सांकेतिक तस्वीर।
इस्लामाबाद। पाकिस्तान का आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के सरगना मुफ्ती नूर वली मेहसूद ने पाकिस्तान को खुली धमकी देते हुए कई चौंकाने वाले खुलासा किया है। नूर वली ने कहा कि तालिबान की मध्यस्थता से पाकिस्तान से बातचीत चल रही है लेकिन अगर यह फेल होती है तो हम पाकिस्तान पर और भी ज्यादा हमले करेंगे। हमारा जिहाद जारी रहेगा,इस दौरान नूर वली ने यह भी साफ कर दिया कि उनके संगठन को नई दिल्ली से किसी भी तरह की कोई मदद नहीं मिल रही है। बता दे कि पाकिस्तान हमेशा से भारत पर यह आरोप लगाता रहा है कि इस संगठन को भारत हर ढंग से मदद मुहैया करा रहा है।
इतना ही नहीं TTP चीफ ने आगे भी कहा कि टीटीपी चीनी नागरिकों पर हमला नहीं किया था। इस तरह के हमले पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी कराती है ताकि चीन का शोषण किया जा सके। यह ठीक उसी तरह से है जैसे पाकिस्तान ने अमेरिका का किया था। यही नहीं नूर वली ने आगे यह भी दावा किया कि टीटीपी अपनी जमीन के लिए जंग लड़ रही है और तालिबान के साथ तनाव का कोई सवाल ही नहीं उठता है। नूर ने आगे यह भी खुलासा किया कि पाकिस्तान की तरफ से इमरान खान के करीबी लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद बातचीत का लीडरशिप कर रहे हैं।
टीटीपी चीफ मेहसूद ने आगे यह भी साफ किया कि पाकिस्तान सरकार के साथ चल रही बातचीत में अभी कोई सफलता नहीं मिली है। आतंकी सरगना ने यह भी साफ कर दिया कि अगर पाकिस्तान सरकार के साथ बातचीत सफल भी हो जाती है तो भी टीटीपी न तो भंग होगा और न ही आत्मसमर्पण करेगा।
मेहसूद ने कहा कि अगर पाकिस्तान सरकार के साथ कोई समझौता होता है तो टीटीपी सदस्यों के खिलाफ पाकिस्तान में चल रहे सभी मुकदमे खत्म हो जाएंगे। उसने कहा कि इन हमलों में दोनों ही पक्षों को नुकसान हुआ है लेकिन पाकिस्तानी सरकार को ज्यादा नुकसान हुआ है। आतंकी सरगना ने कहा कि टीटीपी के बढ़ते हमलों से घबराकर पाकिस्तान सरकार बातचीत को मजबूर हुई है। भारत से पैसा मिलने के सवाल पर मेहसूद ने साफ किया कि टीटीपी एक स्वतंत्र आंदोलन है और यह किसी सरकार के नियंत्रण में नहीं है। उसने कहा कि पाकिस्तान में सेना ही असली फैसले लेने वाली एजेंसी है।
मेहसूद ने कहा कि लोकतंत्र इस्लाम विरोधी है और पाकिस्तान की जनता को टीटीपी में शामिल होना चाहिए या हमारी मदद करनी चाहिए क्योंकि पाकिस्तान का निर्माण इस्लाम के नाम पर हुआ था। उसने यह भी कहा कि टीटीपी को ब्लैक लिस्ट से निकलवाने की जिम्मेदारी भी पाकिस्तानी सेना की है। बता दें कि फाटा को अलगकर इस पश्तून बहुल इलाके में टीटीपी एक शरिया कानून से शासित इलाका बनाना चाहता है जहां पाकिस्तान सरकार का कोई शासन नहीं होगा। इस कानून को लागू करवाने का जिम्मा भी टीटीपी के पास होगा। फिलहाल,TTP ने साफ कर दिया है कि अब पाकिस्तान को हर हाल में उसकी मांग स्वीकार करनी पड़ेगी, यदि ऐसा नहीं हुआ तो पाकिस्तान के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं होगा, अब ऐसे में इस्लामाबाद के सामने बड़ी मुसीबत के तौर पर TTP उभर रहा है,जबकि पाक फौज बलूच विद्रोहियों का सामना नहीं कर पा रही है और ऐसे में अब TTP इस दोहरे मुसीबत से कैसे निपटेगा पाकिस्तान ? यह तो आने वाला वक्त ही बता सकता है।