स्पेशल रिपोर्ट

जंग में दुश्मन को नेस्तनाबूद करने के लिए देश में पहली बार आर्टिफीसियल इंटेलीजेंस के कई घातक उपकरण किये गये लांच – राकेश पांडेय/रविशंकर मिश्र


सांकेतिक तस्वीर।

नई दिल्ली। डिफेंस सेक्टर दिल्ली में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानि (AI) आधारित 75 सैन्य तकनीक और साजो सामान भारत के तीनों सेनाओं को सौंपी गई। इस दौरान इन सभी तकनीक और प्रोडेक्ट्स की प्रदर्शनी का निरीक्षण खुद देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया।

इस दौरान एक-एक सैन्य संसाधनों को क्रमवार तरीके से सामने रखते हुए उनके बारे में विधिवत जानकारी दी गई। जहां साइलेंट सतंरी का उल्लेख किया गया जिसमें बताया गया कि यह साइलेंट संतरी जो कि एक रोबोट है जो देश की सरहदों की निगरानी करने के लिए काफी कारगर तकनीक है। क्योंकि यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित है,इस सिस्टम को पाकिस्तान से सटी एलओसी (LOC) या फिर किसी अन्य संवेदनशील बार्डर पर लगी कटीली तार पर लगाया जा सकता है। ये रेल माउंटेड डिवाइस है यानि इसे कटीली तार पर एक छोटी सी ट्रैक पर फिट किया जा सकता है। छह घंटे तक इसे एक किलोमीटर की सीमा पर निगरानी के लिए लगा दिया जाता है। जैसे ही कोई दुश्मन सैनिक या फिर आतंकी एलओसी पर घुसपैठ करने की हिमाकत करेगा साइलेंट संतरी तुरंत कमांड एंड कंट्रोल सेंटर में बैठे सैनिक को अलर्ट कर देगा और सैनिक तुरंत एलओसी पर पहुंचकर आने वाले खतरे से निपट सकता है।

वहीं,देश की पहली ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन डिफेंस’ नाम की एक प्रदर्शनी और संगोष्ठी को संबोधित करते हुए खुद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आज के समय में हर हथियार में एआई का इस्तेमाल होने लगा है। उसी एआई आधारित एक हथियार को सेना के आर्मी डिजाइन बोर्ड (एडीबी) ने तैयार किया है। ये तकनीक किसी भी एलएमजी, इंसास या फिर एके-47 राइफल पर लगाई जा सकती है। इसके लगाने के बाद ये गन पर लगे कैमरे से खुद-बे-खुद टारेगट सेट करती है और राइफल सटीक निशाना लगाती है। किसी सैनिक को इस गन का ट्रिगर दबाने की जरुरत भी नहीं पड़ती है।

उधर,त्रिशूल रिमोट वैपन सिस्टम के बारे में भी बताया गया कि 300 मीटर की रेंज में किसी भी स्टेटिक टारगेट पर त्रिशुल-रिमोट वैपन सिस्टम 100 प्रतशित सटीक निशाना लगाती है। अगर टारगेट मूविंग है तो इसकी एक्यूरेसी रेट 90 प्रतिशत है। इसे किसी भी मिलिट्री-व्हीकल या फिर आर्मी पर्सनल कैरियर (एपीसी) के ऊपर लगाया जा सकता है। क्योंकि कश्मीर और उत्तर-पूर्व के राज्यों में सीआई-सीटी यानि काउंटर इनसर्जेंसी और काउंटर टेरेरिज्म इलाकों में आतंकी सेना की गाड़ी पर ऊपर तैनात सैनिक को निशाना बना सकते हैं। ऐसे में दिन-रात कभी भी इस एआई अस्सिटेट रिमोट वैपन सिस्टम का इस्तेमाल किया जा सकता है।

इस दौरान मैंडेरिन ट्रांसलेटर डिवाइस को भी सामने पेश किया गया,जिसके बारे में कहा गया कि बिना इंटरनेट के चीन के मैंडेरिन भाषा को रियल-टाइम में इंग्लिश में तब्दील करने वाले एक पॉकेट साइज का डिवाइस है,जिसे देखकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी थोड़ा चौंक गए। इस डिवाइस के बारे में बताया गया कि करीब 600 ग्राम के इस डिवाइस को सैनिक अपने बाजू पर या फिर बेल्ट बांधने वाली जगह पर लगा सकता है। इस पोर्टबेल डिवाइस से ईयर-फोन अपने कान में लगाना है और पांच फीट दूरी पर खड़े चीनी सैनिक की बातचीत को अंग्रेजी में भी सुना जा सकता है।

