सांकेतिक तस्वीर।
वाशिंग्टन/नई दिल्ली। आखिर अमेरिका व नाटों देशों को ठेंगा दिखाते हुए उत्तर कोरिया के तानाशाह नेता किम जोंग उन ने दो दिन पहले ही उत्तर कोरिया की संसद में एक कानून बनाकर शनिवार को देश को परमाणु हथियारों से संपन्न राष्ट्र घोषित कर हीं डाला और पूरी दुनिया ताकती हीं रह गई।
इसके साथ हीं सनकी तानाशाह किम ने इस दौरान यह भी ऐलान किया कि अगर उसके देश को 100 सालों तक भी प्रतिबंधित कर दिया जाए, तो भी वह अपने परमाणु हथियार नहीं छोड़ेगा। अब आलम यह है कि दुनिया का ताकतवर देश अमेरिका भी इस कोरियाई तानाशाह के आगे बेबस नजर आ रहा है।
दरअसल, वर्ष 1964 तक अमेरिका ही इकलौता परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र था। हालांकि पहले से ही 1964 तक, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम,चीन और सोवियत संघ ने परमाणु हथियार क्षमता विकसित कर ली थी। जहां बाद में इन देशों के साथ भारत, पाकिस्तान और इज़राइल भी इन देशों की श्रेणी में आ गए थे,लेकिन अब इस लिस्ट में उत्तर कोरिया का भी नाम जुड़ गया।
बता दे कि उत्तर कोरिया में नाममात्र की संसद यानी रबर स्टैंप संसद ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक कानून पास किया। जिसके मुताबिक इस कानून में सबसे पहले उत्तर कोरिया की परमाणु स्थिति की रूपरेखा तय की गई थी। मूल 2013 के कानून में कहा गया था कि उत्तर कोरिया परमाणु हथियारों का इस्तेमाल शत्रुतापूर्ण परमाणु राज्य से आक्रमण या हमले को रोकने के लिए कर सकता है और जवाबी हमले कर सकता है। नया कानून इससे आगे जाता है। अब नए कानून के तहत किम जोंग- उन ने अपने देश को परमाणु हथियार वाला राष्ट्र घोषित कर डाला है।
अब उत्तर कोरिया की परमाणु स्थिति का ये नया कानून उन शर्तों को बताता है जिनके तहत उत्तर कोरिया परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है। इसके तहत जब उत्तर कोरिया के नेतृत्व को ये लगे कि उसके दुश्मन की ताकत उस पर जल्द ही गैर परमाणु और परमाणु हमला कर सकती है तो वह परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है। इसके तहत यदि उत्तर कोरिया के नेतृत्व सहित सामूहिक विनाश के हथियारों से देश या उसके “रणनीतिक लक्ष्यों” को निशाना बनाकर अवश्यंभावी हमला किया जाता है, तो वह पहले ही दुश्मन पर परमाणु हमला करने में सक्षम होगा।
इतना ही नहीं यह नया कानून अन्य देशों के साथ परमाणु प्रौद्योगिकी को साझा करने पर भी प्रतिबंध लगाता है। किम के मुताबिक परमाणु हथियार नीति पर कानून बनाने की सबसे अहम बात ये है कि परमाणु हथियारों को लेकर उत्तर कोरिया किसी की बात नहीं सुनेगा। इसमें कभी बदलाव नहीं होगा,ताकि दुनिया का कोई देश उनके परमाणु हथियारों पर कोई सौदेबाजी न कर सके।
इसी कड़ी में किम जोंग-उन ने आगे भी कहा है कि उत्तर कोरिया अपने परमाणु हथियारों को कभी नहीं छोड़ेगा, भले ही उसके देश को “100 साल” के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाए। किम ने ये बात संसद में उत्तर कोरिया को परमाणु हथियार देश घोषित करने वाले कानून के पास होने पर कही।
यही नहीं उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग-उन ने यह भी साफ किया कि हम अभी जिन अस्थाई मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, उन्हें कम करने के लिए हम अपने आत्मरक्षा के अधिकारों को कभी नहीं छोड़ेंगे, जो हमारे देश के अस्तित्व और हमारे लोगों की सुरक्षा को पुख्ता करते हैं.”यदि प्योंगयांग के नेतृत्व पर हमला होता है तो इस कानून के तहत उत्तर कोरिया की सेना के सहज ही दुश्मन की ताकतों के खिलाफ परमाणु हमले करने की जरूरत तय होती है। इसमें दुश्मन का उकसावा और उकसावे के लिए प्रेरित करने को भी हमला माना जाएगा।
बता दे कि हाल ही में शुरु हुए अमेरिका और दक्षिण कोरिया के ज्वाइंट मिलिट्री ड्रिल को भी लेकर किम जोंग ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका का मकसद केवल हमारी परमाणु शक्ति को खत्म करना ही नहीं, बल्कि अंततः हमें आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर करना है या हमारे परमाणु हथियारों को छुड़वा कर हमारे आत्मरक्षा के अधिकारों को कमजोर करना है, ताकि वे किसी भी वक्त हमारी सरकार को गिरा सकें।
दरअसल,उत्तर कोरिया की संसद में देश को परमाणु हथियार राष्ट्र घोषित करने का यह कानून उस वक्त पास हुआ,जब उत्तर कोरिया पांच साल बाद अपना परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने की तैयारी में है। वैश्विक परिदृश्य में उत्तर कोरिया पर नजर रखने वाले जानकारों का मानना है कि ये देश अपनी परमाणु परीक्षणों की पैरवी के लिए ये कानून लेकर आया है। गौरतलब है कि साल 2018 के ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन में इस मसले का हल करने की कोशिश की गई थी।
तब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प और विश्व के नेताओं की प्योंगयांग को उसके परमाणु हथियारों के विकास पर रोक लगाने की ये कोशिश भी नाकाम रही थी। किम ने इसके लिए साफ तौर पर इंकार कर दिया था। इसके बाद अमेरिका ने इस मामले में दक्षिण कोरिया के सहारे किम जोंग उन से बात करने की कोशिश की थी, लेकिन इस पेशकश को भी किम ने ठुकरा दिया था।
फिलहाल, उत्तर कोरिया के इस ताजे ऐलान ने अमेरिका, दक्षिण कोरिया सहित नाटों देशों के उन तमाम उम्मीदो पर पानी फेर दिया जिसमें वे सदैव प्रयासरत थे कि उत्तर कोरिया कभी परमाणु संपन्न राष्ट्र न बन सके। इतना ही नहीं इन देशों की खुफिया ऐजेंसियां उत्तर कोरिया पर पूरी नजर बनाये हुई थी, लेकिन इसके बावजूद भी उत्तर कोरिया आॅपरेशन “परमाणु बम” को बिना किसी नुकसान के बनाने में सफल रहा और पूरी दुनिया ताकती हीं रह गयी। हालांकि, किम के इस सफलता को लेकर चीन और रूस अंदर हीं अंदर बहुत खुश हैं क्योंकि इनके दुश्मन अमेरिका और नाटों को किम ने इतना बड़ा झटका जो दिया है।