साभार-(सोशल मीडिया)
बीजिंग। पिछले कई सालों से लगातार चीन से ऊईगर मुस्लिमों के उत्पीड़न की बेहद खतरनाक रिपोर्ट सामने आती रही है, इसके बावजूद भी मुस्लिम समुदाय के रहनुमा देश मौन है। यहां तक कि बोलने की तो बात छोड़िये,एक बार भी किसी मुस्लिम देश ने उन जगहों का दौरा करना मुनासिब नहीं समझा,जहां पर बेहद गोपनीय तरीके से इन निर्दोष ऊईगर मुस्लिमों को टारगेट किया जा रहा है। बता दे कि चीन के
चीन के शिंजियांग प्रांत में बनाये गये डिटेंशन सेंटर में करीब 10 लाख उइगर मुस्लिमों और अन्य जातीय,धार्मिक अल्पसंख्यकों को बलपूर्वक इन कैंप में बंदी बनाकर रखा गया है। यहां उन पर बर्बर अत्याचार किए जाते हैं। यहां से भागने वालों को गोली मारने का आदेश है। उइगर मुस्लिमों से कुरान और अन्य सभी धार्मिक चीजें जब्त कर ली जाती हैं।
बताया जाता है कि इन बंदियों को जंजीरों से बांधकर रखा जाता है। सेंटर्स के वॉच टॉवरों में मशीनगन और स्नाइपर रायफलें रखी जाती हैंं। कोई महिला अगर सेंटर से निकल भागी है तो उससे पूछताछ के नाम पर रेप किया जाता है। डिटेंशन सेंटर्स में कैद महिलाओं से भी रेप होना आम है।
इस बीच एक पीड़िता तर्सुने झियाउदून के हवाले से रिपोर्ट किया गया है कि कुंस काउंटी के उईगर सेंटर में उसे पीटा गया,सेक्सुअल उत्पीड़न किया गया और उसके साथ गैंग रेप भी किया गया। इतना ही नहीं उसे चार बार इंटरोगेशन सेंटर ले जाया गया जहां उसके प्रायवेट पार्ट में बैटन से करंट लगाया गया।
दरअसल चीन की पुलिस के कम्प्यूटर सर्वर को हैक कर किसी अज्ञात शख्स ने डेटा निकाला और कई न्यूज एजेंसियों को दे दिया। इन दस्तावेजों को शिंजियांग पुलिस फाइल्स कहा जा रहा है। बता दे कि इन दस्तावेजों में हजारों लोगों की 5000 तस्वीरें है,जिन्हें जबरन कैद किया गया है। ये जनवरी से जुलाई 2018 के बीच ली गई है। जिनमें 20 हजार उइगरों के इंटरनल डिटेल्स हैं। साथ ही अत्यधिक संवेदनशील स्थानों के फोटो हैं। इन लोगों पर किस तरह की हिंसा हो रही है और उन्हें किस तरह कैद किया गया है इसे देख दुनिया हैरान है।
बताते चले कि चीन ऊईगर मुस्लिमों के साथ इतनी ज्यादती करता है कि दुनिया के खूंखार से खूंखार आतंकी संगठन भी इस तरह से ज्यादती नहीं कर पायेंगें,कई पत्रकारों ने अपनी जान जोखिम में डालकर इन डिटेंशन सेंटर का दौरा किया और अपनी पड़ताल में पाया कि यहां पर नाबालिग बच्चो को भी नहीं बख्शा जा रहा है। बेहद हैरानी होती है कि एक भी मुस्लिम देश इस ज्यादती पर नहीं बोल रहे हैं,यहां तक इन जगहो पर दौरा भी नहीं कर रहे हैं जो कि साबित करने के लिए काफी है कि इन पीड़ितों के साथ इनकी कोई हमदर्दी नहीं है।