इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

सीक्रेट ऑपरेशन का फिर से बड़ा दावा, चीन की खुफिया एजेंसी ने भारत को अमेरिका से भी माना बड़ा खतरा – चंद्रकांत मिश्र (एडिटर इन चीफ)


सांकेतिक तस्वीर।

बीजिंग/नई दिल्ली। दुनिया की तमाम खुफिया ऐजेंसियों में यदि सबसे लो प्रोफाइल इंटल ऐजेंसियों की गणना होती है तो वो है चीन की “मिनिस्ट्री आफ स्टेट सिक्योरिटी” (MSS), क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी कभी कोई चर्चा हीं नहीं होती है। जबकि, दुनिया के अन्य देशों की खुफिया एजेंसियां लगातार चर्चा मे बनी रहती है। हालांकि, चीन के इस ऐजेंसी में दुनिया भर की तमाम दुश्मन ऐजेंसियों की नजर इस पर लगातार बनी रहती है, फिर भी यह हमेशा सतह से गायब रहती है और अत्यंत गोपनीय तरीके से यह आपरेट होती रहती है।

जहां ऐसी स्तिथि में इसके दुश्मन ऐजेंसी इसके मूवमैंट को ट्रैक करने में अक्सर नाकामयाब रहते हैं, वहीं इस चीनी ऐजेंसी की एक बहुत ही गोपनीय रिपोर्ट सीक्रेट ऑपरेशन न्यूज पोर्टल समूह को मिली है, हालांकि अत्यंत गोपनीयता के चलते हमें यह रिपोर्ट मौखिक हीं मिली है लेकिन इस पर गंभीरता से रिसर्च करने पर हमारे भावी दावें में जान आ गई है। दरअसल, हमें जो रिपोर्ट मिली है उसके अनुसार चीन की इस खुफिया एजेंसी ने अपने हालिया रिपोर्ट में यह दावा किया है कि भारत इस समय अमेरिका से भी बड़ा खतरा बन गया है चीन के लिए, जी हां हम फिर से रिपीट करते हैं कि भारत इस समय चीन के लिए अमेरिका से भी बड़ा खतरा बन चुका है।

हालांकि, हमारे इस ताजे खुलासे को लेकर कईयों के पेट में दर्द हो सकता है, लेकिन सच्चाई यही है। चूंकि चीन की MSS भारत की आजादी से लेकर वर्ष 2014 तक की अपनी परंपरागत रिपोर्ट के उलट 2014 से लेकर अब तक की रिपोर्ट में भारत को चीन के खिलाफ लगातार एक बड़े खतरे के तौर पर रिपोर्ट करना शुरू कर दिया है। जो कि दिन ब दिन इसे और भी विस्तृत रूप से बढ़ाती चली जा रही है। यानि इस रिपोर्ट के आधार पर दुनिया की निगाह से बचते हुए चीनी सुरक्षा ऐजेंसियां लगातार सक्रिय होती चली जा रही है।

दरअसल, वर्ष 2014 से लेकर अब तक भारतीय सुरक्षा ऐजेंसियां LAC पर दुश्मन के मुकाबले खुद को भी परंपरागत तरीके से इतर लगातार मजबूत करती चली जा रही है। यानि, वर्ष 2014 से पहले और भारत की आजादी के बाद से चीन इस बार्डर पर खुद को लगातार मजबूत करता चला आ रहा है, जहां इस दौरान छोटी-बड़ी कई जंगे और झड़पें भी चीनी सेनाओं के साथ होता रहा है। इस दौरान चीनी सेना बार्डर पर खुद को अत्यंत मजबूत करने के दृष्टिगत कई तरह के सैन्य निर्माण के साथ साथ भारी संख्या में हथियारों की तैनाती, तमाम मिलिट्री एयरबेस भी बनाती रही है। जहां इस दौरान दुश्मन के मुकाबले हम लगभग उतना सक्रिय नहीं रहते थे, लेकिन वर्ष 2014 से लेकर अब तक भारतीय सुरक्षा ऐजेंसियां LAC पर लगातार अपनी सक्रियता व तैनाती बढ़ाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है।

यही कारण है कि दुश्मन ऐजेंसी भारत को अमेरिका से कहीं अधिक खतरा मान रही है। यानि दुश्मन बार्डर पर अपनी सीमा के भीतर यदि निर्माण के नाम पर एक ईंट रखता है तो वहीं भारतीय सेना दुश्मन के मुकाबले 4 ईंटें रखती है। यानि उस तरफ चीनी सेना जो भी कुछ करती है तो इस तरफ भारतीय सेना भी उसके मुकाबले कही अधिक करती है। यही कारण है कि दुश्मन ऐजेंसी (MSS) इस समय भयभीत है। और देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि जब दुश्मन ऐजेंसी इस तरह से भारत से भयभीत हो रही है।

गौरतलब है कि चीन के खिलाफ अमेरिका ने नाटों के तर्ज पर क्वाड के रूप में एक छोटा सा मिलिट्री एलियांस बनाया है, जिसमें भारत भी एक सदस्य देश है। इतना ही नहीं चीन को माकूल जवाब देने के लिए, अमेरिका, ताइवान और फिलीपिंस को भी अतिरिक्त मिलिट्री सपोर्ट कर रहा है। यही कारण है कि चीन जब भी अपने पड़ोसी देशों पर धौंस जमाना शुरू करता है तो सामने अमेरिका खड़ा हो जाता है। जिससे चीन पीछे हटने में हीं अपनी भलाई समझता रहा है। लेकिन सीक्रेट ऑपरेशन के इस ताजे खुलासे में यह पूरी तरह से साफ हो चुका है कि चीन, अमेरिका से कही अधिक बड़ा खतरा भारत को मान रहा है।

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