चीन ने अपने एक मशहूर ब्लॉगर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की है. उसपर आरोप है कि उसने भारतीय सैनिकों से भिड़ंत के बाद मारे गए चीनी सैनिकों को लेकर एक ब्लॉग लिखा था. दोनों देश के सैनिकों की झड़प बीते साल लद्दाख की गलवान घाटी में हुई थी. चीन ने पहले तो अपने सैनिकों की मौत से इनकार कर दिया था, लेकिन करीब एक साल बाद उसने स्वीकार किया है कि उसके सैनिकों की मौत हुई थी.
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, इस चीनी ब्लॉगर के फॉलोअर्स की संख्या लाखों में है. अब इसपर सरकार ने गंभीर आरोप लगाए हैं. ब्लॉगर पर आरोप हैं कि उन्होंने झड़प में मारे गए सैनिकों की संख्या को लेकर झूठ बोला है. 30 साल के किउ जिमिंग के खिलाफ उनकी टिप्पणियों को लेकर मामला दर्ज किया गया है. नानजिंग के पूर्वी शहर के अभियोक्ताओं का कहना है, ‘गलत तथ्यों, चीनी सीमा की रक्षा करने वाले पांच सैनिकों को बदनाम करने और समाज पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव डालने’ को लेकर ब्लॉगर के खिलाफ कार्रवाई की गई है.
वीबो पर दो पोस्ट पब्लिश कीं
ब्लॉगर ने ये खुलासे तब किए थे, जब चीन ने पहली बार स्वीकार किया था कि उसके चार सैनिकों की गलवान झड़प में मौत हो गई थी, जबकि एक गंभीर रूप से घायल हुआ था. किउ पूर्व में साप्ताहित आर्थिक ऑब्जर्वर के रिपोर्टर रहे हैं. उनके चीन के ट्विटर जैसे प्लैटफॉर्म वीबो पर 25 लाख फॉलोअर्स हैं. यहां उन्होंने अपनी दो पोस्ट पब्लिश की थीं. जिनमें लिखा था कि झड़प (Galwan Clash China) में कमांडर इसलिए बच पाया है क्योंकि वह उच्च रैंक वाला अधिकारी है. साथ ही कहा कि प्रशासन ने जितने सैनिकों की मौत की संख्या बताई है, असल में झड़प में उससे भी अधिक मारे गए हैं.
प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का आरोप
चीन ने बीते महीने चार सैनिकों की मौत की बात स्वीकार की थी, जबकि कमांडिंग अधिकारी की फबाओ (41) को गंभीर रूप से घायल बताया था. इसके बाद झड़प का एक वीडियो भी सामने आया था. शिनहुआ न्यूज एजेंसी ने किउ को लेकर कहा है कि उन्होंने अपनी सनसनीखेज पोस्ट्स से ‘नायकों की प्रतिष्ठा को नुकसान, राष्ट्रवादी भावनाओं को चोट और देशभक्तिपूर्ण दिलों को आघात पहुंचाया है.’ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी पर हमेशा से ही लोगों की आवाज को दबाने के आरोप लगते रहे हैं. वहीं रूस की समाचार एजेंसी ने बीते महीने दावा किया था कि गलवान झड़प में चीन के 45 सैनिक मारे गए हैं.