सांकेतिक तस्वीर।
नई दिल्ली/बीजिंग। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के सीमा विवाद को लेकर दिए गए बयान पर चीन बौखला सा गया है। बता दे चीनी समाचार समूह “ग्लोबल टाइम्स” ने अपने एक लेख में भारत द्वारा सच छिपाने की नाकाम कोशिश करने का दावा किया है,यही नहीं चीनी पत्र ने आगे भी कहा कि चीन ने नहीं,बल्कि भारत ने द्विपक्षीय समझौते की अवहेलना की और सीमा को पार किया।
चीनी पत्र ग्लोबल टाइम्स ने आगे यह भी लिखा कि भारतीय विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर की हालिया टिप्पणी दोनों देशों के आपसी विश्वास को कम कर सकती है। इससे द्विपक्षीय संबंधों के विकास पर असर पड़ सकता है। ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया कि चीन ने नहीं, बल्कि भारत ने द्विपक्षीय समझौतों की अवहेलना और उल्लंघन किया है और चीन के क्षेत्र पर अतिक्रमण किया है।
दरअसल,रविवार को ब्राजील के साओ पाउलो में एक कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा था कि अभी,हम एक बहुत ही कठिन दौर से गुजर रहे हैं। भारत और चीन के बीच 1990 के दशक से समझौते हैं। उन्होंने कहा था कि चीन ने इसकी अवहेलना की है। कुछ साल पहले गलवान घाटी में क्या हुआ था ? आप जानते हैं। उस समस्या का समाधान नहीं हुआ है और यह स्पष्ट रूप से प्रभाव डाल रहा है।
जहां ग्लोबल टाइम्स ने चीनी विश्लेषकों के हवाले से बताया कि 17 जुलाई को चीन और भारत के बीच कोर कमांडर स्तर की 16वीं बैठक के दौरान स्थिरता और शांति बनाए रखने पर सहमति बनी थी। जहां दोनों ही पक्षों ने उकसावे की कार्रवाई न करने और बातचीत को जारी रखने का फैसला किया था। यह भारत है जिसने 1990 के दशक में दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित दो समझौतों का घोर उल्लंघन किया है। चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के तहत इंस्टीट्यूट ऑफ चाइनीज बॉर्डरलैंड स्टडीज के रिसर्च फेलो झांग योंगपैन के हवाले से ग्लोबल टाइम्स ने बताया कि चीन और भारत ने 1993 और 1996 में सीमा मुद्दे पर दो समझौतों पर हस्ताक्षर किए। 1993 में हस्ताक्षरित सीमा समझौते में दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति और स्थिरता बनाने पर सहमति बनी थी।
फिलहाल,भारत के विदेश मंत्री जयशंकर का बयान सौ फीसदी सच है जिसका कि सीक्रेट आॅपरेशन न्यूज पोर्टल समूह भी समर्थन करता है। और चीनी पत्र को अतीत का भी हवाला देना चाहिए था कि कैसे वर्ष 1962 में चीन की PLA ने भारतीय सीमा में चोरी से घुसपैठ करने के बाद तब हमला की थी,जब भारतीय फौज हिंदी-चीनी भाई-भाई के नारे को आत्मसात करते हुए दुश्मन की तरफ से बेखबर थी। जहां इस दौरान भारतीय सेना चीनी धोखे का शिकार बन गई, परिणामस्वरूप अमेरिका के भारी दबाव के बाद चीन 21 नवंबर को सीज फायर का ऐलान किया तथा चीनी फौज पीछे हट गई लेकिन भारतीय क्षेत्र पर आज भी चीनी कब्जा बरकरार है।