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क्या पाकिस्तानी खुफिया ऐजेंसी के इशारे पर बांग्लादेश में मोदी यात्रा का हिंसक विरोध किया गया है ? -चंद्रकांत मिश्र (एडिटर इन चीफ)

ढाका
बांग्लादेश के आजादी की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर दो दिवसीय दौरे पर ढाका पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक कट्टर इस्लामिक संगठन विरोध कर रहा है। शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद राजधानी ढाका और चटगांव में कट्टरपंथियों ने जुलूस निकाला। जिसमें पुलिस के साथ झड़प के दौरान चार प्रदर्शनकारी मारे गए। विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए ढाका की सुरक्षा को भी बढ़ा दिया गया है। पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था का हवाला देकर आज ढाका में फेसबुक पर भी अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया है।

चटगांव में कट्टरपंथियों के प्रदर्शन में 4 की मौत
चटगांव में सुरक्षाबलों के साथ हुई हिंसक झड़प में चार लोग घायल हो गए। जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया, लेकिन उन सभी ने दम तोड़ दिया। ये लोग जुमे की नमाज के बाद चटगांव के हथाजरी मदरसे से निकले एक विरोध मार्च में शामिल थे। इस दौरान कई लोग घायल भी हुए हैं। रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि उग्र भीड़ ने स्थानीय थाने में जमकर तोड़फोड़ की। उन्होंने पत्थरबाजी के बाद थाने को आग लगाने का भी प्रयास किया। जिसके बाद ऐक्शन में आई पुलिस ने उग्र प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए बल प्रयोग किया। दावा किया जा रहा है कि इस दौरान पुलिस ने फायरिंग की, जिसमें चार लोगों की मौत हुई है।

ढाका में भी पुलिस से झड़प, फेसबुक पर बैन
जुमे की नमाज के बाद राजधानी ढाका के बैतुल मुकर्रम इलाके में भी लोगों ने प्रदर्शन किया है। इस दौरान भी पुलिस के साथ प्रदर्शनकारियों की झड़प हुई। पुलिस ने पूरे ढाका में लोगों के प्रदर्शनों पर रोक का ऐलान किया हुआ है। हिफाजत ए इस्लाम नाम के एक कट्टरपंथी संगठन ने पहले ही पीएम मोदी के दौरे का विरोध करने का ऐलान किया था। चटगांव और ढाका में विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए पूरे इलाके में पुलिस को अलर्ट कर दिया गया है।

कौन है हिफाजत-ए-इस्लाम संगठन
हिफाजत-ए-इस्लाम का गठन 2010 में बांग्लादेश के मदरसा शिक्षकों और छात्रों को मिलाकर बनाया गया था। यह एक कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन है, जिसकी अधिकतर फंडिंग पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी करती है। द इकोनॉमिस्ट के अनुसार, हिफाजत ए इस्लाम की फाइनेंसिंग का बड़ा हिस्सा सऊदी अरब के कट्टरपंथी शेखों के जरिए किया जाता है। इस संगठन ने साल 2013 में बांग्लादेश की सरकार को एक 13 सूत्रीय चार्टर सौंपा था जिसमें ईशनिंदा कानून को लागू किए जाने की मांग की गई थी।

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