इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

सीक्रेट ऑपरेशन का फिर से बड़ा दावा, चीन अब नेपाली नागरिकों को भी बायोवेपन टेस्ट के लिए कर रहा टारगेट, दुनिया की तमाम इंटेलीजेंस ऐजेंसियां अभी भी है अनजान – चंद्रकांत मिश्र (एडिटर इन चीफ)


सांकेतिक तस्वीर।

काठमांडू/नई दिल्ली। एक तरफ पूरी दुनिया कई जंगी मोर्चो पर पिछले काफी समय से उलझी हुई है तो वहीं दूसरी ओर इंसानियत के सबसे बड़े खतरे के रूप में पूरी दुनिया में दशकों से बदनाम चीन को लेकर एक बार फिर से पूरी दुनिया में हड़कंप मचाने वाला बड़ा दावा सामने आया है, जिसे खुद “सीक्रेट ऑपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह ने बड़ी मुश्किलों का सामना करने के बाद इस दावें को रिपोर्ट किया है।

दरअसल, इस एक्सक्लूसिव खुलासे में हमारे द्वारा विभिन्न स्रोतों व अन्य संबंधित विश्वस्थानीय सूत्रों के हवाले से मिली रिपोर्ट्स का बेहद गंभीरतापूर्वक विश्लेषण करने के उपरांत हम इस परिणाम पर पहुंचे है कि 60 के दशक में चीन में स्थापित जैविक हथियारों के तमाम प्रयोगशालाओं में चीनी मुस्लिमों के साथ-साथ चीन के दूसरे पड़ोसी देशों जैसे नेपाल आदि कई देशों के भी तमाम नागरिकों जिनमें बच्चे, बूढ़े और महिलाओं भी शामिल हैं, इन्हें भी चीनी ऐजेंसियों द्वारा बेहद गोपनीय तरीके से इन लोगों का अपहरण करके चीन के इन बायोवेपन वाले प्रयोगशालाओं में इस आशय से लाया जा रहा है कि इन पर चीनी वैज्ञानिक अपने सबसे घातक बायोवेपन का टेस्ट कर सकें।

हालांकि, हमारी जांच में यह अभी तक साफ नही हो सका है कि चीन अपने पड़ोसी देशों के इन विदेशी नागरिकों को कबसे अपने इन प्रयोगशालाओं में ला रहा है ? लेकिन इतना जरूर साफ है कि चीन अपने मुस्लिम नागरिकों के साथ-साथ नेपाल व अन्य पड़ोसी नागरिकों को भी अपने इस खतरनाक टेस्ट में शामिल करता रहा है। अब यह टेस्ट किस तरह का है और टेस्ट करने के बाद इन लोगों के साथ चीन क्या कर रहा है ? इन सवालों का जवाब अभी हमारे पास भी नहीं है, लेकिन इस पर हमारी अभी भी जांच जारी है। फिलहाल इस कड़ी में हमें यह भी जानकारी मिल रही है कि चीन पड़ोसी देशो के अलावा इस मामले में अभी और आगे भी बढ़ेगा,यानि चीन कई देशों के और भी तमाम निर्दोष नागरिकों को अपने इस खतरनाक टेस्ट में शामिल कर सकता है।

इस घटनाक्रम में बेहद हैरानी इस बात की है चीन के इस खतरनाक हरकत के बारे में दुनियां भर की तमाम वेल प्रोफेशनल इंटेलीजेंस ऐजेंसियां खामोश है, ऐसे में इन ऐजेंसियों पर कई सवाल खड़े होना लाज़मी है। हालांकि, इन ऐजेंसियों की यह चुप्पी कोई आश्चर्यजनक नहीं है, क्योंकि जब बीते साल के 7 अक्टूबर को हमास द्वारा वेल प्रोफेशनल तरीके से इजराइल पर हमला किया गया और इस भीषण जंग में हमास का अभी भी डंटे रहना साफ कर देता है कि ये ऐजेंसियां अपनी डयूटी के प्रति कितनी सजग रही है ?

उल्लेखनीय हैं कि चीन 60 के दशक में बायोवेपन से संबंधित अपने यहां कई प्रयोगशालाओं को गुपचुप तरीके से स्थापित किया हुआ है जहां उसके वैज्ञानिक तमाम बायोवेपन का टेस्ट करते रहते हैं, इस घातक व मानव विरोधी हथियार को तैयार करने के बाद उसका प्रयोग करने के लिए जीवित इंसानों की जरूरत पड़ती हैं जिसके लिए चीन पहले से ही अपने देश में मौजूद तमाम चीनी मुस्लिमों को टारगेट करता रहा है, जिसका खुलासा सिर्फ और सिर्फ सीक्रेट ऑपरेशन न्यूज पोर्टल समूह ने ही अभी दो दिन पहले ही किया है, जिसका विवरण इस न्यूज पोर्टल के “इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट” के कॉलम में वर्णित है। जहां इसी कड़ी में अब नेपाल और अन्य कई देशों के तमाम निर्दोष नागरिकों को भी चीन द्वारा इस टेस्ट के लिए टारगेट करने का खुलासा सिर्फ और सिर्फ “सीक्रेट ऑपरेशन” न्यूज पोर्टल द्वारा हीं किया जा रहा है। ऐसे में पूरी दुनिया को चीन के इस खतरनाक हरकत का संज्ञान लेना चाहिए, क्योंकि यह वही चीन है जिसने अभी हाल के सालों में अपने कोरौना वायरस से पूरी दुनिया को लंबे समय तक के लिए प्रभावित कर दिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *