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एशियन-समिट में म्यांमार के आर्मी चीफ को बुलाने पर इंडोनेशिया फंस गया, सफाई देते नहीं बन रहा है – विजय शंकर दुबे (क्राइम एडिटर)

बैंकाक। म्यांमार के मौजूदा हालात पर विचार के लिए दस देशों के संगठन आसियान का जकार्ता में होने वाला विशेष समिट विवादों के घेरे में आ गया है। समिट में म्यांमार के सैन्य शासन प्रमुख को आमंत्रित करने पर म्यांमार की जनता भी भड़क गई है। साथ ही एमनेस्टी इंटरनेशनल ने आसियान से सैन्य शासन प्रमुख के खिलाफ जांच करने की मांग की है। एमनेस्टी ने इंडोनेशिया से भी सवाल किया है कि वह सात सौ से ज्यादा मौतों के जिम्मेदार नेता को कैसे अपने देश में प्रवेश करने दे रहा है।

जकार्ता की बैठक में म्यांमार के सैन्य प्रमुख मिन आंग भी लेंगे भाग
द एसोसिएशन ऑफ साउथईस्ट एशियन नेशंस (आसियान) की बैठक शनिवार को जकार्ता में होने वाली है। इस समिट में म्यांमार के सैन्य प्रमुख मिन आंग लाइंग भी भाग लेंगे। समिट में म्यांमार की वर्तमान स्थितियों पर वार्ता की जाएगी। आसियान में दक्षिण पूर्व क्षेत्र के दस देश सदस्य हैं। समिट में म्यांमार के सैन्य प्रमुख को आमंत्रित किए जाने पर लोकतंत्र समर्थक नेताओं ने सवाल उठाया है कि लोकतांत्रिक सरकार को जबरन हटाकर सत्ता पर कब्जा होने वाले मिन आंग को देश के वैधानिक प्रमुख का दर्जा कैसे दिया जा सकता है।

अतंरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंध का सामना भी कर रहे मिन आंग
मिन आंग अतंरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंध का सामना भी कर रहे हैं। आसियान को भी सैन्य प्रमुख पर प्रतिबंध लगाने चाहिए। इधर एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि इंडोनेशिया यूएन कन्वेंशन अंगेस्ट टार्चर का सदस्य है। इसलिए उसकी जिम्मेदारी है कि वह मानवता के खिलाफ अपराध करने वाले मिन आंग का स्वागत नहीं, उनके खिलाफ कार्रवाई करे। इस समिट में आसियान के सदस्य देश अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते इस बात का प्रयास करेंगे कि म्यांमार का सैन्य शासन तुरंत हिंसा बंद करे।

सेना ने प्रमुख नेताओ के खिलाफ निकाला वारंट
सैन्य शासन ने उन सभी प्रमुख 26 नेताओं के खिलाफ वारंट जारी किया है,जिन्होंने हाल ही में एकता सरकार का गठन किया है। इसमें मंत्री भी बनाए गए हैं। इन सभी को लोकतंत्र समर्थक आंदोलन की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

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