एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

इसरो जासूसी कांड पर बनी फिल्म के विरोध में पूर्व वैज्ञानिको के एक समूह ने किया बड़ा दावा, कहा फिल्म में 90 फीसदी तथ्य झूठे – हेमंत सिंह/नित्यानंद दूबे

The US military has continued research to keep its soldiers young and their wounds heal quickly.
सांकेतिक तस्वीर।

नई दिल्ली। इसरो के पूर्व वैज्ञानिक रहे नंबी नारायणन जो कि कथित तौर पर जासूसी के आरोप में कभी जेल में बंद रहे अब इस पूरे घटनाक्रम पर एक “राॅकेटरी द नांबी इफेक्ट” नाम की फिल्म सामने आई है। जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व वैज्ञानिकों के एक समूह ने फिल्म में वैज्ञानिक नंबी नारायणन द्वारा किए गए दावे को झूठा करार दिया हैं। इतना ही नहीं इन वैज्ञानिको ने इसे इसरो को बदनाम करने वाला कदम माना है।

दरअसल,पूर्व वैज्ञानिको का मानना है कि फिल्म में किये गये दावे भारत की दिग्गज अंतरिक्ष एजेंसी को बदनाम करने वाले हैं। बता दे कि बुधवार को मीडिया से मुलाकात करने वालों में डॉ. ए ई मुतुनायगम, निदेशक, एलपीएसई, इसरो, प्रो. ई वी एस नंबूतीरी, परियोजना निदेशक, क्रायोजेनिक इंजन और डी शशिकुमारन, उप निदेशक, क्रायोजेनिक इंजन और इसरो के अन्य पूर्व वैज्ञानिक भी शामिल रहे।

पूर्व वैज्ञानिकों ने आगे यह कहा कि हम सार्वजनिक रूप से कुछ बातें बताने के लिए मजबूर हुए हैं क्योंकि नंबी नारायणन इसरो और अन्य वैज्ञानिकों को “रॉकेटरी: द नांबी इफेक्ट” फिल्म के माध्यम से और टेलीविजन चैनलों के माध्यम से बदनाम करने पर तुले हुए हैं। उनका दावा है कि वह कई प्रोजेक्ट के जनक हैं, बिल्कुल गलत है। उन्होंने फिल्म में यहां तक दावा किया कि उन्होंने एक बार एपीजे अब्दुल कलाम को सही किया था, जो आगे चलकर राष्ट्रपति बने। यह भी गलत है।” अभिनेता आर माधवन द्वारा निर्देशित, निर्मित और लिखित फिल्म एयरोस्पेस इंजीनियर नंबी नारायणन के जीवन पर आधारित है। फिल्म में माधवन मुख्य भूमिका में हैं।

पूर्व वैज्ञानिकों ने यह भी कहा कि उन्होंने इसरो के वर्तमान अध्यक्ष एस सोमनाथ से फिल्म में किए गए झूठे दावों पर निर्णय लेने के लिए कहा है। पूर्व वैज्ञानिकों ने कहा कि फिल्म में नारायणन का यह दावा गलत है कि उनकी गिरफ्तारी के कारण भारत को क्रायोजेनिक तकनीक हासिल करने में देरी हुई। उन्होंने कहा कि इसरो ने 1980 के दशक में क्रायोजेनिक तकनीक विकसित करना शुरू किया था और ई वी एस नंबूदरी प्रभारी थे। उन्होंने दावा किया, ‘‘नारायणन का परियोजना से कोई संबंध नहीं था।’’

पूर्व वैज्ञानिकों के समूह ने यह भी दावा किया कि इसरो के संबंध में फिल्म में उल्लेखित कम से कम 90 प्रतिशत मामले झूठे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह भी पता चला है कि नारायणन ने कुछ टेलीविजन चैनलों में दावा किया है कि फिल्म में जो कुछ कहा गया है वह सच है। कुछ वैज्ञानिकों ने यह भी ​​चिंता जतायी कि नारायणन उनकी कई उपलब्धियों का श्रेय ले रहे हैं।’’

चूंकि, वर्ष 2018 में ही, सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को उन्हें 1.3 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया था। वहीं,मामले में गिरफ्तार किए गए नारायणन ने करीब दो महीने जेल में बिताए थे और बाद में सीबीआई जांच में यह साफ हो गया कि नारायणन कथित साजिश के शिकार हुए थे।

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