इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

नेपाल ने एक बार फिर ‘लिपुलेख’ मुद्दे को उठाते हुए किया बड़ा दावा, भारत ने किया खारिज, पर्दे के पीछे से बीजिंग इस हरकत को दे रहा अंजाम – हेमंत सिंह (स्पेशल एडिटर)


नेपाली आर्मी (सांकेतिक तस्वीर)

काठमांडू। इधर,कुछ सालों से भारत-नेपाल रिश्ता अपने नाजुक दौर से गुजर रहा है,जबकि बीच में दावा किया गया कि अब इन दोनों देशों के रिश्ते वापस पटरी पर आ गया है,लेकिन ऐसा दीख नहीं रहा है। और इस पूरे विवाद में कई बार बीजिंग का जिक्र आ चुका है। बता दे कि नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी पर नेपाल का दावा जताते हुए फिर से गड़े मुर्दे उखाड़ दिया है।

दरअसल,उन्होंने नेपाली संसद में कहा कि नेपाल गुटनिरपेक्ष विदेश नीति अपनाता रहा है,और नेपाल सरकार हमेशा राष्ट्रीय हित को सामने रखा है और अपने पड़ोसियों और अन्य देशों में पारस्परिक लाभ के मुद्दों पर काम किया है। नेपाल सरकार अपने क्षेत्रों की रक्षा के लिए तैयार है। लिंपियाधुरा,लिपुलेख और कालापानी के क्षेत्र नेपाली हैं और सरकार को इसके बारे में अच्छी समझ है। दरअसल इन तीनों क्षेत्रों को लेकर विवाद को जन्म नेपाल के पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली ने दिया था। इसी कारण उनके कार्यकाल के दौरान भारत और नेपाल के रिश्ते काफी नाजुक मोड़ पर पहुंच गए थे।

यही नहीं उन्होंने आगे भी कहा कि सीमा का मुद्दा संवेदनशील है और हम समझते हैं कि इसे कूटनीतिक माध्यमों से बातचीत और बातचीत के जरिए सुलझाया जा सकता है। देउबा ने यह भी कहा कि इस पर कार्रवाई करते हुए हम राजनयिक माध्यमों से अपने प्रयास कर रहे हैं। सरकार की शुरू की गई योजनाओं और नीतियों में इस मुद्दे को उचित स्थान दिया गया है।

बताते चले कि नेपाल ने 20 मई 2020 को कैबिनेट में नए नक्शे को पेश किया था। जिसे नेपाली संसद की प्रतिनिधि सभा ने 13 जून को अपनी मंजूरी दे दी थी। इसमें भारत के कालापानी,लिपु लेख और लिंपियाधुरा को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया। वहीं भारत ने इसका कड़ा विरोध करने के लिए नेपाल को एक डिप्लोमेटिक नोट भी सौंपा था। इसके अलावा,भारतीय विदेश मंत्रालय ने नेपाल के नए नक्शे को एतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ भी करार दिया था।

इधर,भारत ने भी साफ कर दिया है कि वह अपनी संप्रभुता से समझौता नहीं करेगा। विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया था कि इस सीमा विवाद का हल बातचीत के माध्यम से निकालने के लिए आगे बढ़ना होगा। इसके बाद नेपाल ने पिथौरागढ़ से सटे बॉर्डर पर बरसों पुराने एक रोड प्रोजेक्‍ट को शुरू करवा दिया। यह रोड रणनीतिक रूप से अहम है और उसी इलाके में है जहां पर नेपाल अपना कब्‍जा बताता रहा है।

वहीं हमारे विश्लेषण में यह रिपोर्ट सामने आई है कि इस पूरे विवाद का जड़ बीजिंग है,इसी ने इस विवाद को तूल दिया है,जिस वजह से यह मामला इधर दो-ढाई साल में खूब तूल पकड़ा,इतना नहीं तनाव इतना बढ़ गया था कि भारतीय सीमा के पास नेपाली सैनिकों द्वारा गोली भी चलाने की रिपोर्ट सामने आ चुकी थी जिसमें एक भारतीय नागरिक के मारे जाने की पुष्टि भी हुई थी। इस दौरान यह भी जानकारी सामने आई कि भारत-नेपाल बार्डर पर नेपाली सैनिकों की आड़ में चीनी सैनिक मौजूद है। जो कि भारत-नेपाल के बीच तनाव बढ़ाने के मिशन पर लगातार सक्रिय थे। जहां नई दिल्ली की हरकत के बाद स्थितिया सामान्य तो हो गई लेकिन जहर का बीज जो बोया गया था वो अब अंकुरित होने के साथ अपने विकास पर है,जिस वजह से अभी हाल ही में भारत को बिना बताये नेपाली अधिकारियों ने लिपुलेख में जनगणना की कार्यवाही को अंजाम दे दिया,जिस पर भारत ने कड़ी आपत्ति की,फिलहाल,दुश्मन नेपाल को लगातार मोहरे के रूप में इस्तेमाल कर रहा है,ऐसे में भारत को इस पूरी हरकत पर विशेष सतर्कता बरतनी होगी,क्योंकि दुश्मन लगातार अपने मिशन को पूरा करने में जुटा हुआ है।

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