प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटिश साम्राज्य के लिए शहीद होने वाले हजारों भारतीय व अन्य अश्वेत सैनिकों को श्वेत सैनिकों की तरह सम्मान नहीं दिया गया था। गुरुवार कॉमनवेल्थ वार ग्रेव कमीशन की इस बारे में आई रिपोर्ट के बाद ब्रिटेन ने नस्ली भेदभाव के लिए माफी मांगी है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रथम विश्व युद्ध में 45 से 50 हजार अश्वेत सैनिक ब्रिटिश साम्राज्य के लिए शहीद हुए थे। इनमें भारतीय, अफ्रीकी, मिस्र और सोमालिया के सैनिक थे। इन शहीदों को वैसा सम्मान नहीं दिया गया, जैसा श्वेत सैनिकों के शहीद होने पर दिया गया था। भेदभाव ऐसा था कि हजारों अश्वेत सैनिकों का स्मरण करने में नाम ही नहीं लिया गया।
यह रिपोर्ट आने के बाद ब्रिटेन के रक्षा मंत्री बेन वालेस ने सरकार की तरफ से प्रतिनिधि सभा में माफी मांगी है। उन्होंने कहा, इसमें कोई शक नहीं कि कुछ फैसले पूर्वाग्रह से लिए गए थे। कुछ स्थानों पर भेदभाव हुआ है। हम सरकार और कॉमनवेल्थ वार ग्रेव कमीशन की ओर से माफी मांगते हैं कि उस समय मूलभूत सिद्धांतों पर खरे नहीं उतरे।
हमें खेद है कि इस स्थिति को ठीक करने में लंबा समय लगा। हम अतीत को बदल नहीं सकते, लेकिन पूर्व की गलतियों से सबक ले सकते हैं। कमीशन के महानिदेशक क्लेयर हार्टन ने भी कहा, एक सदी पहले (1914-18) जो हुआ वह तब भी गलत था और अब भी। हम इस गलती को स्वीकार करते हैं और इसे सुधारने का प्रयास करेंगे।