इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

“सीक्रेट आपरेशन” का एक और बड़ा दावा, चीन ने रूस को दिया बड़ा धोखा,चुपके से रूस के साथ लगती सीमा पर तैनात किया परमाणु हथियारों से लैश हाइपरसोनिक मिसाइलों का जखीरा – चंद्रकांत मिश्र (एडिटर इन चीफ)


सांकेतिक तस्वीर।

माॅस्को/बीजिंग। दुनिया के कई हिस्सों में जारी भीषण जंग के बीच धोखेबाज़ चीन की एक और चालबाज़ी की रिपोर्ट सामने आई है, जहां “सीक्रेट आपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह की पड़ताल में यह पता चला है कि रूस-यूक्रेन जंग के बीच मौके का फायदा उठाते हुए चीन की PLA ने बेहद चुपके से रूस के साथ चीन की लगती लंबी सीमा पर बेहद घातक हथियारों की तैनाती कर दिया है,इतना ही नहीं चीन घातक परमाणु हथियारों से लैश हाइपरसोनिक मिसाइलों को भी चुपके से रूस बार्डर के पास तैनात किया हुआ हैं,जिसकी जानकारी शायद हीं रशियन ऐजेंसियों को हो।

दरअसल,विश्वस्त सूत्रों के हवाले से “सीक्रेट आपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह को यह मालूम हुआ है कि जबसे रूस, यूक्रेन के साथ जंग में उलझा हुआ है, उसके बाद से ही चीनी सेना ने बहुत ही शातिर तरीके से इंटेलीजेंस सेटेलाईट की नजर में आये बिना रूस के साथ लगती लंबी सीमा पर घातक हथियारों,Dron व परमाणु हथियारों से भी लैश हाइपरसोनिक मिसाइलों को तैनात करना शुरू कर दिया, जिसकी पुष्टि सूत्रों ने किया है। सूत्रों का कहना है कि इस तरह के घातक हथियारों से लैश चीनी सेना के ये तमाम सैन्य वाहन रूटिन सैन्य कार्यवाही के तहत इस हरकत को अंजाम दिये है। इतना ही नहीं इन सूत्रों को इस बात की भी आशंका है कि चीनी सेना ऐसे कुछ लोकेशन पर अंडरग्राउंड सुरंग बनाने के भी सीक्रेट मिशन पर सक्रिय है।

ऐसे में चीनी सेना की यह हरकत तमाम तरह के सेटेलाईट की नजर में नहीं आई। रही बात ग्राउंड इंटेलीजेंस नेटवर्क की तो इस मामले में रशियन ऐजेंसियां धोखा का गई है, क्योंकि रूस का पूरा फोकस इस समय यूक्रेन और नाटों मूवमैंट पर है। जहां ऐसे मौकों का भरपूर फायदा उठाना चीन की पुरानी आदत रही है,फिर क्या दोस्त और क्या दुश्मन, कोई फर्क नहीं पड़ता चीन को। इससे पहले जब रूस-यूक्रेन जंग के कुछ महिने बीत गए थे तब यह खुलासा हुआ था कि चीन की खुफिया एजेंसियां रूस के हाइपरसोनिक मिसाइलों की तकनीकी चुराने के सीक्रेट मिशन पर सक्रिय है। जिसे लेकर इंटरनेशनल मीडिया में भी कई दिनों तक हड़कंप मचा था। हालांकि, चीन अपनी अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से सटे हुए देशों के खिलाफ इस तरह की तैनाती और अन्य सैनिक गतिविधियों को ठीक इसी तरह से अंजाम देता रहा है,जिसकी पुष्टि खुद पेंटागन भी कई बार कर चुका है।

चूंकि,बीते साल के 24 फरवरी को जब रूस ने यूक्रेन पर हमला शुरू किया था तो उस समय पूरी दुनिया तीन धड़ों में बंट गई थी, जिनमें अमेरिका के नेतृत्व मे पूरा नाटों समूह था,हालांकि कुछ नाटों सदस्य इस जंग में अमेरिका और ब्रिटेन के विपरीत रहे हैं जिसमें टर्की प्रमुख रूप से शामिल था। वहीं रूस के साथ चीन,उत्तर कोरिया ईरान और सीरिया थे जबकि तीसरा गुट निरपेक्ष का रहा जिसमें भारत और उसके उप महाद्वीप के कई देश थे। यही तीनों गुट शीतयुद्ध के दौर में भी सक्रिय थे।

बता दे कि शीतयुद्ध के दौर में सोवियत संघ का चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर कई बार झड़प भी हो चुका है, जहां इस दौरान रूस ने चीन के खिलाफ परमाणु हमले की भी तैयारी कर लिया था लेकिन अमेरिका के बीच-बचाव में आ जाने से रूस पीछे हट गया था। ऐसे में तमाम तथ्यों व सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार “सीक्रेट आपरेशन” मीडिया हाउस पूरी जिम्मेदारी के साथ चीन के इस हरकत को लेकर अपने इस दावें पर पूरी तरह से कायम है। मालूम हो कि “सीक्रेट आपरेशन” के तमाम दावें और खुलासे अब तक सौ फीसदी सच साबित हुए हैं।

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