इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

सीक्रेट ऑपरेशन का बहुत बड़ा खुलासा, जो बाइडेन के कार्यकाल में ही यूक्रेन को मिल चुका है 20-25 सालों तक जंग लड़ने का अमेरिकी हथियार – चंद्रकांत मिश्र (एडिटर इन चीफ)


सांकेतिक तस्वीर।

कीव/वाशिंग्टन। रूस-यूक्रेन जंग को लेकर हाल ही में अमेरिका द्वारा जारी नाटकीय घटनाक्रम के संबंध में पूरी दुनिया एक अलग हीं तरह की चर्चा जोर शोर से चल रही है,जहां इस दौरान यह लगातार दोहराया जा रहा है कि इस जंग में अमेरिका के हाथ खींचने से रूस के पक्ष में यह युध्द चला जायेगा, यानि रूस अब इस जंग को जीत जायेगा। इतना ही नहीं रूस यूरोपीय देशों पर भी भारी पड़ेगा। अर्थात, रूस के पक्ष में लगभग पूरी दुनिया के तमाम मीडिया समूह,डिफेंस एक्सपट्र्स,तमाम सेवानिवृत वरिष्ठ सैन्य अफसर तथा अन्य सीनियर रिटायर्ड डिप्लोमेटिक ऑफिसर भी लगभग वहीं उल्लिखित बातें दोहराते नजर आ रहे हैं।

दरअसल, जबसे अमेरिका के नए राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप आये हैं उसके बाद से ही ट्रंप रूस-यूक्रेन जंग के बीच सीजफायर के लिए लगातार अमेरिकी मध्यस्थतता के साथ सक्रिय है। जहां इस दौरान वें यूक्रेन के राष्ट्रपति के साथ अमेरिका में एक वार्ता भी किये, लेकिन बात काफी हद तक बिगड़ गई, परिणामस्वरूप अब अमेरिका ने यूक्रेन को जारी अपनी तमाम मिलिट्री एड तत्काल रोक दिया, जहां ऐसे में इस जंग को अब रूस के पक्ष में एक तरफा घोषित किया जा रहा है।

जहां इस जंग को लेकर सीक्रेट ऑपरेशन न्यूज पोर्टल समूह ने तमाम रिपोर्ट्स व जंग से जुड़े तमाम अन्य तथ्यों के आधार पर अपने रिसर्च में यह पाया है कि यह जंग यूक्रेन और रूस की विवशता है, दोनों की अपनी-अपनी वाजिब मजबूरियां है। क्योंकि, सेकेंड वर्ल्ड वार के बाद से हीं रूस और नाटों एक दूसरे के जानी दुश्मन रहे हैं, जहां इसीकी परिणिती रही है कि शीतयुद्ध के दौरान नाटों और रूस कई बार दुनिया के कई जंगी मोर्चों पर एक दूसरे के आमने-सामने आ चुके हैं। इतना ही नहीं इस दौरान कई बार परमाणु युध्द जैसी स्थितियां भी बनते-बनते रह गयी।

वहीं, यूरोप का मानना है कि जिस दिन यूक्रेन रूस के खाते में गया तो रूस यूरोपीय देशों के लिए भी बड़ा खतरा बन जायेगा, ऐसे में यूरोप अपनी सुरक्षा के दृष्टिगत अत्यंत मजबूरी में यूक्रेन का साथ दे रहा है। और वहीं यूक्रेन में नाटों दखल और नाटो सदस्यता रूस के लिए बड़ा खतरा है। यही कारण है कि यूक्रेन और रूस इस युध्द में लगातार भिढ़े हुए हैं। अब रही बात अमेरिकी सैन्य मदद की तो अमेरिका के इस हालिया रवैया पर “सीक्रेट ऑपरेशन” बहुत बड़ा खुलासा करने जा रहा है, क्योंकि लगभग पूरी दुनिया यह मान चुकी है कि बिना अमेरिकी मदद के यूक्रेन अपने दुश्मन रूस का सामना नहीं कर सकता है।

तो “सीक्रेट ऑपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह यहां पूरी जिम्मेदारी के साथ यह दावा कर रहा है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में ही यूक्रेन की सैन्य मदद में अमेरिका ने यूक्रेन को कम से कम 20-25 सालों तक जंग लड़ने के लिए पर्याप्त मात्रा में गोला-बारूद व अन्य मिलीट्री इक्विपमेंट बहुत ही गोपनीय व शातिराना तरीके से दे रखा है। जो कि यूक्रेन व सटे हुए कुछ नाटों देशों में सुरक्षित रखा गया है। जिसकी जानकारी दुनिया के अन्य देशों व अन्य खुफिया ऐजेंसियों को भी नहीं है, यहां तक कि रसियन ऐजेंसियों को भी इस बात की बिलकुल भी भनक नहीं है।

क्योंकि, ट्रंप का पुतिन प्रेम पहले से ही जग जाहिर था ऐसे में यूरोपीय देशों को पहले से ही ट्रंप की सोच के बारे में पूर्वानुमान था, इसीलिए भविष्य की अतिरिक्त सतर्कता के दृष्टिगत एक स्पेशल कांफिडेंसियल प्लान के तहत रूस के खिलाफ लंबे समय तक जंग में सामना करते रहने के दृष्टिगत इस तरह से इन हथियारों की सप्लाई करते हुए उसे सुरक्षित रख दिया गया है, हालांकि, हमें अभी तक यह ज्ञात नहीं हो सका है कि कौन-कौन से और किन-किन नाटों देशों में तथा कितनी मात्रा में इन अमेरिकी हथियारों व गोला-बारूदों को डंफ यानि स्टोर किया गया है ? लेकिन इस बात की “सीक्रेट ऑपरेशन” को पुख्ता जानकारी है कि रूस से लंबे वक्त तक लड़ाई लड़ने और ट्रंप के युटर्न लेने के संभावना के दृष्टिगत हीं इन अमेरिकी हथियारों/गोला-बारूद आदि को जो बाइडेन के कार्यकाल में ही उल्लिखित लोकेशन पर सावधानी व सतर्कता के साथ पहुंचाकर स्टोर कर दिया गया है।

इतना ही नहीं पेंटागन और CIA तथा अन्य अमेरिकी सैन्य अफसर तमाम माध्यमों से अभी भी ट्रंप की बिना जानकारी तथा ट्रंप की इच्छा के विरूद्ध इस जंग में यूक्रेन की मदद लगातार कर रहे हैं। जिसके संबंध में अभी हाल ही में एक मीडिया रिपोर्ट्स में यह खुलासा भी हो चुका है कि जंग से जुड़े तमाम इंटल रिपोर्ट अमेरिकी ऐजेंसियां अभी भी यूक्रेन के साथ शेयर कर रही है। तो कुल मिलाकर हमारी जांच व विश्लेषण में अब तक यह पूरी तरह से साफ हो चुका है कि यह जंग रूस, यूक्रेन तथा यूरोपीय देशों की अत्यंत विवशता है। जिसे न चाहते हुए भी लड़ना है और झेलना भी है। रही बात अमेरिका की तो वो मदद करे या न करे यूक्रेन पर जरा सा भी कोई फर्क नहीं पड़ता है,क्योंकि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन यूक्रेन की मदद में अगले 20-25 साल तक जंग लड़ने के लिए यूक्रेन को भारी मात्रा में गोला बारूद व अन्य अमेरिकी हथियार सुरक्षित रूप से पहुंचा चुके हैं, जिसकी भनक अभी तक दुनिया के अन्य किसी भी देश को नहीं है, जहां रूस भी अभी तक अनभिज्ञ है।

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