सांकेतिक तस्वीर।
नई दिल्ली/कीव। हाल ही में यूक्रेन की सेना जिस तरह से रूस की सीमा में घुसकर उसके करीब 30 किलोमीटर जमीन पर अपना कब्जा जमा लिया है,जहां रूस हीं नहीं पूरी दुनिया भी सरप्राइज है यूक्रेन के इस मिलिट्री एक्शन से। बता दे कि सेकेंड वर्ल्ड वार के बाद यह पहला मौका है जब रूसी सीमा में विदेशी फौज घुसी और उसके एक इलाके पर कब्जा भी कर ली, रूसी राष्ट्रपति पुतिन इसे भले ही एक मामूली घटना समझने का संकेत दे रहे हैं, लेकिन मास्को की मिलिट्री ब्यूरोक्रेसी के साथ साथ खुद पुतिन बेहद शरमिंदीगी महसूस कर रहे हैं, लेकिन अपने इस शरमिंदीगी को जाहिर नहीं होने दे रहे हैं।
वहीं, यूक्रेन के इस ताजे मूवमैंट पर जब हमने बेहद गंभीरता से विश्लेषण व अन्य संबंधित तमाम रिपोर्ट्स का अध्ययन किया तो, हमने यह पाया कि जिस युध्द नीति का अनुसरण करके यूक्रेनी सेना ने इस मिशन को पूरा किया है तो वह मिलिट्री पॉलिसी इंडियन आर्मी के उस 1965 के युध्द की है कि जब पाकिस्तानी सेना कश्मीर पर कब्जा करने के लिए लगातार वह भारतीय सेना को निशाना बना रही थी, जहां भौगोलिक परिस्थितियां विपरीत होने के कारण इंडियन आर्मी अपने आंशिक सफलता से संतुष्ट नहीं थी।
तब भारतीय सेना ने एक स्पेशल प्लान के तहत पंजाब बार्डर से दूसरा फ्रंट खोलकर अपनी 3 डिवीजन नफरी के साथ पाकिस्तान के लाहौर तक पहुंच गई, जिससे दुश्मन सरप्राइज होने के साथ-साथ भारी दबाव में आ गया, जहां आगे जल्दी हीं सीजफायर का ऐलान हो गया, हालांकि डिप्लोमैटिक चैनल के जरिये इंडियन आर्मी को लाहौर छोड़ना पड़ा। आज इसी युध्द नीति का अनुसरण करके यूक्रेनी सेना ने पहली बार रूसी सीमा में दाखिल हुई है, लेकिन यूक्रेनी सेना को यहां जबरदस्त रजिस्टेंस का सामना करना पड़ रहा है।
अब आगे क्या होता है ? यह तो वक्त ही बतायेगा, लेकिन यूक्रेन तो अभी रूस पर भारी पड़ता दीख रहा है। गौरतलब है कि जब पूरी दुनिया 24 फरवरी 2022 को शुरू हुए इस जंग को एक तरफा करार देते हुए रूसी जीत को सुनिश्चित करके बैठी हुई थी और फिर फाइनल डेट 2 मार्च को निश्चित कर दिया गया था कि यूक्रेन 2 मार्च 2022 का सुबह का सूरज नहीं देख सकेगा यानि रूसी फौज पूरी तरह से यूक्रेन पर कब्जा कर लेगी। तब पूरी दुनिया का सिर्फ एक न्यूज पोर्टल “सीक्रेट ऑपरेशन” ने अपने 1 मार्च 2022 के इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट के कॉलम यह दावा किया था कि यूक्रेन 2 मार्च का सुबह का सूरज हर हाल में देखेगा और यह जंग लंबे वक्त तक चलेगा, जहां “सीक्रेट ऑपरेशन” न्यूज पोर्टल का यह दावा आज भी बरकरार है।