
सांकेतिक तस्वीर।
नई दिल्ली। लगातार चौतरफा मुसीबतों का सामना कर रहे पाकिस्तान में पिछले कुछ महिनो से लगातार भारत विरोधी आतंकियों का अज्ञात हमलावरों द्वारा कत्ल किया जा रहा है। जिसे लेकर गैर आधिकारिक रूप से तो पाकिस्तानियों द्वारा भारतीय ऐजेंसी राॅ और भारत के NSA अजित डोभाल को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। लेकिन जब आधिकारिक रूप से बोलने की बारी आती है तो इस्लामाबाद बचता नजर आता है।
जहां पाकिस्तान के इस खामोशी के पीछे उस प्रमुख “कारण” को “सीक्रेट आपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह ने अब ट्रेस कर लिया है।
दरअसल, पाकिस्तान के इस चुप्पी के पीछे सबसे बड़ा कारण है कि यदि वह खुलेआम इन घटनाओं के लिए भारत को जिम्मेदार मानता है तो उसे पाकिस्तानी अवाम के साथ अन्य कई तरह के भारी दबाव का सामना करना पड़ेगा, ऐसे में तब पाकिस्तान के पास युध्द के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचेगा, और पाकिस्तान अपनी औकात अच्छी तरह से जानता है कि भारत के खिलाफ जंग छेड़ने का मतलब एक तरह का सुसाइड।
अब ऐसे में यदि पाकिस्तान इस जंग के लिए इंटरनेशनल लेवल की मदद की उम्मीद करता है तो वहां भी उसके हाथ सिर्फ और सिर्फ निराशा हाथ लगेगी, क्योंकि इस्लामाबाद को बहुत ही अच्छी तरह से मालूम है कि इंटरनेशनल लेवल पर इस समय नई दिल्ली पूरी तरह से हावी है। क्योंकि अमेरिका और नाटों भारत के खिलाफ कतई नहीं पाकिस्तान का साथ देंगें, वहीं बात चीन की करें तो वह भी क्रेमलिन के विरूद्ध नहीं जायेगा, यानि रूस की इच्छा के विरूद्ध चीन भी इस मसले पर पाकिस्तान की कोई मदद नहीं कर पायेगा। जबकि चीन-पाकिस्तान आपस में गहरे दोस्त है फिर भी वह इस्लामाबाद की चाहकर भी कोई मदद नहीं कर पायेगा, अब ये बात दीगर है कि डिफेंस डील के चलते सैन्य संसाधन वह पाकिस्तान को भेजता रहेगा लेकिन वह भी पूर्व में किये गये समझौते के अनुसार ही, यानि अतिरिक्त मदद नहीं कर सकता।
ऐसे में अब यह पूरी तरह से साफ हो जाता है कि पाकिस्तान इस समय भारत से जंग लड़ने की स्थिति में कतई नहीं है। इतना ही नहीं पाकिस्तान को यह भी डर सता रहा है कि यदि वह भारत से भिढ़ता है तो “पाक अधिकृत कश्मीर” पर भारतीय फौजें तुरंत कब्जा कर सकती हैं,यानि यह इलाका उसे गंवाना पड़ सकता है। क्योंकि नई दिल्ली बार-बार पाक अधिकृत कश्मीर का चर्चा कर रही है। यहीं कारण है कि पाकिस्तान की इस समय सांप छछूंदर वाली हाल हो चुकी है। यानि यदि वह पाकिस्तान में हो रहे भारत विरोधी आतंकियों के कत्ल में भारत का नाम लेता है तो उसे कई तरह के भारी दबाव का सामना करना पड़ सकता, जो कि उसे जंग के मुहाने पर खड़ा कर सकती हैं। और यह बताने की जरूरत नहीं है कि जंग का परिणाम क्या होगा ?
और यदि नाम नहीं ले रहा है तो उसके वें सांप हलाक हो रहे हैं जिनका इस्तेमाल वह भारत के खिलाफ करता चला आया है। ऐसे में पाकिस्तान अपनी भलाई समझते हुए जानबूझकर इस मुद्दे पर चुप्पी साधा हुआ है।
हालांकि, भारत को भी उलझाने और अपनी इज्जत बचाने के लिए वह सिख फार जस्टिस के सरगना गुरूपतवंत सिंह “पन्नू” को उकसा रहा है,लेकिन गुरूपतवंत सिंह उस स्थिति में नहीं है जो कि वह पाकिस्तान के अनुसार परिणाम दे सकें। वहीं, इस तरह की हो रही हत्याओं से पाकिस्तानी आतंकी संगठनों में भारत से ज्यादा पाकिस्तान हुकूमत और पाक फौज के खिलाफ आक्रोश की रिपोर्ट है। क्योंकि,पाकिस्तान इस मुद्दे पर खुलकर सामने नहीं आ रहा है। वह सिर्फ अपने आतंकियों को बचाव से संबंधित जरूरी दिशा-निर्देश देकर पल्ला झाढ़ रहा है। अब ऐसे में सवाल उठता है कि पाकिस्तान कब तक इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रहता है ? क्योंकि, ये आतंकी संगठन भी अब पाकिस्तानी हुकूमत और पाक फौज पर दबाब बनाना शुरू कर दिये है।
