इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

सीक्रेट ऑपरेशन का फिर से बड़ा खुलासा, चीन अपने बायोवेपन का टेस्ट करने के लिए हीं उईगर मुस्लिमों को करता है टारगेट, दुनिया भर की इंटल ऐजेंसियां भी अनजान – चंद्रकांत मिश्र (एडिटर इन चीफ)


सांकेतिक तस्वीर।

बीजिंग/नई दिल्ली। इंसानियत के लिए सबसे बड़े खतरे के तौर पर बीते कई सालों से दुनिया भर में बदनाम चीन के बारे में पूरी दुनिया में तहलका मचाने वाली एक और रिपोर्ट सामने आई है,जिसका कि खुलासा खुद “सीक्रेट ऑपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह तमाम तथ्यों व अन्य संबंधित रिपोर्ट्स के हवाले से कर रहा है। जो कि यह खुलासा उन देशों पर भी भारी पड़ने वाला है जो चीन के साथ मिलकर कदमताल बढ़ा रहे हैं।

दरअसल, हमें यह जानकारी मिल रही थी कि चीनी ऐजेंसियां जिन उईगर मुस्लिमों को सालों से अपने यातना शिविरों में लगातार उनके साथ क्रूरता कर रही है, जिसे लेकर दुनिया के कई मीडिया समूहों के साथ अन्य इंटरनेशनल लेवल की भी गैर सरकारी संस्थायें अक्सर रिपोर्ट करती रही है। जिस पर चीन विरोधी देशों की खुफिया ऐजेंसियां भी पूरी नजर बनाये हुई है। लेकिन ये सभी लोग यहां एक बड़ी गंभीर चूक कर गये जो कि अत्यंत गंभीर है, जिसे अब “सीक्रेट ऑपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह खुलासा कर रहा है।

बता दे कि जब हमारे संज्ञान में यह जानकारी आई कि चीनी सुरक्षा ऐजेंसियां चीन के शिंझियांग प्रांत में स्थित उईगर यातना शिविरों में से तमाम लोगों पर बेहद गोपनीय तरीके से अपना बायोवेपन टेस्ट करता रहा है,जिसकी भनक इंटरनेशनल लेवल के तमाम चीन विरोधी देशों की खुफिया ऐजेंसियों को भी नहीं है, तब हमने इस घटना से जुड़े तमाम तथ्यों व अन्य संबंधित रिपोर्ट्स पर अत्यंत गंभीरतापूर्वक विश्लेषण करना शुरू कर दिया, जहां पर इससे जुड़े तमाम ऐसे तथ्य सामने आये कि जिसे जानकर आपके भी होश उड़ जायेंगें।

चूंकि, चीन बीते कई दशकों से बायोवेपन तैयार करता रहा है जिसका इस्तेमाल वह भविष्य में अपने तमाम दुश्मन देशों के खिलाफ करेगा, जहां ऐसे बायोवेपन का टेस्ट स्वभाविक रूप से मनुष्य पर करना अति अनिवार्य है ऐसे मे उसे ऐसे इंसानों की बहुत ज्यादा जरूरत है कि जिन पर कि वह गुपचुप तरीके से अपने इन हथियारों का टेस्ट कर सकें। ऐसे में वह अपने देश में मौजूद इन उईगर को हीं टारगेट करता रहा यानि वह इसी समुदाय पर अपना यह बेहद खतरनाक प्रयोग करता रहा और पूरी दुनिया चीन के इस मानवविरोधी टेस्ट से पूरी तरह से अब तक अंजान रही।

यहां यह बताने की जरूरत नहीं है कि बायोवेपन के टेस्ट के दौरान मौते होंगी या नहीं। आंकड़े बताते है कि चीन में 60 के दशक से अब तक जितनी भी गुमशुदी की रिपोर्ट हुई उनमें सबसे ज्यादा उईगर, किरगिज़ व अन्य चीनी तुर्क मुस्लिमों की हीं संख्या रही जो कि यह संख्या आज भी बरकरार है। इतना ही नहीं इन चीनी मुस्लिमों की जितनी भी गुमशुदी की रिपोर्ट हुई उनमें आज तक एक भी रिकवरी नहीं हुई। जो कि यह साफ हो जाता है कि इन चीनी मुस्लिमों को इसीलिए उनका अपहरण करके उनपर बेहद गोपनीय तरीके से बायोवेपन का टेस्ट करके उन्हें रहस्य मय तरीके से गायब किया जाता रहा।

