सांकेतिक तस्वीर।
नई दिल्ली/उदयपुर। बीते दिनों राजस्थान के उदयपुर में टेलर कन्हैयालाल की बेहद क्रूरतापूर्वक हत्या करने वाले आरोपी रियाज जब्बार और गौस मोहम्मद के बारे में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं। बताया जा रहा है कि ये आरोपी राजस्थान के 8 जिलों में खूंखार आतंकी संगठन ISIS के लिए स्लीपर सेल का सिंडीकेट बना रहे थे। जहां रियाज ने इसके लिए पाकिस्तान के कराची में आतंक की ट्रेनिंग भी ली थी।
बताते चले कि रियाज 20 साल पहले घर छोड़कर उदयपुर आ गया था। यहां उसकी दोस्ती गौस मोहम्मद से हुई थी। दोनों ज्यादातर समय साथ ही रहते थे। इसी दौरान रियाज पाकिस्तान से ऑपरेट होने वाले ग्रुप दावत-ए-इस्लाम के सम्पर्क में आया। इसी ग्रुप ने उसकी भी शादी कराई। दावत-ए-इस्लाम के मौलाना ने रियाज का ब्रेनवॉश भी किया और ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान बुलाया।
ट्रेनिंग के बाद रियाज ने गौस मोहम्मद को भी अपने साथ जोड़ लिया। दोनों उदयपुर, भीलवाड़ा, अजमेर, राजसमंद, टोंक, बूंदी, बांसवाड़ा,जोधपुर जिलों में गरीब और बेरोजगार युवाओं को उकसा कर स्लीपर सेल से जोड़ रहे थे। आशंका है कि ये स्लीपर सेल खूंखार आतंकी संगठन ISIS के लिए बनाए जा रहे थे और इसके लिए अरब देशों से फंडिंग भी की गई।
दावा है कि साल 2014 में रियाज और गौस 30 लोगों के साथ पाकिस्तान के कराची गए इस दौरान उनके साथ उदयपुर के वसीम अख्तरी और अख्तर राजा भी थे। यहां उन्हें आतंकी संगठनों ने ट्रेनिंग दी। 45 दिन की ट्रेनिंग के बाद 1 फरवरी 2014 को दोनों भारत वापस आ गए। दोनों दावत-ए-इस्लामी और पाकिस्तान के राजनीतिक दल तहरीक-ए-लब्बैक के सम्पर्क में थे।
रियाज और गौस मोहम्मद फंडिंग के लिए 2014 और 2019 में सऊदी अरब और 2017-18 में नेपाल गए थे। सऊदी अरब में वे सलमान और अबू इब्राहिम के लगातार सम्पर्क में थे। यह दोनों भी दावते-ए-इस्लाम संगठन से जुड़े थे।
इस दौरान यह भी खुलासा हुआ है कि अरब देशों से मिली फंडिंग से दोनों ने पहले गरीब और बेरोजगार युवाओं की मदद की और उन्हें विश्वास में ले लिया। दोनों का मकसद राजस्थान में स्लीपर सेल का नेटवर्क तैयार करना था। फिर उदयपुर,बांसवाड़ा,जोधपुर,भीलवाड़ा,अजमेर,राजसमंद,टोंक, बूंदी जिलों के युवाओं को कई वॉट्सऐप ग्रुप से जोड़ा। ग्रुप में ब्रेनवॉश के लिए भड़काने वाले वीडियो डालते।
रियाज युवाओं को दूसरे धर्म के लोगों पर हमला करने के लिए उकसाता। उनसे कहता- बदला लो या चूड़ियां पहन लो। रियाज ने वीडियो जारी कर उदयपुर के हिस्ट्रीशीटर और बदमाशों को भी हमले के लिए उकसाया था। यही नहीं
उदयपुर में हत्यारों ने पहले भी लोगों को भड़काया था।
सऊदी अरब के सलमान और अबू इब्राहिम ने नूपुर शर्मा के बयान के बाद रियाज और गौस को भी ‘मिसाल कायम करने’ के लिए कहा। इसके बाद 20 जून को उदयपुर में दोनों ने कुछ लोगों के साथ मीटिंग की और कन्हैयालाल को मारने का प्लान बनाया। यह भी कहा जा रहा है कि दोनों आरोपी पाकिस्तान के आठ से 10 मोबाइल नंबरों से पर लगातार संपर्क में है।
दरअसल,कन्हैया को 15 जून से मारने की धमकियां मिल रही थीं। पड़ोसी दुकानदार और एक महिला पहले उसे धमकाने आए थे। रियाज और गौस की पूरी टीम कन्हैयालाल के हर मूवमेंट पर नजर रख रही थी। गौस ने कन्हैया को मारने के लिए गंडासे जैसा हथियार बनाया था।
रियाज ने एक वीडियो बनाकर कन्हैया के मर्डर का ऐलान कर दिया था। इसके बाद 28 जून को रियाज और गौस ने कन्हैयालाल के दुकान खोलने के कुछ घंटे बाद ही हत्या कर दी। दोनों ने हत्या का भी वीडियो बनाया और इस विडियो को वायरल भी किया।
इतना ही नहीं रियाज के तार आतंकी संगठन अलसूफा से भी जुड़े होने की रिपोर्ट सामने आई हैं। वह 5 साल से अलसूफा के लिए उदयपुर और आसपास के जिलों में काम कर रहा था। पहले वह मुजीब के अंडर में काम करता था। ढाई माह से वही इलाके में अलसूफा को लीड कर रहा था। क्योंकि
30 मार्च को चित्तौड़ के निम्बाहेड़ा में पुलिस ने 3 आतंकियों से 12 किलो विस्फोटक बरामद किया था। इससे जयपुर और अन्य जगह सीरियल ब्लास्ट की साजिश थी। मुजीब इसी मामले में जेल में बंद है। रियाज मोबाइल, इंटरनेट कॉलिंग व सोशल मीडिया के जरिए आईएस के सीधे संपर्क में था।
फिलहाल,इस घटना में जिस बात कि आशंका थी वहीं सामने आ रहा है, जो कि साबित करने के काफी है कि इस घटना का पूरा ताना-बाना बहुत पहले ही पाकिस्तान में रचा गया था बस उचित मौके की तलाश थी और जैसे ही नुपूर शर्मा के बयान ने तूल पकड़ा,तुरंत ये आरोपी अपने हरकत को अंजाम देने के लिए सक्रिय हो गए और बीते दिनों टेलर कन्हैया को टारगेट करते हुए उसका सर कलम करके विडियो भी जारी कर दिया,हालांकि ऐजेंसी की जांच अभी जारी है जिससे संभावना है कि आगे और भी चौंकाने वाले तथ्य सामने आयेंगे। वहीं,इस घटनाक्रम में जैसे ही पाकिस्तान की भूमिका सामने आई तुरंत सफाई के मोड में आते हुए पाकिस्तान ने इस घटना पर कहा कि उसकी इमेज खराब करने की कोशिश है,इस घटना से पाकिस्तान का कोई सरोकार नहीं है। अब सवाल उठता है कि इस्लामाबाद भले ही पर्दा डालने की कोशिश कर रहा है लेकिन जांच के दौरान भारतीय ऐजेंसियों को जो प्रमाणिक तथ्य मिले है उसको कैसे झुठलाया जा सकता है ?