फ्रांस की सरकार ने सक्रिय सैनिकों द्वारा हस्ताक्षरित एक खुले पत्र की निंदा की है. इस पत्र में कहा गया है कि देश धार्मिक चरमपंथ (Religious Extremism) के कारण ‘गृह युद्ध’ (France Civil War) की ओर बढ़ रहा है. पत्र में लगभग 1000 सर्विसमैन और वुमैन ने अपने नाम दिया है, इसमें 20 रिटायर्ड जनरल भी शामिल हैं. इस पत्र में कट्टर पक्षधरों को देश में धार्मिक समुदायों के बीच विभाजन की लकीर खींचने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. कहा गया है कि इस्लामिक कट्टरता पूरे देश पर कब्जा कर रही है.
देश के मंत्रियों ने एक दक्षिणपंथी मैगजीन में छपे इस पत्र की निंदा की है. इस पत्र को सबसे पहले 21 अप्रैल को फ्रांस में हुए असफल तख्तापलट के 60 साल पूरा होने पर छापा गया था. पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों ने कहा कि ये चिंता का समय है, फ्रांस जोखिमों के बीच फंसा हुआ है. दक्षिणपंथी नेता मरीन ले पेन (Marine Le Pen) ने पूर्व जनरलों समर्थन किया है. ले पेन अगले साल फ्रांस में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों के लिए उम्मीदवार भी हैं.
रक्षा मंत्री ने सैनिकों को कार्रवाई की दी चेतावनी
वहीं, फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ले ने कहा कि राजनीति के संबंध में दो अपरिवर्तनीय सिद्धांत हैं, जो सेना के सदस्यों का मार्गदर्शन करते हैं: तटस्थता और निष्ठा. उन्होंने पहले चेतावनी दी थी कि सेना में अभी भी सेवा कर रहे हर उस हस्ताक्षरकर्ता पर कार्रवाई की जाएगी, अगर वह उस कानून का उल्लंघन करता है, जिसमें कहा गया है कि सैनिकों को राजनीतिक रूप से तटस्थ रहना चाहिए.
इस पत्र में क्या कहा गया है?
पत्र में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रों, उनकी सरकार और सांसदों को कई घातक खतरों की चेतावनी दी गई है. इसमें कहा गया है कि इस्मामवाद और फ्रांस के शहरों के आसपास अप्रवासियों की बस्ती बनना देश के लिए खतरा साबित हो सकता है. हस्ताक्षरकर्ताओं ने फ्रांस में समुदायों को विभाजित करने के लिए ‘एक खास नस्ल’ को दोष दिया है. कहा गया है कि ये लोग फ्रांसीसी इतिहास की मूर्तियों और अन्य पहलुओं पर हमला करके ‘नस्लीय युद्ध’ छेड़ना चाहते हैं.
हस्ताक्षरकर्ताओं ने सरकार पर हाल के सालों में विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए पुलिस का प्रयोग करने को लेकर कहा है कि इसे सरकार बलि का बकरा बना रही है. पत्र में कहा गया है कि अब कार्रवाई करने में देरी नहीं करनी चाहिए, नहीं तो कल होने वाला गृह युद्ध इस बढ़ती उठापटक और मौतों को बढ़ा सकता है. इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी, क्योंकि ऐसा होने पर हजारों की संख्या में लोग मारे जाएंगे.