और पूरी दुनिया चीन के इन यातना शिविरों में होने वाली क्रूरता तक हीं सीमित रही जबकि असल सच्चाई यही है कि इन कैंपों में जो भी चीनी मुस्लिम डिटेन है उनको सिर्फ और सिर्फ बायोवेपन टेस्ट के लिए हीं उनको जबरदस्ती इन कैंपों में कैद किया गया है। बता दे कि चीन के ये यातना शिविर वर्ष 2014 से प्रकाश में आये है जबकि चीन में बायोवेपन बनाने के लिए स्थापित तमाम लैबों को 60 के दशक में स्थापित किया गया था। यानि वर्ष 2014 से पहले ही अर्थात 60 के दशक से ही इन चीनी मुस्लिमों पर चीन अपने बायोवेपन का टेस्ट करने के बाद उन्हें बेहद रहस्य मय तरीके से गायब करता रहा।

जहां इसी कड़ी में यह भी साफ कर दे कि वर्ष 2020-21 में जब चीन के वुहान लैब से कोरौना वायरस लीक हुआ था तो उस समय भी चीन के बायोवेपन पर तमाम रिपोर्ट्स सामने आई थी, लेकिन हैरानी अभी तक इस बात की है चीन के बायोवेपन टेस्ट पर किसी भी देश ने यह कभी ध्यान हीं नहीं दिया कि चीन अपने इन हथियारों को टेस्ट करने के लिए किसे टारगेट करता रहा है ? इससे भी बड़ी बात यह है कि चीन के जिन यातना शिविरों का खुलासा वर्ष 2014 में हुआ था उनको लेकर आज तक दुनिया का एक भी मुस्लिम देश ने इस पर कभी कोई सवाल हीं नहीं किया।

कुल मिलाकर हमारी जांच व विश्लेषण में यह स्पष्ट होता है कि चीन अपने बायोवेपन से संबंधित लैबों की जब 60 के दशक में स्थापना किया था तबसे लेकर अब तक वह इन हथियारों का टेस्ट सिर्फ व सिर्फ चीनी मुस्लिमों पर हीं बेहद गोपनीय तरीके से करता रहा जहां बाद में वर्ष 2014 में उसके इन तमाम यातना शिविर दुनिया के जानकारी में इस रिपोर्ट पर आधारित आया कि इन कैंपों में चीनी मुस्लिमों को देश विरोधी मानकर एक स्पेशल सीक्रेट मिशन के तहत इन लोगों को इन्ही कैंपों में अवैध रूप से जबरदस्ती बंदी बनाकर उन्हें प्रताड़ित व उनका उत्पीड़न और शोषण किया जा रहा है।

जबकि असल सच्चाई यह है कि चीन इन्हें सिर्फ और सिर्फ अपने बायोवेपन के टेस्ट के लिए हीं बंदी बनाकर रखा हुआ है, जिससे कि पूरी दुनिया अभी तक अनजान है। ऐसे में दुनिया भर के तमाम देशों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र तथा तमाम गैर सरकारी संस्थाओं के अलावा अन्य मीडिया समूहों को भी “सीक्रेट ऑपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह के इस खुलासे का संज्ञान लेते हुए आवश्यक विचार-विमर्श व अन्य संबंधित कार्यवाही करने-कराने के लिए दृढ़ संकल्पित होना चाहिए। क्योंकि यह बताने की जरूरत नहीं है कि चीन के कोरोना वायरस ने दुनिया में कितनी तबाही मचाई थी?

गौरतलब है कि बीते सालों में “सीक्रेट ऑपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह ने तमाम ऐसे दावें व खुलासे किया है कि जो अभी तक सौ फीसदी सच साबित हुआ है, जिसका कि एक संयुक्त विवरण इस न्यूज पोर्टल के 5 दिसंबर 2023 के इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट के कॉलम में वर्णित है। ऐसे में हमारे इस ताजे खुलासे पर भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बेहद गंभीरता पूर्वक ध्यान देना चाहिए ताकि कोरोना जैसी घातक महामारी की पुनरावृत्ति न हो।

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