सांकेतिक तस्वीर।
अंकारा। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने सीरिया को लेकर अमेरिका के खिलाफ जहर उगलते हुए कहा है कि अमेरिका को सीरिया छोड़कर जाना ही होगा। बता दे कि अस्ताना फॉर्मेट को सीरिया में शांति स्थापित करने के लिए रूस,तुर्की और ईरान ने मिलकर 2015 में स्थापित किया था। जहां अस्ताना की बैठक में रेसेप ने अमेरिका के खिलाफ ऐसा बयान दिया। चूंकि,तुर्की का पड़ोसी सीरिया पिछले 10 साल से दुनियाभर की महाशक्तियों के बीच जंग का मैदान बना हुआ है। जहां रूस ने तुर्की के बसर अल असद की सरकार को समर्थन दिया हुआ है,वहीं अमेरिका ने कुर्द विद्रोहियों को अप्रत्यक्ष समर्थन दे रहा है। तो उधर,तुर्की भी रूस के साथ मिलकर कुर्द लड़ाकों के खिलाफ ऑपरेशन चला रहा है। जबकि तुर्की नाटों का हिस्सा हैं इसके बावजूद भी वह सीरिया को लेकर अमेरिका के खिलाफ है।
दरअसल,तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने कहा है कि अमेरिका को पूर्वी सीरिया को छोड़ना होगा। उसे कुर्द मिलिशिया समूहों के लिए अपना समर्थन भी खत्म करना होगा। हमने अस्ताना फॉर्मेट की बैठक के दौरान इस विषय पर विस्तार से बातचीत के बाद यह फैसला किया है। इस दौरान एर्दोगन ने एक कुर्द मिलिशिया ग्रुप पीपुल्स डिफेंस यूनिट्स का जिक्र करते हुए कहा कि तुर्की भी इसकी उम्मीद करता है क्योंकि यह अमेरिका है जो सीरिया के आतंकवादी समूहों को खिलाता है। तुर्की का आरोप है कि ये विद्रोही संगठन सीरिया के तेल संपन्न इलाकों पर सरकारी नियंत्रण का विरोध करते हैं। इस कारण बड़े पैमाने पर हिंसा होती है।
इसी कड़ी में एर्दोगन ने आगे भी कहा कि अमेरिकी अधिकारी सीरिया में आतंकवादी संगठन के सदस्यों को प्रशिक्षित करते हैं। इस प्रशिक्षण के दौरान,वे वहां अपने शासन का झंडा लहरा रहे हैं। क्यों? वे तुर्की के सैनिकों के खिलाफ आतंकवादियों वाले काम कर रहे हैं। यहां भी,उन्हें लगता है कि वे वहां शासन का झंडा लहराकर तुर्की सेना को धोखा दे सकते हैं,इसके बावजूद हमें मूर्ख नहीं बनाया जा सकता है। हालांकि,अमेरिका का दावा है कि वह आईएसआईएस के खिलाफ लड़ाई के हिस्से के रूप में कुर्दिश लड़ाकों का समर्थन करता है।
तुर्की की सरकार सीरिया में सक्रिय अमेरिका समर्थित कुर्द विद्रोहियों को आतंकवादी संगठन मानती है। इसी कारण चंद महीने पहले ही तुर्की ने फिनलैंड और स्वीडन की नाटो की सदस्यता पर वीटो लगा दिया था। ये दोनों देश भी अमेरिका की तरह कुर्द लड़ाकों को अपना समर्थन देते थे। बाद में फिनलैंड और स्वीडन से कुर्द विद्रोहियों को लेकर आश्वासन मिलने के बाद तुर्की ने अपनी वीटो वापस ली थी। ये कुर्द लड़ाके सीरिया में बसर अल असद सरकार का विरोध करते हैं। इनकी मांग एक स्वतंत्र कुर्दिस्तान देश बनाने की है, जिसमें सीरिया और तुर्की के इलाके शामिल हैं।