाल्ड ट्रंप के आदेश पर हुआ.”
उन्होंने अपने भाषण में इन दोनों हमलों के बीच एक अंतर भी बताया था. उन्होंने कहा, “तब कैपिटल बिल्डिंग पर हमला करने वाले बाहरी लोग थे, जबकि इस बार हमला करने वाले अपने ही लोग थे.”

डायनामाइट से हमला – 1915
ब्रितानी हमले के 100 वर्ष बाद, 4 जुलाई 1915 को हार्वड यूनिवर्सिटी के एक पूर्व जर्मन प्रोफ़ेसर एरिक म्यूएंटर ने सीनेट रिसेप्शन रूम में डायनामाइट की तीन छड़ियाँ रख दी थीं.
इनमें धमाका हुआ, तो बिल्डिंग के एक हिस्से को काफ़ी नुक़सान पहुँचा, लेकिन इस हमले में किसी की मौत नहीं हुई. प्रोफ़ेसर एरिक म्यूएंटर ने बाद में कहा कि अमेरिकी क़र्ज़दाताओं ने पहले विश्व युद्ध में जर्मनी के ख़िलाफ़ ब्रिटेन की मदद की थी, जिसका बदला लेने के लिए ही उन्होंने इस हमले की योजना बनाई.
म्यूएंटर ने कहा कि ‘उन्हें उम्मीद थी कि इस धमाके की आवाज़, युद्ध पीड़ितों की परेशानियों के शोर से ज़्यादा दूर तक सुनाई देगी.’ इस हमले के एक दिन बाद म्यूएंटर ने जेपी मॉर्गन जूनियर पर भी हमला किया था जिसके बाद उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया. बाद में म्यूएंटर ने ख़ुदकुशी कर ली थी.

1954 में अपनी गिरफ़्तारी के दौरान लॉलिता लेब्रोन
1 मार्च 1954 को पोर्तो रीको के चार राष्ट्रवादी अमेरिकी संसद के निचले सदन की दर्शक दीर्घा में पहुँचे और उन्होंने वहाँ अपने देश का झंडा फहराया, ‘पोर्तो रीको के लिए आज़ादी’ के नारे लगाए, साथ ही बिल्डिंग के अंदर फ़ायर किए.
इस हमले में पाँच अमेरिकी सांसद घायल हो गए थे. जब इन राष्ट्रवादियों को गिरफ़्तार कर लिया गया, तो इस समूह की नेता लॉलिता लेब्रोन ने प्रेस से कहा, “हम यहाँ किसी को मारने नहीं आए थे. हम यहाँ पोर्तो रीको के लिए जान देने आए थे.”
लेब्रोन को इस हमले की योजना बनाने के लिए 50 साल जेल की सज़ा हुई थी, जबकि हमले में शामिल तीन अन्य लोगों को अमेरिकी अदालत ने 75 साल जेल की सज़ा सुनाई थी. लेकिन इन लोगों की सज़ा को बाद में राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने कम करवा दिया था. उन्होंने कहा था कि “अंतरराष्ट्रीय समुदाय का लिहाज़ करते हुए, मानवता के आधार पर हम इन लोगों को छोड़ रहे हैं.” बाद में इन चारों का पोर्तो रीको में ज़बरदस्त स्वागत हुआ था.

1983 का हमला
7 नवंबर 1983 को सीनेट की दूसरी मंज़िल पर एक बड़ा धमाका हुआ था इस हमले से कुछ देर पहले ही, किसी ने फ़ोन करके यह सूचना भी दी थी कि आर्म्ड रेसिस्टेंस यूनिट नामक समूह के लोग कैपिटल पर हमला करने वाले हैं. उस शख़्स के अनुसार, यह हमला ग्रेनाडा और लेबनान में अमेरिकी फ़ौज की कार्रवाई के ख़िलाफ़ किया गया था. इस हमले में भी किसी की मृत्यु नहीं हुई थी, लेकिन धमाके से बिल्डिंग को काफ़ी नुक़सान हुआ था. साल 1988 में एफ़बीआई एजेंटों ने चरमपंथी वामदलों के एक समूह से संबंधित सात लोगों को कैपिटल हमले के लिए गिरफ़्तार किया था. इन लोगों पर अमेरिका में कुछ धमाकों की योजना बनाने का भी आरोप था.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *