पाक आर्मी चीफ जनरल बाजवा, फाईल फोटो, साभार (सोशल मीडिया)
इस्लामाबाद। जबसे रूस-यूक्रेन के बीच जंग छिड़ा है उसके बाद से ही दुनिया के सभी देशों की खुफिया ऐजेंसियां एकदम से अलर्ट पर है,इतना ही नहीं तमाम देशों के सेनाध्यक्ष भी इन ऐजेंसियों के रडार पर है। मतलब गुटबन्दी में शामिल देश अपने गुट के देशों के साथ साथ दुश्मन के गुट के सुरक्षा एजेंसियों पर पूरी निगरानी रख रहे हैं। जहां इसी बीच दोनों पक्षों के लिए रूचि रखने वाले देश पाकिस्तान की गतिविधियों पर सभी पक्ष पूरी नजर बनाये हुए हैं। क्योंकि पाकिस्तान हमेशा से ही दुनिया के सभी पक्षों के लिए संदिग्ध रहा है, वह चाहे अमेरिका गुट हो अथवा चीन। इस दौरान पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के तीन अक्टूबर से अमेरिकी दौरे पर रहने की रिपोर्ट सामने आई है। ऐसे में रिपोर्ट है कि बाजवा के इस अमेरिकी दौरे को देखते हुए विपक्षी गुट के देशों की खुफिया ऐजेंसियां बेहद सतर्क हो गई है। बता दे कि बाजवा इसी साल 29 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। अब जंगी माहौल में रिटायरमेंट से कुछ सप्ताह पहले पाक आर्मी चीफ का अमेरिका दौरा बेहद संदिग्ध प्रतीत हो रहा है।
चूंकि,जनरल बाजवा का यह अमेरिका दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब उनका कार्यकाल खत्म होने को है। ऐसे में माना जा रहा है कि यह दौरा उनका फेयरवेल गिफ्ट हो सकता है। जबकि कुछ लोग यह भी मान रहे हैं कि अगर वह अमेरिका के आमंत्रण पर वहां गए हैं तो हो सकता है कि उनका कार्यकाल बढ़ा दिया गया हो। इससे पहले जनरल बाजवा का अमेरिकी दौरा तीन बार टाला जा चुका था।
उधर,पाकिस्तानी मीडिया में बाज़वा के इस दौरे को लेकर बेहद सकारात्मक परिणाम का चर्चा बना हुआ है। दरअसल, जनरल बाजवा इस दौरे से पहले फोन पर अमेरिका के रक्षा मंत्री जनरल लॉयड जेम्स ऑस्टिन से बात की थी। इस फोन कॉल के दौरान दोनों ने आपसी हितों पर चर्चा की। इसके अलावा क्षेत्रीय स्थिरता, रक्षा और सुरक्षा सहयोग जैसे मसलों पर भी वार्ता हुई। जनरल लॉयड ऑस्टिन ने फोन पर पाकिस्तान में आई बाढ़ को लेकर भी अपनी संवेदनाएं जाहिर कीं। साथ ही उन्होंने पाकिस्तान सेना के उन राहत और बचाव कार्यों की सराहना भी की जो बाढ़ के दौरान किए गए।
बताते चले कि इससे पहले इसी साल के बीते 18 अगस्त को भी अमेरिका के सेंट्रल कमांड के कमांडर जनरल माइकल ई कुरिला ने भी जनरल बाजवा से पाकिस्तान आर्मी के जनरल हेडक्वार्ट्स (GHQ) पर मुलाकात की थी। इस दौरान पाकिस्तान सेना के उन प्रयासों की भी सराहना की गई जो आतंकवाद को रोकने और क्षेत्रीय शांति बरकरार रखने के लिए किए जा रहे हैं। इसी दौरान अमेरिका-पाकिस्तान के बीच मिलिट्री ट्रेनिंग एक्सचेंज प्रोग्राम पर भी विस्तार से चर्चा की गई।
कुल मिलाकर यह सब तो प्रोटोकाल स्तर की बाते है जो कि सबको बताया जाता रहा है, लेकिन खुफिया ऐजेंसियों की भाषा में यह दौरा अपने आप में बेहद गंभीर एवं संदिग्ध है जो कि दुनिया के युध्द प्रभावित देशों से सीधे-सीधे जुड़ा हुआ है। क्योंकि इससे पहले इसी साल के बीते अगस्त में बाजवा ब्रिटेन के दौरे पर थे, उसके बाद ही फ्लाइंग रूट मैप के जरिए यह खुलासा हुआ था कि इसी अगस्त में ब्रिटिश के कई प्लेन बेहद खुफिया तरीके से पाकिस्तान से भारी मात्रा में गोला-बारूद यूक्रेन को पहुंचा रहे हैं। जहां इस खुलासे के बाद बेहद हड़कंप सा मच गया था। हालांकि, इस खुलासे पर पाकिस्तान खामोश रहा तो उधर, रूस भी विशेष ध्यान नहीं दिया,लेकिन इस प्रकरण की खुफिया ऐजेंसियों की दुनिया में बहुत चर्चा रही। यही नहीं आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच जंगी तनातनी में भी पाकिस्तानी दखल रहता है चूंकि, अमेरिका, आर्मेनिया की मदद में रहता है जबकि पाकिस्तान अजरबैजान के पक्ष में। अब ऐसे में जनरल बाजवा का यह दौरा बेहद गंभीर है जिसे पाक विरोधी ऐजेंसियां बेहद संजिदगी से ले रही है।