एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

ताइवान की सीमा में घुस रहे चीनी ड्रोन पर ताइवानी फोर्स ने किया फायर, भीषण गोलाबारी के चलते वापस भागा चीनी ड्रोन, जारी तनाव के बीच पहली बार गोलाबारी की रिपोर्ट आई सामने – सतीश उपाध्याय/रविशंकर मिश्र


सांकेतिक तस्वीर।

ताइपे। चीन और ताइवान के बीच जारी भीषण तनातनी के दौरान पहली बार ताइवान की तरफ से दुश्मन के खिलाफ गोलाबारी किये जाने की रिपोर्ट सामने आई है। बता दे कि मंगलवार को ताइवान के एक द्वीप के पास एक चीनी ड्रोन पर ताइवानी फोर्स ने गोलीबारी की है। जहां इस गोलाबारी की वजह से दुश्मन का ड्रोन वापस लौटने पर मजबूर हो गया।

दरअसल, ताइवानी सेना के एक सैन्य प्रवक्ता के हवाले से यह दावा किया गया कि चीन का यह ड्रोन ताइवान नियंत्रण वाले एक द्वीप के ऊपर उड़ रहा था और गोलीबारी के बाद वापस चीन लौट गया। यह पहली बार है जब इस तरह की घटना में किसी पक्ष की ओर से गोलाबारी की घटना को अंजाम दिया गया है। मालूम हो कि दोनों देशों के बीच तनाव और अधिक बढ़ने की आशंका है।

वहीं,ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने मंगलवार को स्वशासित द्वीप की मिलिट्री यूनिट से कहा कि वे चीन की ओर से दैनिक आधार पर भेजे जा रहे विमान और यु्द्धपोतों को लेकर सयंमित रहें। उन्होंने कहा कि ताइवान, चीन को संघर्ष भड़काने का मौका नहीं देगा। राष्ट्रपति वेन चीन की ओर से प्रतिदिन डाले जा रहे दबाव के बावजूद खुद भी सयंमित हैं। उन्होंने ताइवान के पश्चिमी तट पर पेंघु स्थित नौसेना के ठिकाने के दौरा किया और सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा, ‘दुश्मन जितना भी उकसावे की मुद्रा में हो, हमें उतना ही संयमित रहने की जरूरत है। हमें उन्हें संघर्ष करने के लिए बहाना नहीं देंगे।’

बता दे कि इससे पहले अमेरिका के दो युद्धपोत अंतरराष्ट्रीय जल के माध्यम से ताइवान जलडमरूमध्य से होकर गुजरे थे। जहां अमेरिकी नौसेना ने खुद इसकी जानकारी दी थी। नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा से ताइवान और चीन के बीच तनाव बढ़ने के बाद यह इस तरह का पहला ऑपरेशन था। वॉशिंगटन ने कहा था कि दो गाइडेड-मिसाइल क्रूजर, यूएसएस एंटियेटम और यूएसएस चांसलर्सविले, अंतरराष्ट्रीय जल के माध्यम से नेविगेशन की स्वतंत्रता का प्रदर्शन कर रहे हैं। अमेरिकी नौसेना ने एक बयान में कहा कि ताइवान जलडमरूमध्य के माध्यम से होकर गुजरना ‘अमेरिका की एक स्वतंत्र औ खुले इंडो-पैसिफिक के प्रति प्रतिबद्धता’ का प्रदर्शन करता है। फिलहाल,ताइवान की सुरक्षा के दृष्टिगत अमेरिका व अन्य सहयोगी देश लगातार सक्रिय है,ऐसे में बीजिंग को बैकफुट पर होना स्वभाविक है।

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