नई दिल्ली. इंडियन एयरफोर्स के गरुड़ कमांडो मुश्किल हालात में न केवल जमीन, आसमान और पानी में किसी भी ऑपरेशन को बखूबी अंजाम दे सकते हैं, बल्कि दुश्मन को घर में घुस कर भी मार सकते हैं। शुक्रवार रात आतंकियों ने पठानकोट एयरबेस पर हमला किया। आतंकियों को मारने के लिए यहां एयरफोर्स के कमांडो के साथ सिक्युरिटी फोर्सेस ने ऑपरेशन चलाया। 4 आतंकियों को अब तक मार गिराया है। हमले में एक गरुड़ कमांडो समेत 2 जवान शहीद हुए हैं।
गरुड़ कमांडो की खासियत और कैसे होती है ट्रेनिंग…
इंडियन एयरफोर्स में करीब 2000 गरुड़ कमांडो हैं, जिन्हें ढाई साल की कड़ी ट्रेनिंग के बाद तैयार किया जाता है। कमांडो ट्रेनिंग में इन्हें उफनती नदियों और आग से गुजरना, बिना सहारे पहाड़ पर चढ़ना पड़ता है। भारी बोझ के साथ कई किलोमीटर की दौड़ और घने जंगलों में रात गुजारनी पड़ती है।
कितने ताकतवर हैं गरुड़ कमांडो?
– गरुड़ कमांडो के पास इजराइल में बने किलर ड्रोन्स हैं, जो टारगेट पर बिना किसी आवाज के मिसाइल फायर कर सकते हैं।
– मॉडर्न हथियारों से लैस गरुड़ कमांडो हवाई हमले, दुश्मन की टोह लेने, स्पेशल कॉम्बैट और रेस्क्यू ऑपरेशन्स के लिए ट्रेंड होते हैं।
– एयरफोर्स के कमांडो स्निपर्स से भी लैस होते हैं जो चेहरा बदलकर दुश्मन को झांसे में लाता है और फिर मौत के घाट उतार देता है।
– गरुड़ स्पेशल फोर्स के पास 200 UAV ड्रोन के साथ-साथ ग्रेनेड लांचर भी हैं।
देश की सबसे यंग स्पेशल फोर्स
2003 में गरुड़ कमांडो फोर्स बनाने का फैसला लिया गया, लेकिन 6 फरवरी 2004 को इन्हें इंडियन एयरफोर्स में शामिल किया गया। ये भारत की यंगेस्ट स्पेशल फोर्स है।