सांकेतिक तस्वीर।
नई दिल्ली। यह बताने की जरूरत नहीं है कि दुनिया बीते दो – ढाई वर्ष से लगातार तीसरे विश्वयुद्ध जैसे हालात का सामना कर रही है, जहां इस दौरान बहुत कुछ प्रभावित होता जा रहा है तो वहीं दुनिया के जो देश अभी तक इस युध्द में शामिल नहीं हुए वे सभी अपने दुश्मन देशों पर लगातार विभिन्न माध्यमों से निगरानी इस आशय से बनाये हुए हैं कि कहीं उनका दुश्मन उन पर हमला न कर दे, इस बीच विश्व के जिन-जिन हिस्सों में जंगें हो रही है उसका भी पूरा का पूरा रिकार्ड दुनियां की तमाम मिलिट्री ऑर्गेनाइजेशन अपने पास सुरक्षित रखने में लगी हुई है। इसी कड़ी में ये दुनिया भर की तमाम मिलिट्री ऑर्गेनाइजेशन इन जंगों में नये पद्धति से हो रहे जंगों पर भी पूरी निगरानी बनायी हुई है।
दरअसल, इन जंगों में एक नये पध्दति से युध्द लड़ा जा रहा है, जो कि ड्रोन बेस्ड है, जो कि इन्फेंट्री के लिए बहुत घातक सिद्ध हो रही है, इसको काउंटर करने के लिए किसी विशेष तकनीकी को अभी तक विकसित नहीं किया जा सका है। जहां इस दौरान रूस-यूक्रेन जंग में इस तरह के ड्रोन वार में काफी जान-माल का नुकसान दोनों हीं पक्षों को हो रहा है। बताते चले कि इस जंग में अब तक कई ऐसे बेहद खतरनाक विडियो सामने आ चुके हैं कि जिसमें स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि ड्रोन बड़े हीं आराम से पैदल सेना को अपना निशाना बना रहा है और जमीन पर मौजूद सैनिक खुद को बचाने में असमर्थ साबित हो रहे हैं।
लेकिन, इस बीच एक ऐसा भी विडियो सामने आया है जिसमें कि यह दिखाई दे रहा है कि जब एक ड्रोन जमीन पर मौजूद दो सैनिकों को निशाना बनाने की कोशिश करता है तो ये दोनों सिपाही बचकर भागने की बजाय उस ड्रोन का सामना करते हैं तथा उस पर फायर भी करते हैं लेकिन जब फायरिंग सफल नहीं होती है तो ये सैनिक उस पर अपना हथियार फेंककर उसे नष्ट करने में सफल हो जाते हैं। ऐसे में इंडियन डिफेंस मिनिस्ट्री और इंडियन होम मिनिस्ट्री तथा इंडियन इंटेलीजेंस ऐजेंसियों को चाहिए कि वें भारत की तीनों सेनाओं और अन्य सेंट्रल की सभी पैरामिलिट्री फोर्सेस तथा अन्य सभी राज्यों की पुलिस फोर्स को भी कुछ इसी तरह की ट्रेनिंग का प्लान करके इनको ट्रेंड करना शुरू कर दे। ताकि भविष्य में हमारे जवान इस तरह की चुनौतियों से निजात पा सके और सुरक्षित भी रहें।
क्योंकि,भारत-पाकिस्तान सीमा पर हमारे जवान इधर कुछ सालों से लगातार दुश्मन की तरफ से भेजे जा रहे सप्लाई ड्रोन का सामना कर रहे हैं। इसलिए बिना देर किये ऐसे ड्रोन को काउंटर करने के लिए तमाम तरह के वैकल्पिक तरीकों से युक्त प्रभावी प्लान करें और इन भारतीय जवानों को ट्रेंड करें। “सीक्रेट ऑपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह के इस सुझाव को तत्काल संबंधित भारतीय मंत्रालय व सुरक्षा ऐजेंसियां अमल में लाने के लिए विचार करें।
गौरतलब है कि ड्रोन अटैक को रोकने के लिए तमाम एअर डिफेंस सिस्टम मौजूद है जो कि उसमें लगे रडार सिस्टम की मदद से इस तरह के ड्रोन को डिटेक्ट करके उनको हवा में हीं नष्ट कर दिया जाता है, लेकिन लो फ्लाई की वजह से ऐसे ड्रोन एअर डिफेंस सिस्टम के रडार की पकड़ में नहीं आ पाते जिससे भारी नुकसान का सामना करना पड़ जाता है। क्योंकि, रडार सिस्टम हाई फ्लाई वाले उड़ानों को डिटेक्ट करता है न कि लो फ्लाई वाले को।