सांकेतिक तस्वीर।
नई दिल्ली। प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के खिलाफ NIA ने एक दिन पहले एक स्पेशल ऑपरेशन के दौरान देश के करीब 11 राज्यों में जबरदस्त छापेमारी की कार्यवाही को अंजाम दिया था। जहां इस दौरान केंद्रीय ऐजेंसी ने PFI से जुड़े सैकड़ों संदिग्धों को भी हिरासत में लिया। इन संदिग्धों को अदालत में पेश करने के दौरान ऐजेंसी ने बेहद चौंकाने वाला खुलासा करते हुए अदालत को बताया कि खूंखार आतंकी संगठन ISIS जैसे तमाम आतंकी संगठनों में शामिल होने के लिए PFI देश भर के मुस्लिम नवयुवकों की तेजी से भर्ती कर रहा था। बता दे कि इसी आरोप के आधार पर केंद्रीय ऐजेंसी अदालत से इन आरोपियों के रिमांड की मांग की।
इतना ही नहीं इसी कड़ी में आगे भी खुलासा करते हुए साफ किया कि पीएफआई केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों सहित भारत के विभिन्न हिस्सों में आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने के लिए भारत और विदेशों से धन जुटाने या इकट्ठा करने की भी साजिश में शामिल है।
दरअसल,एनआईए ने देश के गृह मंत्रालय के विशेष निर्देश पर इस साल बीते 13 अप्रैल को इस घटनाक्रम में पहली एफआईआर दर्ज करते हुए इस साजिश की तह तक जाने के लिए इतनी बड़ी कार्यवाही को अंजाम दिया है। जहां इस दौरान एनआईए ने कई पीएफआई नेताओं के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860 के तहत धारा 120 और 153 ए और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 17, 18, 18 बी, 20, 22 बी, 38 और 39 के तहत मामला दर्ज किया। बता दे कि यह मामला एनआईए की दिल्ली शाखा ने दर्ज किया था।
एनआईए ने आगे भी कहा कि पीएफआई द्वारा किए गए आपराधिक हिंसक कृत्य जैसे कॉलेज के प्रोफेसर का हाथ काटना, अन्य धर्मों को मानने वाले संगठनों से जुड़े व्यक्तियों की निर्मम हत्याएं, प्रमुख लोगों और स्थानों को लक्षित करने के लिए विस्फोटकों का संग्रह, इस्लामिक स्टेट को समर्थन और जनता को नष्ट करना संपत्ति का नागरिकों के मन में आतंक फैलाने का एक प्रदर्शनकारी प्रभाव पड़ा है।
यही नहीं पीएफआई के एक कैडर यासिर अराफात उर्फ यासिर हसन और एफआईआर में नामजद अन्य लोगों पर भी अपने सदस्यों और अन्य को आतंकवादी कृत्यों को करने के लिए ट्रेनिंग प्रदान करने में शामिल होने का आरोप है। एनआईए ने यह भी दावा किया कि आरोपी व्यक्ति विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और सोशल मीडिया और अन्य प्लैटफॉर्मों के माध्यम से समाज में सांप्रदायिक विद्वेष पैदा करने में भी शामिल हैं।
बताते चले कि एनआईए,ईडी और संबधित राज्यों की पुलिस फोर्स ने गुरुवार को पूरे भारत में मारे गए छापों के दौरान 106 पीएफआई नेताओं, कैडरों और अन्य को गिरफ्तार किया। जिसमें केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, असम, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, पश्चिम बंगाल, बिहार और मणिपुर के 15 राज्यों में 93 स्थानों पर छापे मारे गए थे।
और यह छापेमारी पीएफआई के शीर्ष नेताओं और सदस्यों के घरों और कार्यालयों पर एनआईए द्वारा दर्ज पांच मामलों के संबंध में की गई थी, जो लगातार इनपुट और सबूत के बाद दर्ज किए गए थे कि पीएफआई नेता और कैडर आतंकवाद और आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण, प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने के लिए सशस्त्र प्रशिक्षण और प्रतिबंधित संगठनों में शामिल होने के लिए लोगों को कट्टरपंथी बनाने में शामिल थे।
इससे पहले एनआईए ने इसी साल बीते 4 जुलाई को तेलंगाना के निजामाबाद पुलिस स्टेशन में 25 से अधिक पीएफआई कैडरों के खिलाफ एक एफआईआर के आधार पर मामला दर्ज किया था,जब तेलंगाना पुलिस ने जांच में पाया कि आरोपी धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता बढ़ाने के लिए हिंसक और आतंकवादी कृत्यों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए शिविर आयोजित कर रहे थे।
इस दौरान ऐजेंसी ने यह भी साफ किया कि पिछले कुछ सालों में विभिन्न राज्यों द्वारा पीएफआई और उसके नेताओं और सदस्यों के खिलाफ कई हिंसक कृत्यों में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं। और
इन मामलों में एनआईए ने 45 गिरफ्तारियां भी की हैं। 19 आरोपियों को केरल से, 11 को तमिलनाडु से, सात को कर्नाटक से, चार को आंध्र प्रदेश से, दो को राजस्थान से और एक-एक को उत्तर प्रदेश और तेलंगाना से गिरफ्तार किया गया है। फिलहाल,अभी तक एनआईए ने पीएफआई से संबंधित कुल 19 मामलों की जांच कर रही है, जिनमें हाल ही में दर्ज पांच मामले और भी शामिल हैं। हालांकि, इतनी बड़ी कार्यवाही के बाद पीएफआई के अन्य समर्थक जबरदस्त विरोध किये है,इतना ही नहीं शुक्रवार को भारत बंद की कोशिश भी की गई,जिस वजह से भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ साथ राज्यों की पुलिस फोर्स व अन्य ऐजेंसियां भी लगातार मुस्तैद रही है।