इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

दुश्मन के न्यूक्लियर स्टोरेज पर इंडियन अटैक पर बड़ी पड़ताल – चंद्रकांत मिश्र (एडिटर इन चीफ)


फाईल फोटो।

कराची/नई दिल्ली। हाल ही में भारत के पहलगाम आतंकी हमले को लेकर दुश्मन पर अब तक के भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा काउंटर मिलिट्री ऑपरेशन “सिंधूर” साबित हुआ है। जहां इस दौरान बीते 10 मई को अचानक सीजफायर के लिए पाकिस्तानी फौज के DGMO ने भारतीय समकक्ष से संपर्क साधा, जहां कुछ देर बाद दोनों देशों के साथ-साथ अमेरिका ने भी इस ताजे सीजफायर का ऐलान किया, जहां इस सीजफायर के मात्र कुछ घंटे बाद ही बार्डर पर एक बार फिर से सीजफायर वायलेंस की रिपोर्ट सामने आ गई, रिपोर्ट है कि इस वायलेंस को दुश्मन की तरफ से अंजाम दिया गया था।

वहीं, जब यह सीजफायर पूरी तरह से बहाल हो गया तो पाकिस्तान के सोशल मीडिया पर एक बड़ा आपडेट ट्रेंड होने लगा, जहां इस ट्रेंड पर पाकिस्तान के सोशल मीडिया पर यह चल रहा था कि भारतीय एरियल अटैक में पाकिस्तानी परमाणु हथियारों के अंडरकवर तमाम भंडार गृह बहुत बुरी तरह से प्रभावित हुआ है, रिपोर्ट तो यहां तक है कि इस पाकिस्तानी परमाणु केंद्रों से आम नागरिकों को लगभग सौ किलोमीटर पीछे तुरंत हट जाना चाहिए, ऐसे में पाकिस्तान में तमाम कयास लगाये जा रहे हैं, वहीं इस पर भारत की तरफ से खंडन करते हुए यह साफ किया गया है जिस लोकेशन को लेकर तमाम कथित दावें किये जा रहे हैं वो हमारा टारगेट था हीं नहीं।

वहीं, सीजफायर तथा सीजफायर के बाद भी हुए ताजे हमले तथा पाकिस्तान के परमाणु हथियारों से जुड़े किराना हिलस पर हमने बहुत ही गंभीरता से एक गहन विश्लेषण तैयार किया है,जहां इन गंभीर मुद्दों से जुड़े सवालों को हम सिलसिले वार तरीके से समझने व समझाने की कोशिश करेंगे, दरअसल, जब 6/7 मई को आधी रात को जब भारत की तरफ से दुश्मन पर चौतरफा और दुश्मन सीमा के सैकड़ों किलोमीटर तक अंदर तमाम एरियल अटैक को अंजाम दिया गया तो दुश्मन पूरी तरह से सरप्राइज हो गया, चूंकि, दुश्मन को यह अंदाजा था कि भारत पहले की तरह इस अटैक को अंजाम देगा, जहां हमारे जवाबी कार्यवाही से भारत की भद्द पीटेगी, लेकिन हुआ उल्टा, यानि भारत ने जल/थल और वायु हमला करके दुश्मन को पूरी तरह से हतोत्साहित कर दिया।

इतना ही नहीं, रिपोर्ट है कि दुश्मन इस भारतीय हमलें में वर्ष 1971 से भी कही अधिक नुकसान झेला है जिसे वह सार्वजनिक रूप से कभी स्वीकार नहीं कर सकता है, जहां इस दौरान हमें यह भी रिपोर्ट था कि भारत के भीषण हमलों के कारण दुश्मन की एअर फोर्स और नेवी पूरी तरह से पंगु बन गए थे, खबर तो यहां तक है कि दुश्मन के तमाम एअर बेस और तमाम फाइटेर जेट भारतीय हमलों में स्वाहा हो गए, ऐसे में दुश्मन की एअर और नेवी पूरी तरह से सीज हो गए, ऐसे में पाकिस्तान की मजबूरी बन गई कि तुरंत सरेंडर कर दे ताकि इज्जत बचाई जा सकें।

रही बात पाकिस्तान के परमाणु हथियारों से जुड़े किराना हिलस की तो पाकिस्तान के सोशल मीडिया पर जो ट्रेंड हो रहा है वह पूरी तरह से इस बात से साबित होता है कि पाकिस्तानी हुकूमत व पाकिस्तान की फौज इन दावों को जोरदार तरीके से खंडन नहीं कर पा रही हैं, जिससे प्रथम दृष्ट्या यह स्पष्ट होता है कि सरगोधा के पास स्थित किराना हिलस और उसमें परमाणु हथियारों पर भारतीय हमलों के संबंध में जो ट्रेंड चल रहा है वह सौ फीसदी सच है, कुछ अतिरिक्त अफवाहें भी हो सकती है, लेकिन हमलों के चलते पाकिस्तान का यह लोकेशन कितना डेमेज हुआ है ? इसका जवाब जल्द ही तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में मिल जायेगा।

इतना ही नहीं इस लड़ाई की तमाम वें बातें भी जो पाकिस्तान की बड़ी फजीहत करा सकती है, जल्द ही पूरी दुनिया में मशहूर होंगी, क्योंकि, हमें तमाम माध्यमों से यह भी मालूम हुआ कि भारतीय हमलों से पाकिस्तान की एअर फोर्स और नेवी इतना घबरा गई थी कि थल सेना के साथ इनका तालमेल पूरी तरह से बेपटरी हो गया था, शायद ऐसे ही तमाम कारण थे कि पाकिस्तान जंग से पीछे हटने में अपनी भलाई समझा, हमारी पड़ताल में दुश्मन को आपरेशन सिंधूर के तहत वास्तव में अब तक की बड़ी चोट पहुंचाई गई है जो कि दशकों तक पूरा पाकिस्तान इसे याद रखेगा।

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