सांकेतिक तस्वीर।
मॉस्को। रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग छह महीने से ऊपर हो चली हैं। लेकिन दोनों पक्षों की तरफ से सीजफायर की संभावना दूर-दूर तक नहीं दिखाई दे रही है। जहां इस बीच इस जंग में आग में घी का काम करते हुए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के शीर्ष सहयोगी और पूर्व रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव का बयान सामने आया है। जिसमें उन्होंने ऐलान करते हुए बड़ा दावा किया है कि रूसी फौज अब रूकने वाली नहीं है। आगे भी उन्होंने कहा कि भले ही यूक्रेन ने नाटों में शामिल होने की अपनी आकांक्षाओं को औपचारिक रूप से त्याग दिया हो,लेकिन हम मिलिट्री ऑपरेशन नहीं रोक सकते। बता दे कि दिमित्री मेदवेदेव अब रूस की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष हैं तथा पुतिन की यूनाइटेड रशिया पार्टी के अध्यक्ष भी हैं।
दरअसल,दिमित्री मेदवेदेव ने एक फ्रांसीसी टेलीविजन को दिए इंटरव्यू में बताया कि रूस कुछ शर्तों के साथ यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के साथ बातचीत करने के लिए तैयार था। फरवरी के आक्रमण से पहले ही,मॉस्को ने स्पष्ट कर दिया था कि नाटों की यूक्रेनी सदस्यता उसे अस्वीकार्य थी। लेकिन यूक्रेन ने तब रूस के अनुरोधों पर बिलकुल भी ध्यान नहीं दिया और पश्चिमी देशों के बहकावे में आकर नाटों में शामिल होने की जिद पर अड़ रहा। उन्होंने यह भी कहा कि नाटों में यूक्रेन की भागीदारी को त्यागना अब भी महत्वपूर्ण है,लेकिन शांति स्थापित करने के लिए बस इतना ही करना बिलकुल भी पर्याप्त नहीं है।
उन्होंने आगे यह भी कहा कि रूस तब तक सैन्य अभियान जारी रखेगा जब तक कि उसके लक्ष्य हासिल नहीं हो जाते। वहीं,यूक्रेन और पश्चिमी देशों का दावा है कि यह युद्ध के लिए एक आधारहीन बहाना है। आक्रमण शुरू होने के बाद रूस और यूक्रेन ने कई दौर की बातचीत की,लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला। ऐसे में बातचीत के फिर से शुरू होने की बहुत कम संभावनाएं हैं। रूस और यूक्रेन के बीच बातचीत की मध्यस्थता तुर्की ने भी की थी,जिसके दिए गए ड्रोन की वजह से इस युद्ध की शुरुआत हुई थी। दरअसल, तुर्की से खरीदे गए टीबी-2 ड्रोन की मदद से यूक्रेन ने डोनबास में रूस समर्थित विद्रोहियों पर हमले किए थे।
मेदवेदेव ने इस वार्ता में यह भी खुलासा किया कि यूक्रेन के साथ बातचीत इस बात पर निर्भर करेगा कि उस समय परिस्थिति कैसी होगी ? हम (ज़ेलेंस्की) मिलने से पहले भी तैयार थे। उन्होंने यह भी कहा कि यूक्रेन को पहले ही आपूर्ति किए गए अमेरिकी हथियार जैसे कि HIMARS मल्टी-रॉकेट लॉन्चर ने अभी तक एक बड़ा खतरा पैदा नहीं किया है। उन्होंने कहा कि लेकिन यह बदल सकता है,अगर अमेरिका से भेजे गए हथियार लंबी दूरी पर लक्ष्य को मार सकें। इसका मतलब है कि जब इस तरह की मिसाइल 70 किमी उड़ती है, तो यह एक बात है। लेकिन, जब यह 300-400 किमी तक जाए , तो यह दूसरी बात बन जाएगी। ऐसे में यह सीधे रूसी संघ के क्षेत्र के लिए खतरा होगा।
गौरतलब है कि रूसी संविधान के अनुसार कोई भी व्यक्ति लगातार तीन बार रूस का राष्ट्रपति नही बन सकता,इसीलिये मेदवेदेव वर्ष 2008 में पुतिन को रूस के राष्ट्रपति का कुर्सी सौंपे थे,लेकिन वे अभी भी पुतिन के लिए मार्गदर्शक एवं वरिष्ठ सहयोगी की भूमिका में बने हुए हैं। इसीलिए मेदवेदेव का यह बयान एक प्रकार से आधिकारिक ही माना जा रहा है।