इसी क्रम में देश की डिफेंस पीएसयू,भारत डायनेमिक्स लिमिटेड यानि बीडीएल ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल एंटी टैंक गाईडेड मिसाइल (ATGM) मे किया है। इस एआई तकनीक से सैनिक को दुश्मन के टैंक या फिर आर्मर्ड पर्सलन कैरियर व्हीकल यानि एपीसी पर सटीक मिसाइल दागने में खासी मदद मिलेगी। रुस-यूक्रेन युद्ध में टैंक और एपीपी व्हीकल्स का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हुआ है।इसके अलावा एटीजीएम का भी जमकर इस्तेमाल हुआ है।

वहीं,पाकिस्तान से सटी एलओसी हो या फिर चीन से सटी एलएसी भारतीय सैनिकों को हमेशा लैंड-माइंस का खतरा बना रहता है। ऐसे में भारतीय सेना ने एक अनमैनड व्हीकल तैयार किया है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से लैंडमाइन्स को डिटेक्ट कर सकती है। इसके बारे में बताया जा रहा है कि ये छोटा सा रोबोटिक-व्हीकल लैंड माइन्स को डिटेक्ट कर सैपर को सही सही जानकारी दे सकता और फिर इस बारुदी सुंरग को आसानी से निष्कृय करने में काफी मददगार साबित हो सकता है।

इस दौरान सस्पिशियस व्हीकल डिटेक्शन सिस्टम यानि एसवीडीएस से सड़क पर दौड़ रही किसी भी संदिग्ध गाड़ी को पहचान करने वाले डिवाइस को भी लांच किया गया। इस डिवाइस की मदद से किसी भी सीआई-सीटी एरिया में संदिग्ध गाड़ी को आसानी से पहचाना जा सकता है। इस सिस्टम में सड़क परिवहन मंत्रालय के ‘वाहन’ डाटा और आरटीओ के डाटा से मैच कर संदिग्ध गाड़ी की पहचान की जाती है।

इतना ही नहीं प्रोएक्टिव रियल टाइम इंटेलीजेंस एंड सर्विलांस मॉनेटर (प्रिज्म)सिस्टम से किसी भी वीडियो फुटेज की क्वालिटी को बढाने वाले सिस्टम को सामने रखा गया। इस सिस्टम की मदद से सरहद पर तैनात लारोज या फिर किसी दूसरे निगरानी कैमरे की फुटेज जब कमांड एंड कंट्रोल सेंटर में पहुंचेगी तो इस किसी भी लैपटॉप या फिर कम्पयूटर में इस प्रिज्म के इस्तेमाल से रियल-टाइम में वीडियो क्वालिटी को साफ किया जा सकता है।

बताते चले कि सोमवार को राजधानी दिल्ली में देश की पहली ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन डिफेंस’ नाम की प्रदर्शनी और संगोष्ठी का आयोजन किया गया था जिसका उदघाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया। इस प्रदर्शनी और सेमिनार के दौरान आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानि एआई आधारित 75 तकनीक और सैन्य उपकरणों को लॉन्च किया गया जो पहले से सेना, डीआरडीओ और डिफेंस पीएसयू टेस्ट और ट्राई किए जा चुके हैं।

इस प्रदर्शनी में दस अलग-अलग कैटेगरी बनाई गई हैं जिसमें स्वचालित और मानवरहित रोबोटिक्स प्रणाली, साइबर-सिक्योरिटी, मानव व्यवहार विश्लेषण, इंटेलीजेंट मॉनिटिरिंग एनेलेसेस, रसद और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, भाषण/ध्वनि विश्लेषण और कमान, नियंत्रण, संचार, कंप्यूटर और आसूचना, निगरानी और सर्वेक्षण (सी4आईएसआर) प्रणाली और ऑपरेशन्ल डाटा एनेलेटिक्स शामिल है। एआई पर आधारित कुछ एपीलेक्शन क्लासीफाइड हैं जिसके बारे में जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाएगी। आधुनिक वॉरफेयर बेहद तेजी से बदल रहा है ऐसे में सेना की कार्यप्रणाली और सैन्य उपकरणों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के खास जरुरत है।

दरअसल,रक्षा क्षेत्र में एआई के इस्तेमाल पर वर्ष 2018 में एक टास्क फोर्स का गठन किया गया था। इस टास्क फोर्स ने ही सशस्त्र सेनाओं में एआई के इस्तेमाल का रोड-मैप तैयार किया है। एआई आधारित इन 75 तकनीक और उपकरणों के अलावा 100 और ऐसे प्रोडेक्ट्स हैं जिनपर तेजी से काम चल रहा है। जिसमें अगर किसी ड्राइवर को गाड़ी चलाते समय नींद आ जाती है तो एआई की मदद से वो गाड़ी खुद-बे-खुद बंद हो जाएगी।

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