एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

अब इटली ने भी अपने नागरिकों को तत्काल रूस छोड़ने का दिया निर्देश, इससे पहले अमेरिका, पोलैंड और बुल्गारिया भी अपने नागरिकों को रूस छोड़ने के लिए जारी कर चुके हैं निर्देश, नाटों में मचा हड़कंप – चंद्रकांत मिश्र (एडिटर इन चीफ)


सांकेतिक तस्वीर।

मॉस्को। पिछले 7 महिनों से रूस-यूक्रेन के बीच छिड़ी भीषण जंग अब परमाणु युध्द में तब्दील होते दीख रही है। यही कारण है कि अमेरिका, पोलैंड और बुल्गारिया के बाद अब इटली ने भी अपने नागरिकों को तत्काल रूस छोड़ने का निर्देश दे दिया है। इतना ही नहीं नाटों के कई देशों में आयोडिन की गोलियां बांटे जाने की भी खबर है, जो कि साफ संकेत है कि अब यह जंग किसी भी वक्त परमाणु युध्द में बदल सकती है।

क्योंकि, यूक्रेन के कई हिस्सों को रूसी क्षेत्र घोषित करने के बाद रुसी राष्ट्रपति पुतिन ने नाटों को बेहद सख्त चेतावनी देते हुए साफ कर दिया है कि अब रूस रूकने वाला नहीं है। वहीं रूस द्वारा यूक्रेन के हिस्सों पर दावा ठोंकने के तुरंत बाद ही यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंसकी ने नाटों में शामिल होने के लिए आवेदन पर हस्ताक्षर कर दिया है, हालांकि अमेरिका ने एक बार फिर यूक्रेन को झटका देते हुए साफ कर दिया कि नाटों में शामिल होने का यह सही वक्त नहीं है। क्योंकि इससे पहले भी अमेरिका ने नाटों के नियमों का हवाला देते हुए यूक्रेन को संगठन में शामिल करने से इंकार कर चुका है। इसके बावजूद भी नाटों के कई सदस्य देश यूक्रेन के नाटों में शामिल होने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई है।

यह युद्ध अब बेहद नाजुक स्थिति में है, इसीलिए अमेरिका, नाटों के अलावा अन्य सहयोगी देश जैसे इजरायल की ऐजेंसियां भी रूस के सभी हरकतों पर पूरी नजर बनाये हुई है, जहां इस बीच इजरायली ऐजेंसियों ने एक दिन पहले ही पूरी दुनिया में हड़कंप मचाने वाला खुलासा किया है, जिसमें दावा किया गया है कि फिनलैंड बार्डर पर रूस के परमाणु बाम्बर फाइटेर जेट देखे गए हैं, जिससे नाटों देशों में हड़कंप मचा हुआ है।

उधर, मॉस्को में भी ऐतिहात बरतने की रिपोर्ट सामने आ रही है, जिसमें कहा गया है कि रूस की राजधानी मॉस्को के कई प्रमुख सड़को को कई दिनों से आम लोगो के लिए बंद कर दिया गया है, इतना ही नहीं इस दौरान यह भी खुलासा हुआ है कि रूस के कई हिस्सों में आयोडिन की गोलियां बांटी जा रही है। इसी कड़ी में यह भी रिपोर्ट है कि क्रीमिया के एक रेलवे ट्रेक पर करीब 80 किलोमीटर की रूसी फौज की कानवाई देखी गई है जो कि एक ट्रेन के माध्यम से क्रीमिया की तरफ जाती दिखाई दे रही है। हालांकि, वर्ष 2014 में क्रीमिया पर कब्जे के बाद से हीं रूस ने इसे बतौर सैन्य अड्डे के रूप में इस्तेमाल शुरू कर दिया था, और इस जंग में भी रुस ने इसका इस्तेमाल सैन्य अड्डे के रूप में कर रहा है।

कुल मिलाकर अभी तक के हालातों से यह साफ हो चुका है कि अमेरिका व नाटों अभी तक इस जंग में सीधे शामिल नहीं हो रहे हैं, वे सिर्फ सैन्य संसाधनों की ही मदद तक सीमित दीख रहे हैं। ऐसे में यह साफ है कि नाटों देश अभी तक रूस के लक्षमण रेखा को पार नहीं किये है, हालांकि, विरोधाभाषी बयानों में दोनों हीं तरफ से तलखिया बरकरार है।

लेकिन एक बात यह भी साफ हो चुकी है कि यूक्रेन को यदि ईमानदारी के साथ उसकी अपेक्षा के अनुसार उसे सैन्य संसाधन उपलब्ध होता तो इस जंग का परिणाम कुछ और होता, क्योंकि जंग के शुरूआत से ही जेलेंसकी नाटों से यूक्रेन को नो फ्लाइंग जोन घोषित करने के साथ-साथ और भी घातक व दूरी तक मार करने वाले हथियारों की मांग लगातार करते रहे लेकिन ऐसा हो नहीं सका, उन्हें सिर्फ डिफेंसिव हथियार ही मिल रहे हैं, यही कारण है कि यूक्रेन इस जंग में अभी तक एक डिफेंडर की हीं भूमिका में दीख रहा है। फिलहाल, परमाणु युध्द के मुहाने पर खड़ा यह जंग भविष्य क्या तय करता है ? वर्तमान तैयारियों ने साफ कर दिया है।

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