सांकेतिक तस्वीर।
तेहरान/तेलअवीव/नई दिल्ली। ईरान और इजरायल के बीच जारी भीषण जंग के बीच जहां हाल ही में IDF द्वारा एक स्पेशल सैन्य आपरेशन के दौरान ईरान के कई शीर्ष सैन्य अधिकारियों व अन्य शीर्ष लोगों को एक साथ मौत के घाट उतारने को लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर इस सामूहिक नरसंहार को लेकर कई तरह का चर्चा शुरू है, इस दौरान तमाम रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि पाकिस्तान के जनरल ने हाल ही में ईरान के शीर्ष सैन्य अधिकारी को एक बेहद कीमती कलाई घढ़ी गिफ्ट किया था जो कि इजरायल के इशारे पर दिया गया था जिसमें कुछ ऐसे साफ्टवेयर अपलोड थे जिसके आधार पर उन्हें ट्रेस करके मिसाइल अटैक किया गया, जहां और भी लोग मौजूद थे, जिसमें सभी लोग एक साथ मारे गए।
यानि इस तरह की तमाम कहानियां इस समय तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में देखने व सुनने को मिल रही है। इतना ही नहीं ऐसे तमाम रिपोर्ट्स को तमाम अंतर्राष्ट्रीय स्तर के तमाम रक्षा विशेषज्ञों, पूर्व राजनयिक व अन्य विषय विशेषज्ञ भी अपना समर्थन देने से नहीं चूक रहे हैं। जहां इन तमाम तथाकथित रिपोर्ट्स को “सीक्रेट ऑपरेशन” न्यूज पोर्टल द्वारा सिरे से खारिज करते हुए अपनी अत्यंत ठोस तथ्य युक्त पड़ताल को पब्लिक किया जा रहा है।
दरअसल, हमारी तमाम जांच व तमाम तरह के विश्लेषण के साथ-साथ अन्य संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी के आधार पर हम इस परिणाम पर पहुंचे है कि इजरायल का यह सैन्य आपरेशन इसलिए सफल हुआ है कि उसका दुश्मन अपने मोबाइल की वजह से निशाने पर आ गया, तकनीक के इस युग में बिना मोबाइल नंबर के हीं दुश्मन किसी भी ऐजेंसी के निशाने पर आ सकता है और उसे किसी भी अटैक में ढेर किया जा सकता है।
यानि कोई भी ऐजेंसी अपने टारगेट का मोबाइल नंबर जाने बिना भी उसके मोबाइल के माध्यम से उसे ट्रैक कर सकती है और जरूरत पड़ने पर उसे ढेर कर सकती है, हां इस दौरान बस यह कंफरम करना होता है कि दुश्मन संबंधित मोबाइल उस समय खुद इस्तेमाल कर रहा है अथवा चकमा देने के लिए वह अपना मोबाइल किसी और को दे रखा है, जहां इस बात की पुष्टि करने के लिए ऐसी ऐजेंसियां प्लांड फेक काल के जरिए अपने टारगेट के वायस आवाज की सैंपलिग करने के बाद हीं हमले को हरी झंडी देती है।
फिर जैसे ही पुष्टि होती है कि मोबाइल पर दुश्मन उपलब्ध है तो फिर क्या, हरी झंडी मिलते ही उसे नेस्तनाबूद कर दिया जाता है। और यहां ठीक यही हुआ है, लेकिन तमाम विषय विशेषज्ञ अपनी तमाम आधार हीन तथ्यों को सच मानकर खुद भी भ्रमित है और आम लोगो को भी गुमराह कर रहे हैं।
बता दे कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर “सीक्रेट ऑपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह इस तरह के कई ऐसे दावें करता रहा है जो कि अब तक सौ फीसदी सच साबित होते रहे हैं।