एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

जर्मनी के एक अखबार का बड़ा दावा : पुतिन ने रूसी पत्रकारों से जर्मनी में नवेलिनी की करायी थी जासूसी -चंद्रकांत मिश्र (एडिटर इन चीफ)

रूस के टीवी चैनल रशिया टुडे (आरटी) पर जर्मनी में जासूसी करने का आरोप लगा है। जर्मन अखबार बिल्ड ने इस बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट छापी है। जानकारों ने कहा है कि कई हलकों में आरटी की गतिविधियों को लेकर शक पहले से था। बिल्ड की ताजा खबर के बाद अब पूरे यूरोप में इस चैनल और इसकी वेबसाइट के खिलाफ माहौल बन सकता है।
बिल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक जब रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन के विरोधी नेता अलेक्सी नवालनी का बर्लिन के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था, तब आरटी ने अपने दो संवाददाताओं को उनकी जासूसी करने के लिए भेजा। बिल्ड ने अपनी रिपोर्ट का आधार टेलीग्राम एप पर लीक हुई बातचीत को बनाया है। इस बातचीत में आरटी के एक पूर्व कर्मचारी को यह कहते बताया गया है कि उसे अपने चैनल के लिए जासूसी करनी पड़ी थी।
ये रिपोर्ट छपने के बाद आरटी ने कहा है कि वह बिल्ड के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की संभावना तलाश रहा है। आरटी ने जवाबी आरोप लगाया है कि ये खबर ब्रेक करने वाले रिपोर्टर जुलियन रोयपके का संबंध अतीत में उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के एक ऐसे पोर्टल से रहा है, जिसका काम झूठी सूचनाएं फैलाना था। आरटी चैनल पर एक प्रोग्राम में बिल्ड की रिपोर्ट का खंडन किया गया। उसमें यह दावा किया गया कि बिल्ड की रिपोर्ट में जो लिखा गया है, उससे कुछ भी सामने नहीं आया है। बल्कि उससे यही जाहिर होता है कि रिपोर्टरों ने सिर्फ अपना काम किया।
गोइंग अंडरग्राउंड नाम के इस कार्यक्रम में कहा गया- रिपोर्टर हमेशा ही अपने सूत्रों से बात करते हैं और खास खबर निकालने की कोशिश करते हैं। इसके लिए वे अधिक से अधिक सवाल पूछते हैं। आरटी के सवाल पूछने में अंतर यह है कि उनका संबंध भू-राजनीतिक घटनाओं और सत्ता संघर्षों से होता है, जिनका संबंध धरती के जीवन- मरण से है।
बिल्ड की खबर में दावा किया गया है कि आरटी ने जासूसी रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन के आदेश पर कराई। इसके मुताबिक आरटी के कर्मचारी डैनियल लैंग ने कहा है कि उनसे नवालनी की खबर पर निकटता से नजर रखने को कहा गया। एक बार उनसे उस क्लीनिक में जाने को कहा गया, जहां नवालनी का इलाज चल रहा था। लैंग ने कहा- ‘मुझे नहीं मालूम है कि क्या जासूसी थी, लेकिन मुझे महसूस हुआ कि मैं एक एजेंट के रूप में काम कर रहा हूं।’ टेलीग्राम चैट में की गई इन टिप्पणियों को बिल्ड ने अपनी स्टोरी का हिस्सा बनाया है।
दूसरी तरफ आरटी ने बिल्ड के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है। उसके कार्यक्रम में कहा गया कि बिल्ड एक संदिग्ध अखबार है, जिसका संदेहजनक और मसालेदार रिपोर्टिंग का लंबा इतिहास है। आरटी ने जर्मन प्रेस काउंसिल के आंकड़ों के हवाले से बताया है कि 2015 से 2020 के बीच बिल्ड को परिषद ने 72 बार फटकार लगाई। इतनी फटकार किसी दूसरे प्रकाशन को नहीं लगाई गई।
आरटी की जर्मनी स्थित प्रधान संपादक दिनारा तोकोसुनोवा ने कहा है कि आरटी बिल्ड को कोर्ट ले जाएगी। आरटी ने कहा है कि बिल्ड के नाटो से संबंधों पर गौर करना जरूरी है। कानूनी कार्यवाही के दौरान इन सबकी चर्चा होगी। यह बिल्ड के पाठकों के लिए एक दिलचस्प घटनाक्रम साबित होगा।

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