बांग्लादेश के आर्मी चीफ जनरल वकार,फोटो साभार -(विकिपीडिया से)
ढाका/नई दिल्ली। एक सामान्य छात्र आंदोलन अचानक से इतना उग्र व भयावह रूप ले लिया कि बांग्लादेश की PM शेख हसीना इस्तीफा देने के साथ-साथ देश छोड़ने को मजबूर हो गई,इतना ही नहीं उन्हें अपने अंतिम संबोधन से संबंधित एक विडियो भी शूट नहीं करने दिया गया,इस तरह से एक निर्वाचित सत्ता का पटाक्षेप हो जाना अपने आप में कई सवालों को जन्म दे रहा है। जहां इस संबंध में दुनिया भर के तमाम मीडिया रिपोर्ट्स संबंधित अन्य अपने-अपने विश्लेषण के जरिए इस घटना के तह में जाने में जुटे हुए हैं।
जहां इस दौरान तमाम रिपोर्ट्स में बांग्लादेश के आर्मी चीफ और पाकिस्तान तथा अमेरिका के साथ-साथ चीन की भी भूमिका संदिग्ध माना गया है। इस बीच “सीक्रेट ऑपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह ने भी इस घटना से जुड़े सभी तथ्यों का गहन अध्ययन व विश्लेषण किया जिसमें प्रथम दृष्ट्या यह स्पष्ट हुआ है कि इस पूरे घटनाक्रम के पीछे पेंटागन और पाकिस्तान के साथ-साथ बांग्लादेश के आर्मी चीफ जनरल वकार जिम्मेदार है।
जिन महत्वपूर्ण तथ्यों के आधार पर हमने विश्लेषण किया है उसमे सबसे बड़ी बात यह है कि एक आक्रोशित भीड़ का भगदड़ बनाकर शेख हसीना को डराया गया और उन्हें इतना डरा दिया गया कि वें अतीत में हुए अपने परिजनों की हत्या के दृश्यों को यादकर बुरी तरह से सहम गई। और उन्हें नई दिल्ली से सिर्फ इतना कहने के लिए कहा गया कि उनके पास वक्त बहुत कम है और उन्हें तत्काल सुरक्षित बांग्लादेश से बाहर निकाला जाये,इतने शार्ट नोटिस को नई दिल्ली भी नहीं समझ पाई, जहां शेख को आनन-फानन बांग्लादेश से निकलने में भारत की तरफ से पूरी मदद की गई।
जबकि जिस आक्रोशित भीड़ का हौवा खड़ा किया गया वह भीड़ लगभग निहत्थी थी जिसका कि तमाम विडियो ट्रेंड हो रहा है। अब निहत्थी भीड़ के आगे आर्मी चीफ लगभग पूरी तरह से सरेंडर हो गए यह अपने आप में बेहद आश्चर्य जनक है। डर का माहौल इस तरह से बनाया गया कि शेख हसीना को देश के नाम एक विडियो संबोधन भी शूट नहीं करने दिया गया। और जब शेख हसीना देश से बाहर हो गई तो उनका देश छोड़ने के दौरान एक विडियो भी ट्रेंड किया गया।
यानि एक दम से यह अफगानिस्तान 2 की पटकथा जैसी मिलती-जुलती घटना दर्शाने का भी काम किया गया। मतलब जैसे अफगानिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री अशरफ गनी देश छोड़कर भागे थे, जहां बाद में अशरफ के उपर यह भी आरोप मढ़ा गया कि वे हैलीकॉप्टर में ढेरों रूपया लेकर भागे है। हालांकि अशरफगनी ने इसका खंडन किया था। ऐसे में यह साफ हो गया कि बांग्लादेश के आर्मी चीफ ने बहुत ही चालाकी से इस पूरे मिशन को अंजाम देने के साथ-साथ खुद सामने आकर स्थिरता और शांति की दुहाई देने लगे।
रही बात पेंटागन के भूमिका की तो जग जाहिर है कि अमेरिका और पाकिस्तान संयुक्त रूप से 71 की जंग के बाद से लेकर अब तक लगातार बांग्लादेश में अस्थिरता के लिए सक्रिय रहा हैं। क्योंकि हाल ही में शेख हसीना ने रैली में साफ कर दिया था कि उन पर सैन्य एअरबेस के लिए इंटरनेशनल दबाव बनाया जा रहा हैं। ऐसे में इन तमाम तथ्यों से यह अपने आप ही साबित हो रहा है कि इस पूरे घटनाक्रम को अफगानिस्तान 2 के तरह दर्शाया गया जो कि पूरी से स्क्रिप्टेड था। बता दे कि “सीक्रेट ऑपरेशन” न्यूज पोर्टल का कोई भी दावा झूठा साबित नहीं होता है। वही भारत इस पूरे घटनाक्रम पर लगातार नजर बनाये हुए हैं।