सांकेतिक तस्वीर।
मॉस्को। पिछले सात महिनों से जारी रूस-यूक्रेन जंग अब उस स्थिति में पहुँच गया जिसका कि दुनिया सिर्फ कल्पना ही कर सकती थी। यानि अब यह जंग लगभग परमाणु युध्द में तब्दील हो ही चुकी है,सिर्फ एक निश्चित तारीख और समय की देर हैं फिर क्या दुनिया दूसरे विश्वयुद्ध में नागासाकी और हिरोशिमा के बाद इस ताजे जंग का गवाह बन जायेगी। लेकिन पूरे युद्ध में अब तक घटित हुए सभी घटनाक्रमों के गंभीर विश्लेषण से यह साफ संकेत मिल रहा है कि अमेरिका और नाटों खुद चाहते हैं कि यूक्रेन के उपर रूस परमाणु हमला करें। निश्चित रूप से यह दावा अपने आप में बेहद चौंकाने वाला हो सकता है लेकिन परिस्थितियां यही कह रही है। क्योंकि एक तरफ रूस लगातार घातक परमाणु हथियारों के परीक्षण में जुटा हुआ हैं तो वही दूसरी ओर यूक्रेन के सहयोगी देश अभी तक परमाणु हथियारों के परीक्षण से कोसो दूर दीख रहे हैं, अब यह बात दीगर हो सकती है कि अमेरिका ने नाटों की हिफाजत में कई यूरोपीय देशों में कई जगहों पर अपने परमाणु हथियारों की तैनाती बहुत पहले से ही कर रखा है ताकि रूस द्वारा इन देशों पर हमला करने के दौरान इन परमाणु हथियारों से काउंटर कर सके, लेकिन इस तैनाती से यूक्रेन की सुरक्षा का कोई लेना-देना नहीं है।
दरअसल, हाल ही में SEO की बैठक से लौटते हीं रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन के चार राज्यों को रूसी क्षेत्र में विलय करने का ऐतिहासिक ऐलान करते हुए यूक्रेन के साथ-साथ पूरे नाटों समुदाय को कड़ी चुनौती दे डाला। तो वही रूस के इस हरकत को निंदा और प्रतिबंधों के हथियारों से काउंटर करने की नाकाम कोशिश की गई, हालांकि यूक्रेन की तरफ से हमले और भी तेज कर दिया गया। परिणामस्वरूप अब यह रिपोर्ट सामने आ रही है कि हाल ही में यूक्रेन के जिन हिस्सों को पुतिन रूसी क्षेत्र घोषित किया था उसमे से तीन राज्यों में रूसी फौज को भारी नुकसान उठाना पड़ा है, इतना ही नहीं यूक्रेन के दबाव के चलते रूसी फौज इन इलाकों से पीछे हटने को भी मजबूर हो गई है।
जहां इस बीच यह भी खबर आई कि हाल ही में नाटों के बार्डर देश पोलैंड और बुल्गारिया के सीमा पर रुस ने परमाणु परीक्षण किया है, जिसका कि खुद रूस के रक्षा मंत्रालय ने पुष्टि किया है। इतना ही नहीं फिनलैंड के बार्डर पर भी रूसी परमाणु बांबर डिटेक्ट हुए जिसका कि खुलासा इजरायली ऐजेंसियों ने किया था। यही नहीं आर्कटिक सागर में भी नाटों की नजरों के सामने से रूस की सबसे ख़तरनाक परमाणु पनडुब्बी गायब हो गई जिसका कि अभी तक कुछ भी पता नहीं चल सका है। क्योंकि नाटों का दावा है कि इस रूसी पनडुब्बी में परमाणु मिसाइलों के परीक्षण की पूरी तैयारी की गई है। जहां इस पनडुब्बी के बारे में नाटों के सदस्य देशों को एक गोपनीय सूचना के साथ अलर्ट कर दिया गया लेकिन संयोगवश यह गोपनीय रिपोर्ट इटालियन मीडिया में लीक हो गया।
कुल मिलाकर यह साफ हो गया कि जारी जंग के बीच रूस के परमाणु परीक्षण के संबंध में नाटों द्वारा अभी तक सिर्फ जासूसी ही हो रही है न कि इससे बचने के लिए यूक्रेन की कोई मदद। हालांकि, यूक्रेन को यह भली भाँति मालूम है कि नाटों ईमानदारी के साथ उसकी मदद करने से हिचक रहे हैं। क्योंकि यूक्रेन कई बार घातक हथियारों की मांग करने के अलावा यूक्रेन को नो फ्लाइंग जोन घोषित करने की मांग करता रहा लेकिन उसकी एक न सुनी गई। उसे अभी तक सिर्फ डिफेंसिव हथियार ही दिया जाता रहा, लेकिन बाद के दिनों में उसे अमेरिका ने HIMARS मिसाइल दिया जिसके मिलते ही जंग का परिणाम बदलने लगा था। चूंकि यूक्रेन जिस तरह की नाटों से मांग करता रहा यदि उसे उसके अपेक्षानुसार मदद मिलती तो वह काउंटर के बजाय नये फ्रंट के माध्यम से दुश्मन पर अटैक करके दबाव बनाने में कामयाब रहता अफसोस ऐसा हो नहीं सका।
अब ऐसे में सीमित संसाधनों के माध्यम से वह अब भी दुश्मन पर काफी हद तक दबाव बनाने में सफल है, यही वजह है कि रूस अब परमाणु हमला करने की तैयारी पर है। अब सवाल उठता है कि अमेरिका ने नाटों की हिफाजत में तो कई यूरोपीय देशों में परमाणु हथियारों की तैनाती कर चुका है लेकिन यूक्रेन की वह किस तरह से हिफाजत करेगा ? इसकी कोई रिपोर्ट नहीं है। इसीलिए यह साफ संकेत है कि नाटों और अमेरिका चाहते हैं कि रूस परमाणु हमलें को अंजाम दे उसके बाद ही काउंटर का मुद्दा बनाकर रूस पर भी पलटवार किया जाये। क्योंकि,अमेरिका और नाटों का इतिहास रहा है कि ये डिप्लोमैटिक टेबल पर तो अटैक की मुद्रा में रहते हैं लेकिन वाॅर फ्रंट पर डिफेंसिव मोड में रहते हैं जबकि रूस हमेशा इसके इतर रहा है, इसीलिए रूस से भिढ़ने में वक्त लग रहा है।