
सांकेतिक तस्वीर।
कीव/नई दिल्ली। जारी भीषण जंग की भारी कीमत चुके रहे यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंसकी को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को शाम के समय फोन पर बातचीत किया है। यह बातचीत इसलिए बेहद अहम हो जाती है, क्योंकि पिछले महीने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने दो बार इशारों-इशारों में ही सही, लेकिन एटमी हथियारों के इस्तेमाल की तरफ इशारा किया था। मोदी ने जेलेंस्की से बातचीत में फिर साफ किया कि रूस और यूक्रेन के बीच विवाद का हल जंग से नहीं हो सकता। उन्होंने इस बात पर भी फोकस किया कि इस मसले का सैन्य समाधान नहीं है।
मोदी ने जेलेंस्की से बातचीत में न्यूक्लियर फेसेलिटीज का भी जिक्र किया है,यह इस लिहाज से बेहद अहम हो जाता है कि यूक्रेन के जापोरजिया में मौजूद एटमी ठिकाने की सुरक्षा पर लगातार सवालिया निशान लग रहे हैं। मोदी ने कहा कि अगर एटमी ठिकानों को निशाना बनाया जाता है या इस तरह की कोई दूसरी संबंधित घटना होती है तो उसके परिणाम पूरी मानवता के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं।
बातचीत के दौरान मोदी ने साफ किया कि अगर इस मुद्दे को हल करना है तो फिर डिप्लोमैसी को सबसे पहले अमल में लाना होगा। दोनों पक्षों को जिद छोड़नी होगी और बातचीत की तरफ जाना होगा। बता दे कि प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने बातचीत के बाद इसकी जानकारी मीडिया को दी है।
इससे पहले भी मोदी और जेलेंस्की बातचीत कर चुके हैं। मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से भी फोन पर पहले कई बार बातचीत की है। दरअसल, हाल ही में SEO की मीटिंग के दौरान मोदी ने पुतिन से कहा था कि यह दौर जंग का नहीं, बल्कि साथ चलने और बातचीत का है। जहां इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन समेत कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने UNGA मीटिंग के दौरान मोदी की बात का जिक्र और समर्थन किया था।
मोदी ने जेलेंस्की से बातचीत में जोर देकर कहा कि रूस और यूक्रेन दोनों को UN चार्टर, इंटरनेशनल लॉ के हिसाब से फैसले करने चाहिए। भारत चाहता है कि एटमी ठिकानों पर नजर रखी जाए और उनकी सुरक्षा में कोई कोताही न हो।
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस बातचीत के कई मायने है,क्योंकि रूस-यूक्रेन जंग पिछले कुछ दिनों से बहुत ही भयावह स्थिति में पहुँच गया है। जहां इस दौरान रूस की तरफ से बार-बार परमाणु हमलें की धमकी देने के साथ-साथ उसकी पूरी तैयारियां भी सामने आई है। जिस वजह से नाटों में हड़कंप सा मचा हुआ है। ऐसे में भारत ही ऐसा है जो कि बातचीत के जरिए नाटों और रूस के बीच सुलह की बहुत महत्वपूर्ण कड़ी बन सकता है। चूंकि SEO की बैठक के दौरान पुतिन ने मोदी से बातचीत के दौरान संकेत दे दिया था कि यदि भारत सामने आता है तो बहुत कुछ संभव है। हालांकि, वहां से लौटने के बाद पुतिन ने वादे के इतर कार्यवाही को अंजाम देते हुए यूक्रेन के कई हिस्सों को रूसी क्षेत्र घोषित कर दिया था। जिस कारण नाटों में हड़कंप मच गया कि पुतिन अब किसी भी हद तक जा सकते हैं। ऐसे में यदि भारत सामने आता है तो बहुत कुछ संभव है जो कि शांति के दिशा में सार्थक कदम साबित होगा।
