लेफ्टिनेंट कर्नल पाॅल हैरी,(अपदस्थ राष्ट्रपति) बुरकिना फासो फाईल फोटो, साभार-(सोशल मीडिया)
पेरिस। पश्चिम अफ्रीकी देश बुर्किना फासो में एक बार फिर तख्तापलट की रिपोर्ट सामने आई है,बता दे कि इससे पहले बीते नौ महीने में यह दूसरी बार तख्तापलट हुआ है। दरअसल, बीते शुक्रवार को यानि बीते 30 सितंबर को बुर्किना फासो की सेना ने तख्तापलट कर दिया,जहां इस दौरान सैन्य अधिकारियों ने सरकारी प्रसारणकर्ता को नियंत्रण में लेते हुए सैन्य तख्तापलट का ऐलान कर दिया।
बताया जा रहा है कि लेफ्टिनेंट कर्नल पॉल हेनरी सैंडाओगो डामिबा ने तख्तापलट करने वाले सैन्य अधिकारियों से सुरक्षा की गारंटी मिलने के बाद हीं राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने हिंसा खत्म करने की भी शर्त रखी है। कहा जा रहा है कि बुर्किना फासो के स्व-घोषित सैन्य नेता कैप्टन इब्राहिम त्राओरे ने डामिबा की शर्त के अनुसार उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया है।
इससे पहले यह रिपोर्ट थी कि तख्तापलट के बाद डामिबा गायब हो गए हैं, जिस वजह से तख्तापलट करने वाले अधिकारियों ने डामिबा के देश में हीं स्थित फ्रांसीसी दूतावास में छिपे होने की आशंका जताई जा रही थी। इसीलिए बीते 1 अक्टूबर को विरोध प्रदर्शकारियों ने फ्रांस के दूतावास पर हमला कर दिया था। हालांकि,दूतावास में मौजूद फ्रांस के अधिकारियों ने विरोधी सैन्य अधिकारियों के आरोपों को खारिज कर दिया था।
गौरतलब है कि बुर्किना फासो में सेना ने इस साल के बीते जनवरी के आखिरी सप्ताह में भी तख्तापलट करके राष्ट्रपति रोच काबोरे को हटा दिया था, जिसके बाद से डामिबा नए प्रेसिडेंट का कार्यभार संभाल रहे थे। डामिबा ने हाल में न्यूयॉर्क की यात्रा की थी और संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में फरवरी में देश में किए गए सैन्य तख्तापलट का बचाव किया था। हाल में वह अपने देश बुर्किना फासो लौटे थे, जिसके बाद सेना ने एक बार फिर देश की बागडोर अपने हाथ में ले ली। तख्तापलट के पीछे मुख्य वजह इस्लामिक चरमपंथ बताया जा रहा है। डामिबा पर आरोप लग रहा था कि वह इस्लामिक चरमपंथियों की बढ़ती हिंसा से निपटने में वह नाकाम रहे।
वहीं,संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने बुर्किना फासो के हालात पर गहरी चिंता व्यक्त की है, इस दौरान गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक के हवाले से जारी एक बयान में कहा गया है कि महासचिव हथियारों के बल पर सत्ता पर कब्जा करने के किसी भी प्रयास की कड़ी निंदा करते हैं और सभी नेताओं से हिंसा से परहेज करने और संवाद से काम लेने आह्वान करते हैं।