अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा होने के बाद से देश में हाहाकार मच गया है। अपनी जान बचाने के लिए लोग हर संभव कोशिश कर देश छोड़ने की तलाश में हैं। काबुल से लगभग 150 किलोमीटर दूर, अफगानिस्तान के गजनी प्रांत के एक गुरुद्वारे में सुरबीर सिंह, उनकी पत्नी और उनकी दो बेटियों ने शरण ली है। गजनी प्रांत पर तालिबान ने 12 अगस्त को कब्जा जमा लिया था। गुरुद्वारे की शरण में रह रहे सुरबीर सिंह वाणिज्यिक उड़ानों के संचालन शुरू होते ही देश छोड़ने की उम्मीद में हैं। .
लोग अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने के लिए बेताब कोशिश कर रहे हैं। कुछ देश छोड़ने के लिए इतने बेताब हैं कि वे हवाईजहाज के टायरों से लिपटकर यात्रा करने को भी तैयार हैं। एयरपोर्ट के रवने पर लोगों की भारी भीड़ देखी जा रही है। काबुल एयरपोर्ट पर लोगों का तांता लग गया है। अमेरिकी सरकार के एक अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि उनके सैनिकों ने लोगों को तितर-बितर करने के लिए हवा में गोलियां चलाईं, वो कहते हैं, “हम अमेरिकी राजनयिकों और दूतावास के कर्मचारियों को निकालने के लिए एक सैन्य उड़ान पर अपना रास्ता बनाने की कोशिश कर रहे थे।”
सुरबीर सिंह ने कहा कि तालिबान के इस हफ्ते काबुल पर कब्जा करने के बाद से उनका परिवार व पांच और भारतीय गजनी छोड़ने के रास्ते तलाश रहे हैं। उन्होंने हमारे सहयोगी हिन्दुस्तान टाईम्स को बताया कि उन्हें आश्वासन दिया गया है लेकिन अभी तक कोई मदद नहीं मिली है।
सिंह कहते हैं, “नया शहर इलाके में मेरी एक छोटी सी दुकान है जहाँ मैं मसाले बेचता था। स्थानीय दुकानदारों के बीच चर्चा थी कि तालिबान कुछ ही किलोमीटर दूर हैं। इसके बाद, मैंने अपना सामान इकट्ठा किया और अपनी पत्नी और बेटियों के साथ, हम पिछले हफ्ते गुरुद्वारे आ गए। कनाडा ने कहा है कि वह 20,000 शरणार्थियों को ले जाएगा। वहां के सिख समूहों ने कहा है कि वे हमारी यात्रा और ठहरने का प्रबंध करेंगे। जो भी उड़ान हो, हम पहले पकड़ने में सक्षम हैं, चाहे वह कनाडा हो या भारत, हम देश छोड़ने की कोशिश करेंगे। ”