सांकेतिक तस्वीर।
नई दिल्ली। इंडियन डिफेंस इस समय अपने प्रगति के सर्वोच्च शिखर पर है। जहां इसी कड़ी में भारतीय नौसेना को शुक्रवार को अपना पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत मिल गया। जो कि फ्रंट पर दुश्मन को नेस्तनाबूद करने के लिए सभी तरह से सक्षम है। बता दे कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोच्चि शिपयार्ड में करीब डेढ़ घंटे चली कमिशनिंग सेरेमनी में ये एयरक्राफ्ट कैरियर इंडियन नेवी को सौंप दिया।
इसके साथ ही साथ एक और बड़ा बदलाव किये जाने की रिपोर्ट सामने आई है। जिसमें नेवी को नया नौसेना ध्वज भी सौंपा गया है। इसके पहले अंग्रेजों की निशानी क्रॉस का लाल निशान लगा रहता था जो कि अब हटा दिया गया है। अब इसमें तिरंगा और अशोक चिह्न है,जिसे PM मोदी ने छत्रपति शिवाजी महाराज को समर्पित किया।
इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि INS विक्रांत भारत सरकार के डिफेंस सेक्टर को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिशों का उदाहरण है। आज भारत उन देशों की सूची में शामिल हो गया है,जो अपनी तकनीक से ऐसे बड़े जहाज बना सकते हैं।
आगे भी उन्होंने कहा कि हमें आज नौसेना का नया ध्वज भी मिला है। इसमें अंग्रेजों के सेंट जॉर्ज क्रॉस को हटाकर छत्रपति शिवाजी महाराज के राजचिह्न को शामिल किया गया है। नौसेना के पास एक ऐसा युद्धपोत है, जो अपने आप में एक तैरता एयरफील्ड और शहर है। इस पर बनने वाली बिजली से 5 हजार घर रोशन हो सकते हैं और इसमें लगे केबल तार अगर कोच्चि से शुरू हों तो कन्याकुमारी तक जाएं।
इसी क्रम में PM ने आगे यह भी कहा कि ये भारतीयों के लिए गर्व का मौका है। ये भारत की प्रतिभा का उदाहरण है। ये सशक्त भारत की शक्तिशाली तस्वीर है। विक्रांत विशाल है, ये खास है, ये गौरवमयी है। ये केवल वॉरशिप नहीं है। ये 21वीं सदी के भारत के कठिन परिश्रम, कौशल और कर्मठता का सबूत है। आज INS विक्रांत ने भारतीयों को नए भरोसे से भर दिया है।
मोदी यही नहीं रूके आगे भी उन्होंने ने कहा कि आज मैं नौसेना का नया ध्वज छत्रपति वीर शिवाजी महाराज को समर्पित करता हूं। अब तक नौसेना के झंडे पर गुलामी की तस्वीर थी। इस तस्वीर को हमने हटा दिया है। शिवाजी की समुद्री ताकत से दुश्मन कांपते थे।
दरअसल,पहले भारतीय नौसेना के झंडे पर लाल क्रॉस का निशान होता था। जो कि ये सेंट जॉर्ज क्रॉस था,जो अंग्रेजों के झंडे यूनियन जैक का हिस्सा था। सेंट जॉर्ज क्रॉस ईसाई संत और योद्धा की निशानी थी। जहां इसे वर्ष 2001 में हटाया गया लेकिन वर्ष 2004 में इसे दोबारा फिर से लगा दिया गया। हालांकि,2001 से 2004 इसमें अशोक चिह्न को बरकरार रखा गया था। जहां वर्ष 2014 में अशोक चिह्न के नीचे सत्यमेव जयते लिखा गया।
बता दे कि शुक्रवार के दिन इस ऐतिहसिक कार्यक्रम में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और नौसेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
गौरतलब है कि देश के पास अब ऐसा सबसे बड़ा स्वदेशी युद्धपोत है, जो 20 मिग-29 फाइटर जेट्स ले जाने में सक्षम है। इसकी लागत करीब 20 हजार करोड़ रुपए है। 1971 की जंग में INS विक्रांत ने अपने सीहॉक लड़ाकू विमानों से बांग्लादेश के चिटगांव, कॉक्स बाजार और खुलना में दुश्मन के ठिकानों को तबाह किया था।
जहां इसे 25 साल पहले यानि 31 जनवरी 1997 को रिटायर कर दिया गया था,लेकिन वर्ष 1999 की कारगिल जंग के बाद हमें स्वदेशी एयरक्राफ्ट की जरूरत पड़ी। तब वर्ष 2009 में इसका निर्माण शुरू हुआ जहां इसे बनाने में 500 कंपनियां जुटीं और इसे पूरा कर दिखाया।
इसकी खासियत यह है कि 40 हजार टन वजन वाला यह विमान वाहक जहाज है। और यह दुनिया में केवल अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस के पास ही 40 हजार और इससे ज्यादा वजन वाले विमान वाहक जहाज का निर्माण करने की क्षमता है। विक्रांत 20 मिग-29 लड़ाकू विमान और दस हेलिकॉप्टरों को ले जाने में भी सक्षम है। चूंकि वर्ष 2017 में आईएनएस विराट के रिटायर होने के बाद भारत के पास केवल एक विमान वाहक जहाज आईएनएस विक्रमादित्य है।