IAC विक्रांत,फोटो साभार -(इंडियन नैवी के ट्वीटर से)
नई दिल्ली। समुंदर में दुश्मन को नेस्तनाबूद करने के लिए भारतीय नौसेना का स्वदेशी विमान वाहक पोत (IAC) विक्रांत रविवार को अपना चौथे चरण का समुद्री परीक्षण पूरा कर लिया। इस परीक्षण के दौरान IAC विक्रांत से अधिकांश उपकरणों और प्रणालियों का परीक्षण किया गया। बता दे कि विक्रांत का यह परीक्षण 15 अगस्त को भारतीय नौसेना में शामिल होने से पहले हुआ है।
फोटो, साभार -(इंडियन नेवी के ट्वीटर से)
बता दे कि भारतीय नौसेना के नौसेना डिजाइन निदेशालय (डीएनडी) की ओर से डिजाइन किए गए विक्रांत को राज्य के स्वामित्व वाली कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) में बनाया गया है। करीब 37500 टन के डिस्प्लेसमेंट के साथ विक्रांत ने भारत को उन चुनिंदा देशों की शामिल कर दिया है जो विमान वाहक बनाने हैं। मौजूदा समय में यूएस,यूके,रूस,फ्रांस और चीन में विमान वाहक बनाने की क्षमता है।
भारत के इस स्वदेशी विमान वाहक के जरिए मिग-29 लड़ाकू विमान, कोमोव-31 हेलीकॉप्टर, एमएच-60 आर मल्टी रोल हेलीकॉप्टर और स्वदेशी उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर का संचालन करेगा। इसका नाम 1961 से 1997 तक नौसेना द्वारा संचालित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के नाम पर रखा गया है जो कि अब रिटायर हो चुका है।
दरअसल,भारत वर्तमान में अकेला विमानवाहक पोत आइएनएस विक्रमादित्य संचालित करता है,जिसे रूस से 2.33 अरब डॉलर में खरीदा गया था। वहीं, पड़ोसी देश चीन दो विमान वाहक CV-16 लियाओनिंग और CV-17 शेडोंग संचालित करता है। इसके अलावा हिंद महासागर में अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए तीसरे विमान वाहक का निर्माण कर रहा है। विक्रांत के निर्माण में 76 फीसदी सामान भारत के हैं। चूंकि इस विमान वाहक पोत का निर्माण साल 2009 में शुरू हुआ था,जो कि अब पूरी तरह से यह तैयार हो चुका है,जिसे आने वाले 15 अगस्त को भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया जाएगा।