एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

रूस-यूक्रेन जंग के बीच चीन-ताइवान की तनातनी के दौरान अब अजरबैजान ने आर्मेनिया पर किया हमला, रूस ने अजरबैजान पर सीजफायर तोड़ने का लगाया आरोप – नित्यानंद दूबे/रविशंकर मिश्र


फाईल फोटो, साभार -(सोशल मीडिया)

येरेवान/बाकू। दुनिया इस साल फरवरी से हीं रूस-यूक्रेन जंग का सामना कर ही रही थी कि अब चीन-ताइवान तनाव भी अपने चरम पर पहुंच गया,जहां इस दौरान चीनी नौसेना ताइवान को समंदर में 6 ओर से घेरकर ड्रिल शुरू कर दी कि इसी बीच अजरबैजान ने भी सीजफायर का खुला उल्लंघन करते हुए आर्मेनिया पर हमला कर दिया है। जहां इस हमले में आर्मेनिया के 3 सैनिकों की मौत हो गई।

दरअसल,आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच विवादित क्षेत्र नागोर्नो-कारबाख को लेकर एक बार फिर से युद्ध शुरू हो गया। बताया जा रहा है कि 3 अगस्त को अजरबैजान ने कारबाख में भीषण बमबारी करके आर्मेनिया के 3 सैनिकों को मार डाला है।

वहीं,अर्मेनिया ने कहा कि अजरबैजान ने इस क्षेत्र के कई इलाकों पर भी कब्जा कर लिया है। इसे लेकर रूस ने भी अजरबैजान पर सीजफायर तोड़ने का आरोप लगाया है।

हालांकि,अजरबैजान ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया है। सेना ने कहा- आर्मेनिया ने पहले हमला किया और हमारे एक जवान को मार दिया। हमने जवाबी कार्रवाई की।

गौरतलब है कि नवंबर 2020 में रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने आर्मेनिया-अजरबैजान के बीच एक शांति समझौते करवाया था। 2020 में दोनों देशों के बीच लगभग 6 महीने तक खूनी संघर्ष चला था। इस दौरान 6,500 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। बता दे कि इस जंग में अजरबैजान को इजरायल,टर्की के अलावा पाकिस्तान ने भी खुलकर सैन्य मदद पहुंचाई थी। यहीं नहीं इन देशों के फाइटेर एअरक्राफ्ट आर्मेनिया में भीषण बमबारी भी की थी। इसके बाद रूस के कहने पर दोनों देशों ने शांति समझौते पर साइन किए थे।

दरअसल,नागोर्नो-कारबाख इलाका 20 साल से भी ज्यादा समय से आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच विवाद का कारण बना हुआ है। जहां कोई भी देश इसे स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता नहीं देता। वर्ष 1988 से दोनों यूरेशियन देश नागोर्नो-कारबाख इलाके पर कब्जा करना चाहते हैं।
जबकि यह क्षेत्र अंतरराष्‍ट्रीय रूप से अजरबैजान का हिस्‍सा है लेकिन उस पर 1994 से आर्मेनिया के जातीय गुटों का कब्‍जा है।

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