म्यांमार में सैन्य शासन के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों को दबाने के लिए सेना की तरफ से की गई गोलीबारी में 8 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई। यह घटना रविवार को उस समय हुई जब लोग स्प्रिंग रिवॉल्यूशन के तहत सड़कों पर सेना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। इस प्रदर्शन में शामिल लोगों का कहना है कि हमारा मकसद दुनिया को म्यांमार में लोगों पर हो रहे अत्याचार की तरफ ध्यान दिलाना है। इस प्रदर्शन का नेतृत्व अब बौद्धा भिक्षु कर रहे हैं। लगातार यांगून और मंडले शहर में सेना की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन चल रहे हैं। लोकल मीडिया के मुताबिक, वेटलेट शहर में तीन लोगों को गोली मारकर हत्या की गई है। वहीं, शान स्टेट की कुछ बस्ती वाले इलाकों में दो लोगों की हत्या की गई है।
पुलिस बैरक के बाहर बम ब्लास्ट
इससे पहले रविवार को यांगून के पुलिस बैरक के बाहर बम ब्लास्ट हुआ था। इसके अलावा शहर के कई इलाकों में ब्लास्ट की घटनाएं हुईं थीं। इनमें एक प्रशासनिक अधिकारी के घर के बाहर यह घटना हुई। इसमें एक शख्स के घायल होने की खबर आई थी। वहीं, अस्टिटेंस एसोसिएशन फॉर पॉलिटिक्ल प्रिजनर (APPP) ने बताया कि देश में चल रहे अलग-अलग प्रदर्शन में अबतक 759 लोगों की जान चली गई है। 1 फरवरी को देश में सेना ने तख्तापलट कर दिया था।
सोशल मीडिया पर भी सेना का पहरा
इधर, सेना ने अब सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही सूचनाओं पर नियंत्रण करना शुरु कर दिया है। सेना ने कई पत्रकारों को भी गिरफ्तार किया है। इसके अलावा कई स्वतंत्र मीडिया पर भी बैन लगा दिया है। यहां चल रहे प्रदर्शनों को भी रोकने के लिए सेना दमन नीति अपनाई हुई है।
DW न्यूज एजेंसी के मुताबिक, म्यांमार में मीडिया पर काफी दवाब है। उनके सोशल मीडिया और इंटरनेट चलाने पर सख्ती बरती जा रही है। 1 फरवरी के बाद से सोशल मीडिया पर सेना का नियंत्रण देखने में आया है। यहां के जुंटा ने फेसबुक, फेसबुक मैसेंजर और व्हाटसएप पर प्रतिबंध लगा दिया है। सेना फेसबुक और इंस्टाग्राम को भी अपने हिसाब से नियंत्रित कर रही है।
इंटरनेट बैन आबादी के बड़े हिस्से पर असर, सेना के सोर्स से खबरें हो रही प्रसारित
फेसबुक ब्लॉक करने के बाद से यह बड़ा कदम बताया जा रहा है। आधे से ज्यादा आबादी इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग मुख्य रूप से जानकारी देने के लिए करते हैं। इसके अलावा लेना ने यहां 15 फरवरी से देशभर में इंटरनेट पर बैन लगा रखा है। जो रात एक बजे से सुबह 9 बजे तक जारी रहता है। इसके अलावा 15 मार्च से मोबाइल इंटरनेट बैन कर रखा है। सिर्फ ब्रॉडबैंड से नेट चलाने पर रोक नहीं है। इस कदम ने आबादी के बड़े हिस्से पर असर किया है। अब उन्हें सिर्फ सेना के सोर्स से ही खबर प्रसारित की जा रही है।
साथ ही यहां कुछ टीवी चैनल सेना के नियंत्रण में काम कर रहे हैं।। स्टेट टेलीविजन स्टेशन MRTV प्रदर्शकारियों की तस्वीरें और नाम जारी कर रहा है। साथ ही उन्हें देश का दुश्मन बता रहा है। हाल ही में मिलिट्री ब्रॉडकास्टर Myawaddy टीवी ने कहा है कि पिछले 30 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है, जब सेना की हत्या के आरोप में 19 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई है।
DW न्यूज एजेंसी के मुताबिक, सरकारी स्वामित्व वाले अखबार द ग्लोबल न्यू लाइट ऑफ म्यांमार ने निर्वाचित सरकार, सैन्य कानून और नैतिक दायित्वों के बारे में विस्तार से बताया है। मिजिमा, डेमोक्रेटिक वॉयस ऑफ बर्मा, थिट-थिट मीडिया, म्यांमार नाउ, 7 डी न्यूज और अन्य स्वतंत्र मीडिया आउटलेट पर प्रतिबंध लगाया है। वहीं, कुछ पत्रकार दूसरे देशों से लगातार सैन्य शासन के खिलाफ खबर प्रकाशित कर रहे हैं।
48 पत्रकारों की हो चुकी है गिरफ्तारी
ह्यूमन राईट के कार्यकर्ताओं मुताबिक, अबतक 48 पत्रकारों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इसके अलावा 23 पत्रकारों को गिरफ्तारी के बाद छोड़ दिया है। अधिकतर पर नए कानून के उल्लंघन का आरोप लगाया है। इनपर अफवाह, बयान या गलत रिपोर्ट प्रसारित करने और देश की आबादी में भय फैलाने के आरोप के तहत कार्रवाई की गई है। इससे पहले 1 मार्च को साउथ कोस्टल टाउन के रहने वाले पत्रकार पर पुलिस ने उसके घर के पास फायरिंग कर दी थी। फिलहाल वह अभी भी सेना की गिरफ्त में है।