फाईल फोटो, साभार-(अमेरिकी नौसेना के ट्वीटर से)
वाशिंग्टन/मुंबई। रूस-यूक्रेन जंग के बीच दुनिया भर में जारी भीषण जंगी तनातनी के दौरान अमेरिका ने पूरी दुनिया को चौंकाते हुए अरब सागर में भारत के गुजरात और पाकिस्तान की जलसीमा के पास अपनी महाविनाशक परमाणु पनडुब्बी को तैनात किया है। यही नहीं अमेरिका ने परमाणु बम से लैस मिसाइलों को ले जाने में सक्षम पनडुब्बी ‘यूएसएस वेस्ट वर्जीनिया’ को तैनात करने की रिपोर्ट को भी पब्लिक किया है।
दरअसल,अमेरिका अपनी परमाणु पनडुब्बी के सीक्रेट मिशन के दौरान आमतौर पर उसके स्थान का खुलासा नहीं करता है। इसी वजह से इसे बहुत ही असामान्य घटना माना जा रहा है। अमेरिका के सेंट्रल कमांड ने बताया कि यह ‘यूएसएस वेस्ट वर्जीनिया’ परमाणु पनडुब्बी ओहियो क्लास की थी।
वहीं,अमेरिकी सैन्य अधिकारी जनरल कुरिल्ला के हवाले से यह कहा गया है कि ये परमाणु पनडुब्बी देश के न्यूक्लियर ट्रायड का सबसे प्रमुख अंग हैं। उन्होंने कहा कि ओहियो क्लास की यह पनडुब्बी हमले में बचने की ताकत, तैयारी और समुद्र में अमेरिकी सेना और रणनीतिक बलों की क्षमता को दर्शाती है। बता दे कि अमेरिकी नौसेना के पास इस समय पर 14 ओहियो क्लास की बलिस्टिक मिसाइल सबमरीन है जिसे एसएसबीएन कहा जाता है। परमाणु ऊर्जा से चलने वाली इस पनडुब्बी को मूल रूप से 24 परमाणु बम से लैस ट्राइडेंट मिसाइलों को ले जाने के लिए बनाया गया है।
हालांकि बाद में रूस से समझौते के बाद इसे 20 मिसाइल कर दिया गया है। वर्तमान समय में अमेरिका ट्राइडेंट डी5 मिसाइल का इस्तेमाल करता है जो एक साथ कई लक्ष्यों को तबाह करने की ताकत रखती है। मात्र एक ट्राइडेंट डी5 मिसाइल 14 परमाणु बम एक साथ ले जा सकती है और दुश्मन के 14 लक्ष्यों को पलभर में तबाह कर सकती है। अमेरिकी नौसेना में 4 और ओहियो क्लास की पनडुब्बी हैं जिसे अब गाइडेड मिसाइल सबमरीन (SSGN) में बदला जा चुका है।
टॉमहॉक मिसाइलों की बारिश कर सकती है ओहियो पनडुब्बी
अमेरिका की यह पनडुब्बी दुनिया में अपनी खास ताकत के लिए जानी जाती है। यह है टॉमहॉक क्रूज मिसाइल जिसका अमेरिका ने अफगानिस्तान से लेकर दुनिया की कई जंग में किया है। इसे अमेरिकी ब्रह्मास्त्र कहा जाता है। ओहियो क्लास की पनडुब्बी 154 टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें ले जा सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह ओहियो क्लास पनडुब्बी एक साथ कई तरह के काम कर सकती है। यह ड्रोन सिस्टम, विशेष अभियानों के लिए मदरशिप, पानी के अंदर जासूसी और कमांड पोस्ट की भूमिका निभा सकती है। द ड्राइव की रिपोर्ट के मुताबिक ओहियो क्लास की पनडुब्बी का अरब सागर में जाना और उसका ऐलान किया जाना अपने आप में बहुत ही दुर्लभ मामला है। अमेरिकी नौसेना हमेशा अपने परमाणु प्रतिरोधक क्षमता के सबसे महत्वपूर्ण हथियार के बारे में चुप्पी साधे रहती है। रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने जासूसी के खतरे के देखते हुए इस पनडुब्बी के स्थान और समय का खुलासा नहीं किया है। अमेरिका ने पहले भी अपने दुश्मनों को संदेश देने के लिए इस तरह के असामान्य गश्त का ऐलान समय-समय पर किया है। वहीं,अमेरिकी सैन्य अधिकारी माइकल कुरिल्ला ने इस परमाणु पनडुब्बी के अरब सागर में पहुंचने का ऐलान भी किया है।
परमाणु बम से लैस पनडुब्बी को भेजकर अमेरिका ने एक तीर से कई शिकार करने की कोशिश की है। यह परमाणु पनडुब्बी ऐसे समय पर अरब सागर में आई है जब रूस को हथियारों की आपूर्ति को लेकर ईरान और अमेरिका के बीच तनाव काफी बढ़ा हुआ है। ईरान रूस को बड़े पैमाने पर ड्रोन और मिसाइलों की सप्लाइ कर रहा है। यही नहीं अमेरिका का दोस्त कहा जाने वाला सऊदी अरब भी बाइडन को आंखें दिखा रहा है। सऊदी प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान रूस के साथ तेल कटौती को लेकर हाथ मिला चुके हैं। वहीं अन्य परमाणु विश्लेषकों का यह भी मानना है कि अमेरिका ने अरब सागर में परमाणु मिसाइलों से लैस पनडुब्बी को तैनात करके चीन को कड़ा संदेश दिया है।
चूंकि,चीन अपने गोबी के पठार में सैंकड़ों की तादाद में मिसाइल साइलो बना रहा है। इन साइलों में चीन अपनी परमाणु हथियारों से लैस मिसाइलों को छिपा सकता है। ऐसे में कहा जा रहा है कि अमेरिका ने इस परमाणु पनडुब्बी को अरब सागर में तैनात करके चीन को संदेश दिया है। क्योंकि, अरब सागर से चीन के मिसाइल साइलो स्थल की दूरी मात्र 3284 किमी है जो अमेरिकी मिसाइलों की जद में आता है। अमेरिका अपनी किलर मिसाइलों से चीन के इन ठिकानों को तबाह कर सकता है। फिलहाल, अमेरिका के इस पनडुब्बी की तैनाती ने अमेरिका विरोधी देशों में हड़कंप मचा दिया है।